मां की मौत फिर भी पूरी रात ड्यूटी निभाता रहा एंबुलेंस ड्राइवर,कहा-मरीजों की जान बचा ली तो मां खुश होगी

बता दें कि प्रभात यादव पिछले 33 साल से मथुरा में एंबुलेंस चला रहे हैं। पिछले साल उनके पिता की मौत भी कोरोना से मौत हुई हुई थी। उस वक्त भी वह पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद अपनी ड्यूटी पर लौट गए थे। इस बार जब उनकी मां के निधन की खबर मिली तो वह पहले पूरी रात ड्यूटी करते रहे। इसके बाद सुबह अपने गांव के लिए रवाना हुए।

लखनऊ (उत्तर प्रदेश). कोरोना महामारी के खिलाफ इस लड़ाई में हेल्थ विभाग के फ्रंट लाइन वर्कर्स अपनी जान जोखिम में डाल दिन रात ड्यूटी कर मरीजों की जान बचाने में जुटे हुए हैं। वह मानवता की नई मिसाल पेश कर रहे हैं। ऐसी ही दिल को सैल्यूट करने वाली कहानी उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से सामने आई है।  रात में एक एंबुलेंस ड्राइवर के मोबाइल पर कॉल आया कि मां नहीं रहीं, लेकिन वह बिना शोक में डूबे अपनी ड्यूटी निभाता रहा और मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाता रहा।

पूरी रात मरीजों को पहुंचाया अस्पताल..फिर घर पहुंचे
दरअसल, मानव सेवा की यह कहानी मैनपुरी के रहने वाले एंबुलेंस ड्राइवर प्रभात यादव की है। जो कोरोनाकाल में रोजाना दर्जनों मरीजों को अस्पताल पहुंचाकर लोगों की मदद करने में जुटे हुए हैं। लेकिन 15 मई को उन्हें खबर मिली कि उनकी मां का निधन हो गया है। जब वह एक मरीज को लेकर अस्पताल जा रहे थे। पर प्रभात ने अपना काम नहीं छोड़ा, वह पूरी रात से सुबह तक 15 मरीजों को अस्पताल लेकर गए।

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ड्राइवर की बात ने जीत लिया सबका दिल
अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद ही प्रभात घर पहुंचे। फिर वह 200 किमी दूर अपने गांव में मां के अतिंम संस्कार के लिए निकले। एक मीडिया ग्रुप से बातचीत के दौरान प्रभात ने कहा कि हम एंबुलेंस ड्राइवर रोजाना कई मरीजों को अस्पताल पहुंचा रहे हैं। अगर हम ही इस तरह दुखी होकर घर बैठ जाएंगे तो उन परिवारों का क्या होगा जिनको हमारी मदद चाहिए। ऐसे संकट के समय में अपनी मां के निधन का शोक नहीं मना सकता हूं। अगर मैंने कुछ मरीजों की जिंदगी बचा ली तो जरूर मेरी मां को खुशी होगी।

पिता के अंतिम संस्कार के तुरंत बाद डूयूटी पर 
बता दें कि प्रभात यादव पिछले 33 साल से मथुरा में एंबुलेंस चला रहे हैं। पिछले साल उनके पिता की मौत भी कोरोना से मौत हुई हुई थी। उस वक्त भी वह पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद अपनी ड्यूटी पर लौट गए थे। मथुरा में 102 और 108 एंबुलेंस सेवाओं के प्रोग्राम मैनेजर अजय सिंह ने बताया कि मैंने प्रभात को मां का अंतिम संस्कार करने के बाद कुछ दिन अपने परिवार के साथ वक्त बिताने और आराम करने का कहा था। लेकिन उन्होंने छुट्टी लेने से मना कर दिया। प्रभात ने कहा सर छुट्टी जब लूंगा तब कोरोना खत्म हो जाएगा।

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