Inside Story: गोरखपुर का गोरक्षनाथ मंदिर, जानिए नाथ संप्रदाय के सबसे बड़े मठ की पूरी कहानी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र में स्थिति गोरखनाथ मंदिर पर आंतकी हमले के बाद से देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। लेकिन इस मंदिर का इतिहास भी बेहद दिलचस्प है। ऐसा कहा जाता है कि नाथ संप्रदाय का यह सबसे बड़ा मठ है जिसके मौजूदा समय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महंत है। 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ( Yogi Adityanath) के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath temple) पर हमले के बाद मठ को लेकर देश भर में चर्चा हो रही है। जिस तरह से रविवार की देर शाम एक सिरफिरे ने गोरखनाथ मंदिर के मुख्य गेट पर सुरक्षा में तैनात पीएसी के दो जवानों पर हमला कर दिया था। उसके प्रहार से दोनों जवान गंभीर रुप से घायल हो गए थे। उसके बाद लोगों की मदद से उस सिरफिरो को पुलिसकर्मियों ने धर दबोचा, इस दौरान वह भी घायल हुआ था। इस घटना के बाद से पुलिस के साथ ही खुफिया एजेंसियां पूरी तरह से चौकन्ना हो गई।

लेकिन अहमद मुर्तुजा अब्बासी नाम के शख्स द्वारा पुलिसकर्मियों पर हमले के बाद नाथ संप्रदाय के सबसे बड़े मठ की सुरक्षा को लेकर देशभर में बहस हो रही है। तो आइए जानते हैं कि गोरखनाथ मंदिर का इतिहास क्या है? जैसा कि सभी जानते है यह मंदिर गोरखपुर जिले में स्थित हैं। ऐसा कहा जाता है कि नाथ संप्रदाय में गोरखनाथ को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। इस मठ के महंत उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं और उनका गोरखनाथ मंदिर और नाथ संप्रदाय से गहरा संबंध है।

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गोरक्षनाथ मंदिर का इतिहास
गोरखनाथ मंदिर के महंत उत्तर प्रदेश के मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ हैं। इस मंदिर का राजनीति और आध्यात्मिक तौर पर काफी महत्व है। गोरक्षनाथ मंदिर या गोरखनाथ मंदिर त्रेता युग में गोरक्षनाथ ने पवित्र राप्ती नदी के किनारे तपस्या की थी और उसी स्थान पर अपनी दिव्य समाधि लगाई थी। जहां वर्तमान में गोरखनाथ मंदिर स्थित है। योगेश्वर गोरक्षनाथ के पुण्य स्थल के कारण इस स्थान का नाम गोरखपुर पड़ा। यह करीब 52 एकड़ की जमीन पर फैला हुआ है। इतना ही नहीं इतिहास के पन्नों में इसके बारे में राजा मानसिंह ने अपनी किताब ‘श्रीनाथतीर्थावली’ में भी वर्णन किया है। 

गोरखनाथ मंदिर का निर्माण
महायोगी गुरू गोरखनाथ की यह तपस्याभूमि प्रारंभ में एक तपोवन के रूप में रही होगी। इस तपोवन में योगियों के निवास के लिए कुछ छोटे-छोटे मठ रहे, मंदिर का निर्माण बाद में हुआ। आज जिस विशाल और भव्य मंदिर का दर्शन कर भक्त हर्ष और शांति का अनुभव करते हैं, वह ब्रम्हालीन महंत 19वीं सदी में दिग्विजयनाथ महाराज की कृपा से है। वर्तमान पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ महाराज के सरक्षंण में गोरखनाथ मंदिर विशाल आकार-प्रकार प्रांगण की भव्यता को प्राप्त हुआ। पुराने मंदिर का नव निर्माण की विशालता और व्यापकता में समाहित हो चुका है। पूरे मंदिर परिसर में बहतरीन बागवानी भी की गई है। इस मंदिर की खास विशेषता अखंड ज्योति और अखंड धूना है। मकर संक्रान्ति के अवसर पर यहां एक माह चलने वाला विशाल मेला लगता है जो खिचड़ी मेला के नाम से प्रसिद्ध है। गोरखनाथ के इतिहास का वर्णन म्यूजिकल सतरंगी लाइट एंड साउंड के ज़रिये प्रतिदिन शाम के समय दिखाया जाता है

यवनों और मुगलों ने किया था आक्रमण
गोरखनाथ मंदिर को यवनों और मुगलों ने कई बार ध्वस्त किया लेकिन इसका हर बार पु‍नर्निर्माण कराया गया। मंदिर का इतिहास में जिक्र है कि 14वीं सदी में अलाउद्दीन खिलजी और उसके बाद 18वीं शताब्दी में औरंगजेब ने भी इस पर आक्रमण किया था। कई हमलों से मंदिर तहस नहस जरूर हुआ लेकिन हिंदू संस्कार और परंपराओं को यहां जीवंत रखा गया। हिंदू धर्म से जुड़े लोगों ने इस मंदिर से स्नेह और श्रद्धा बनाए रखा। फिलहाल इस मठ के महंत योगी आदित्यनाथ हैं। नाथ संप्रदाय को देश का प्राचीन योग और आध्यात्म का केंद्र माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि नाथ संप्रदाय को अपनाने के बाद 12 साल की कड़ी तपस्या के बाद संन्यासी को दीक्षा दी जाती है।

जानिए अजय बिष्ट से सीएम योगी आदित्यनाथ का सफर
योगी आदित्यनाथ का गोरखनाथ मंदिर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने तक का सफर भी काफी दिलचस्प रहा है। उन्होंने 12वीं पढ़ने के बाद गढ़वाल यूनिवर्सिटी से गणित में बैचलर्स की डिग्री हासिल की। यहां पढ़ने के दौरान ही योगी अलग-अलग राजनीतिक विचारधारा के लोगों के संपर्क में आ गए थे। उनके एक जीजा छात्र संगठन SFI के एक्टिव सदस्य थे। वह चाहते थे कि योगी आदित्यनाथ उनके वामपंथी छात्र संगठन में शामिल हो जाएं। लेकिन इसी समय आदित्यनाथ की मुलाकात उनके एक सीनियर ABVP कार्यकर्ता प्रमोद रावत से हुई। उन्होंने योगी को ABVP से जुड़ने के लिए मना किया। 1990 के दौर में जब देश में राम मंदिर आंदोलन चल रहा था तब इनकी मुलाकात लालकृष्ण आडवाणी से हुई क्योंकि यही देशभर में रथ यात्रा कर रहे थे। इस आंदोलन में हिस्सा लेने के दौरान योगी एक कार्यक्रम में महंत अवैद्यनाथ से मिले थे। आंदोलन के बाद से ही उनका मन घर में नहीं लग रहा था।

योगी आदित्यनाथ पहली मुलाकात में ही अपने गुरू अवैद्यनाथ से काफी प्रभावित हुए थे। साल 1993 में पौड़ी गढ़वाल से 21 साल का यह लड़का घर से निकलते समय नौकरी के लिए बाहर जाने की बात कही। लेकिन वह महंत अवैद्यनाथ के पास गोरखपुर आश्रम पहुंच जाते हैं। योगी की प्रतिभा को देख गोरखपुर धाम के महंत अवैद्यनाथ उससे काफी प्रभावित हो जाते हैं। फिर एक साल यानी 1994 में यह लड़का महंत अवैद्यनाथ से गुरु दीक्षा प्राप्त करता है। इसी वक्त इस लड़के का नाम अजय सिंह बिष्ट से बदलकर योगी आदित्यनाथ रख दिया जाता है। ठीक चार साल बाद यानी 1998 में महंत अवैद्यनाथ उन्हें मठ और राजनीतिक उत्तराधिकारी भी घोषित कर देते हैं। योगी आदित्यनाथ 1998 में ही गोरखपुर से लोकसभा चुनाव लड़े और जीते भी। इस चुनाव के दौरान उनकी उम्र महज 26 साल की थी। इसको जीतने के बाद योगी आदित्यनाथ सबसे युवा सांसद बनकर दिल्ली आते हैं। तब से 2014 तक पांच बार सांसद बने। उसके बाद 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया और अब लगातार दूसरी बार योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बन गए है। 

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