अयोध्या की ऐतिहासिक इमारत में बसपा का कब्जा, नोटिस के बाद भी नहीं कर रहे हैं खाली

राम जन्मभूमि मामले को लेकर पिछले चार दशक से पूरे देश ही नहीं दुनिया की निगाहें अयोध्या पर टिकी हैं। आपको बता दें, अयोध्या में राम जन्मभूमि के अलावा कई ऐसी जगह हैं, जिनका महत्व इतिहास के पन्नों में है, लेकिन वो इतनी फेमस नहीं हैं। इन्हीं में से एक है बहू बेगम का मकबरा। इसकी इमारत अपनी खूबसूरती के लिए फेमस है। hindi.asianetnews की टीम जब यहां पहुंची तो मकबरे की जमीन और बिल्डिंग में अवैध कब्जा देखने को मिला।

अयोध्या/लखनऊ(Uttar Pradesh).  राम जन्मभूमि मामले को लेकर पिछले चार दशक से पूरे देश ही नहीं दुनिया की निगाहें अयोध्या पर टिकी हैं। आपको बता दें, अयोध्या में राम जन्मभूमि के अलावा कई ऐसी जगह हैं, जिनका महत्व इतिहास के पन्नों में है, लेकिन वो इतनी फेमस नहीं हैं। इन्हीं में से एक है बहू बेगम का मकबरा। इसकी इमारत अपनी खूबसूरती के लिए फेमस है। hindi.asianetnews की टीम जब यहां पहुंची तो मकबरे की जमीन और बिल्डिंग में अवैध कब्जा देखने को मिला। इमारत में बहुजन समाज पार्टी का ऑफिस बना है। इसको लेकर टीम ने मकबरे के ट्रस्टी अशफाक हुसैन जिया से बात की।

21 साल से चल रहा है बसपा का कार्यालय
मकबरे के ट्रस्टी व शिया वक्फ बोर्ड के सदस्य अशफाक ने बताया, 2004 के पहले इस मकबरे का सर्वाधिकार जिलाधिकारी के पास होता था। उसी दौरान उन्होंने बसपा के लोगों को ये कार्यालय किराए पर दे दिया था। मकबरे में मुख्य मार्ग के गेट पर बने कमरे को उन्होंने किराए पर दिया था। लेकिन साल 2004 से मकबरा वक्फ की सम्पत्ति घोषित हो गई। जिसके बाद बसपा को कमरा खाली कर देना चाहिए था। 

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2017 में भेजा था किराएदारी खत्म करने का नोटिस
अशफाक के मुताबिक, साल 2012 में शिया वक्फ बोर्ड ने मुझे इस मकबरे का मुतवल्ली (ट्रस्टी) बनाया। जिसके बाद से मैं लगातार इस पर लिखापढ़ी कर रहा हूं। किसी ऐतिहासिक धरोहर की इमारत को इस तरह किराए पर देना सही नहीं है। मैंने जिलाधिकारी को दो बार पत्र लिखा। बसपा के जिलाध्यक्ष को भी आफिस खाली करने और उनके किराएदारी समाप्त करने का नोटिस भेजा। लेकिन आज तक न तो आफिस खाली हुआ और न ही प्रशासन के लोगों ने इसमें कोई इंटरेस्ट लिया।

बीएसपी कार्यालय के नाम से हुआ है एलाटमेंट 
बीएसपी जिलाध्यक्ष महेंद्र प्रताप आंनद का कहना है, जिलाधिकारी द्वारा कार्यालय के लिए जगह दी गई थी। हम उसका किराया जमा करते हैं। साढ़े 350 रुपए प्रति माह किराया है। वक्फ की तरफ से हमे कोई नोटिस नहीं दी गई। हमने ये बात जिला प्रशासन को भी बताई थी। हालांकि, हमारा करीब एक साल से किराया जमा नहीं हो पाया है। उसे हम जल्द ही जमा कर देंगे। 

सरकार वक्फ की प्रॉपर्टीज को लेकर सख्त: बीजेपी 
इस बारे में यूपी बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी का कहना है कि सपा-बसपा दोनों पार्टियां मुसलमानो की हितैषी बनती हैं ,लेकिन वक्फ की सबसे ज्यादा प्रॉपर्टीज उन्ही के सरकार में कब्जा हुई हैं। वक्फ की बहुत सी सम्पत्तियां विवादों में भी हैं जिनका मुकदमा भी चल रहा है। इस प्रकरण की भी जांच होने के बाद सच्चाई सामने आ जाएगी। 

प्रशासन को नहीं है पता 
इस बारे में जब तहसीलदार सदर रमेश कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें इस प्रकरण की कोई जानकारी नहीं है। ये वक्फ वाले ही बता सकते हैं कि वहां किसी राजनीतिक दल का आफिस क्यूं है। मेरे पास आज तक वक्फ की तरफ से कोई शिकायत नहीं आई है। 

अवध के ऐतिहासिक महत्व की है इमारत
बेशकीमती पत्थरों से बना 42 मीटर ऊंचा बहू बेगम मकबरा अयोध्या के नाका इलाके में स्थित है। मकबरे के ट्रस्टी और शिया वक्फ बोर्ड के सदस्य अशफाक हुसैन ने बताया, मकबरे की परिकल्पना अवध के तीसरे नवाब शुजाउदौला ने की थी। वो अपनी पत्नी से बेइंतिहा प्यार करते थे और उनके लिए ताजमहल जैसा मकबरा बनवाना चाहते थे। लेकिन बीमारी के चलते उनकी मृत्यु हो गई। उस समय तक मकबरे का कुछ काम ही पूरा हो पाया था।



पति-पत्नी दोनों नहीं बनवा पाए मकबरा
पति की इच्छा पूरी करने के लिए उनकी पत्नी बेगम उम्मत-उल-जोहरा उर्फ बहू बेगम ने इस मकबरे का निर्माण जारी रखा। कुछ समय बाद उनकी भी मृत्यु हो गई। जिसके बाद इसका निर्माण कार्य इनके सबसे खास सिपहसालार दाराब अली खान ने सन 1816 में इसे पूरा करवाया।

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