
लखनऊ(Uttar Pradesh). इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बुधवार को पिछले एक साल से लंबित चल रहे 69 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने योगी सरकार को बड़ी राहत देते हुए कट ऑफ मार्क्स के जरिए शिक्षकों की नियुक्ति को सही ठहराया। हाईकोर्ट ने इस भर्ती के लिए कट ऑफ मेरिट निर्धारित कर दिया । फैसले के बाद सामान्य वर्ग के लिए 65 प्रतिशत और अरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 60 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य होगा। हाईकोर्ट के फैसले के बाद सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी को 150 में से 97 अंक हासिल करने होंगे, जबकि आरक्षित वर्ग के लिए 90 अंक जरुरी है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में शिक्षा की योग्यता और गुणवत्ता को अहम बताया। साथ ही योगी सरकार को योग्यता के आधार पर रिजल्ट जारी कर भर्ती प्रक्रिया को शुरू करने का आदेश दिया।
जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस करुणेश सिंह पवार की बेंच ने फैसला सुनाते हुए योगी सरकार के उस निर्णय को सही ठहराया जिसके तहत कट ऑफ मेरिट के जरिये शिक्षकों की नियुक्ति की जाने का निर्णय लिया गया था। तकरीबन डेढ़ साल तक इलाहाबाद हाईकोर्ट में चले इस मामले में लखनऊ खंडपीठ ने लंबी सुनवाई के बाद तीन मार्च 2020 को फैसला सुरक्षित कर लिया था। जिसे बुधवार को सुनाया गया।
शिक्षा मंत्री ने न्यायालय के फैसले का किया स्वागत
बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि जल्द ही सरकार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी कर लेगी। शिक्षको की भर्ती के बाद स्कूलों में पठन-पाठन का काम शुरू सुचारू रूप से शुरू हो जाएगा । शिक्षा मंत्री ने कहा कहा कि सरकार द्वारा लिए गए फैसले को हाईकोर्ट ने सही माना है। यह सरकार की जीत है। अब जल्द से जल्द रिजल्ट जारी कर भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
कट ऑफ मार्क्स के खिलाफ कोर्ट पहुंचे अभ्यर्थी
योगी सरकार ने दिसम्बर 2018 में प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए एक शासनादेश जारी कर अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। इस शासनादेश में कट ऑफ का जिक्र तो था लेकिन कितना होगा इसका जिक्र नहीं था। शिक्षकों की इस भर्ती के लिए लिखित परीक्षा 6 जनवरी 2019 को राज्य के 800 परीक्षा केंद्रों पर कराई गई। इसके ठीक एक दिन बाद 7 दिसंबर 2018 को न्यूनतम कटऑफ की घोषणा की गई।
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