आईएएस पिता ने कहा- लव जिहाद के लिए बेटी से रचाई गई थी शादी, मुस्लिम युवक के साथ दो संस्थाओं पर भी केस दर्ज

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में लव जिहाद का आरोप लगाते हुए आईएएस पिता की ओर से एक एफआईआर दर्ज करवाई गई है। इस मामले में दो संस्थाओं का भी जिक्र किया गया है। इसी के साथ अन्य लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बना रहे इसको लेकर भी गुहार लगाई गई है। 

गाजियाबाद: दिल्ली में तैनात आईएएस अधिकारी के. सारंगी ने गाजियाबाद नगर कोतवाली में एक एफआईआर दर्ज करवाई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि उनकी इकलौती बेटी डॉ. हर्ष भारती सारंगी ने बड़ी साजिश के तहत शादी की है। इसके पीछे का असल मकसद लव जिहाद के तहत उनकी बेटी का धर्मांतरण करवाना है। इस मामले में दो संस्थाओं पर भी साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। मामले में पुलिस ने संस्था के पदाधिकारियों से जवाब तलब किया है। 

2017 से पीछे पड़ा था युवक

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दर्ज कराई गई एफआईआर में बताया गया है कि उनकी बेटी यूक्रेन से एमबीबीएस करने के बाद 2016 में वापस लौटी थी। इसके बाद मेरठ के मवाना में रहने वाला युवक अब्दुल रहमान 2017 में उसके पीछे पड़ गया। फरेब का जाल बुनकर उनकी बेटी को फंसाया गया। आरोपी ने पहले उनके बेटी को घायल किया और फिर सहानुभूति जताते हुए उसके साथ रहने लगा। इस पूरे प्रकरण में कई मौलानाओं ने भी उसका साथ दिया। इस बीच उनकी बेटी का चेहरा जलाने का भी प्रयास हुआ जिससे उसके पास शादी की बात मानने के अलावा कोई अन्य चारा शेष न रहे। 

संस्थाओं का भी किया गया जिक्र

आरोपी कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए लगातार दांव-पेंच चलता रहा। इसी कड़ी में उसने नवंबर 2018 में मंदिर में शादी रचाकर उसका पंजीकरण भी करवा लिया। बताया गया कि शादी के बाद अब्दुल हर्ष भारती के साथ नोएडा में रह रहा था। इस पूरे मामले में दर्ज करवाई गई एफआईआर में अब्दुल रहमान, वैदिक हिंदू सभा गाजियाबाद के पदाधिकारी, आर्य समाज मंदिर ट्रस्ट दिल्ली के पदाधिकारियों को भी नामजद किया गया है। 

कई लड़कियों के फंसे होने का आरोप

एफआईआर में कहा गया कि लव जिहाद की इस साजिश में उनकी बेटी ही नहीं कई अन्य लड़कियां भी फंसी हैं। लिहाजा पुलिस इस मामले में ठोस कार्रवाई करे जिससे अन्य लड़कियों को सुरक्षित माहौल मिल सके। वहीं इस प्रकरण को लेकर पुलिस का कहना है कि मामले में जिन संस्थाओं का जिक्र किया गया है उनके पदाधिकारियों से भी मुलाकात की जाएगी। उन तमाम संस्थाओं से यह सवाल किया जाएगा कि वह आखिर किस तरह से अलग-अलग धर्म के युवक-युवतियों को शादी का प्रमाणपत्र दे रहे हैं। यह किस आधार पर जारी किया जा रहा है। 

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