भारतीय सेना के बेड़े में शामिल होगा 'विभ्रम' जानिए कैसे इसे आइआइटी कानपुर ने बनाया है खास

Published : May 04, 2022, 02:22 PM IST
भारतीय सेना के बेड़े में शामिल होगा 'विभ्रम' जानिए कैसे इसे आइआइटी कानपुर ने बनाया है खास

सार

पहले ही कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों को अपने नाम कर चुका विभ्रम ड्रोन जल्द ही भारतीय सेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा। इसे भारतीय सेना की उत्तरी कमान अपने बेड़े में शामिल करेंगी। यह उत्तरी कमान के नार्थटेक सिंपोजियम 2022 में प्रमुख स्वदेशी तकनीक के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा। 

कानपुर: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की इन्कयूबेटेड कंपनी एंड्योर एयर की ओर से बनाया गया विभ्रम जल्द ही भारतीय सेना की उत्तरी कमान के बेड़े में शामिल होगा।यह एक सबसे उम्दा ड्रोन है। इस ड्रोन को 6 व 7 मई को ऊधमपुर में आयोजित हो रहे उत्तरी कमान के नार्थटेक सिंपोजियम 2002 में प्रमुख स्वदेशी तकनीक के रूप में प्रदर्शित किया जा रहा है। 

खास तकनीकि से किया गया है विकसित

आइआइटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने जानकारी देते हुए बताया कि संस्थान के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अभिषेक औऱ एंड्योर एयर की टीम के द्वारा इसे विकसित किया गया है। तकरीबन डेढ़ वर्ष पूर्व विभ्रम को बनाया गया था। छोटे हेलीकाप्टर के आकार में तैयार किया गया यह पहला ऐसा ड्रोन है जो सर्विलांस के साथ ही अधिकतम दूरी तक 5 किलोग्राम से ज्यादा का सामान ले जाने में भी सक्षम है। 

गौरतलब है कि बीते वर्ष इसी ड्रोन के द्वारा तीन पुरस्कार हासिल किए गए थे। यह पुरस्कार अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड एंड टेक्नोलॉजी की ऑनलाइन प्रतियोगिता में हासिल किए गए थे। इस ड्रोन के मुकाबले में कई अन्य देशों के यूएवी(मानव रहित विमान) शामिल हुए थे। इसमें आस्ट्रेलिया, अमेरिका, चीन, इंग्लैंड, इजराइल, फ्रांस आदि प्रमुख थे। 

लंबी दूरी तक निगरानी और सामान ले जाने में सक्षम

इस ड्रोन को इलेक्ट्रिक और पेट्रोल वर्जन में बनाया गया है। यह असाधारण क्षमता का है और आंधी, तूफान, बिगड़ते मौसम में ऊंची पहाड़ियों, मैदानों और लंबी दूरी पर निगरानी करने और सामान ले जाने में सक्षम हैं। इसकी मदद से आपातकालीन सहायता को पहुंचाना भी आसान होगा। बताया गया कि विभ्रम का इलेक्ट्रिक वर्जन 18 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है। यह कैमरे की मदद से सर्विलांस करने में भी सक्षण है। फिलहाल पेट्रोल वर्जन का ट्रायल 12500 फीट की ऊंचाई तक हो चुका है। इसमें आवाज को रोकने के लिए साइलेंसर भी लगाया गया है। 

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