
लखनऊ (Uttar Pradesh). नागरिकता कानून के विरोध में यूपी में एक ओर जहां पुलिसवालों पर पत्थर फेंके जा रहे थे। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्हें इन पुलिसवालों की फिक्र भी थी। सोशल मीडिया पर हिंसा के दौरान कुछ पुलिसकर्मियों की मदद करने की एक पोस्ट वायरल हो रही है।
क्या है पूरा मामला
सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले आईपीएस नवनीत सिकेरा ने एक अपने अकाउंट पर एक पोस्ट किया है। पोस्ट के अनुसार, बीते 20 दिसंबर को सीएए के विरोध में यूपी के कई जिलों में हिंसक प्रदर्शन हो रहे थे। मुरादाबाद जिले के आसपास के जिलों में भी उग्र प्रदर्शन हुए। ऐतिहातन मुरादाबाद में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कर दी गई। जिस वजह से जिले में कोई हिंसक घटना नहीं हुई।
21 दिसंबर को सिविल लाइन के पीली कोठी चौराहे पर ड्यूटी पर तैनात 3 ट्रेनी दारोगा सुशील सिंह राठौर, गौरव शुक्ल और विजय पांडे पास के एक रेस्टोरेंट में नाश्ता करने गए। खाना खाकर जैसे बिल पेमेंट करने गए तो पता चला कि एक फैमिली ने उनका बिल पैमेंट कर दिया। साथ ही एक मैसेज भी छोड़ा कि जब ये लोग हमारी सुरक्षा के लिए अपना घर परिवार छोड़ कर दिन-रात हमारे लिए खड़े रहते हैं तो इनके प्रति भी हमारा कुछ कर्तव्य बनता है। जब पुलिसकर्मियों ने उस फैमिली के बारे में पूछा तब तक वो वहां से जा चुकी थी। लेकिन पुलिसकर्मियों द्वारा खाना खाने के दौरान ली एक फोटो में उस फैमिली के एक शख्स की फोटो कैद हो गई।
कौन था पुलिसकर्मियों का बिल पेमेंट करने वाला अनजान शख्स ?
रेस्टोरेंट में पुलिसकर्मियों के खाने का बिल जमा करने वाले मुरादाबाद के ही रहने वाले कारोबारी राजेश भारतीय थे। 21 दिसंबर की शाम वो अपनी फैमिली के साथ रेस्टोरेंट में गए थे। उन्होंने कहा, मेरी सोच ये थी कि पुलिस को कौन समझता है, जबकि वो हर स्थिति में कितनी परेशानियों में हमारे लिए ड्यूटी देते हैं। ठंडी हो या गर्मी कोई चिंता नहीं करते। पुलिसकर्मियों ने पोस्ट में जो मार्मिक शब्दों का इस्तेमाल किया, वैसा मेरा कोई उद्देश्य नहीं था। उनके द्वारा सेल्फी में मेरी फोटो आ गई और मुझे पहचान लिया। मेरा यही कहना है कि देश की सेवा में रात और दिन काम करने वाले के लिए यह मेरा कर्तव्य है।
पुलिसकर्मियों का क्या है कहना
फेसबुक पर पोस्ट करने ट्रेनी दरोगा सुशील कुमार सिंह का कहना है, अभी तक तो हमें ऐसा लगता था कि लोग पुलिस को बुरा ही समझते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पुलिस का सम्मान भी करते हैं। ये व्यवहार हमारे लिए नहीं वर्दी के लिए था। हमें ये अच्छा लगा और हमने लिखकर पोस्ट कर दिया। दोस्तों और परिवार को दिखने के लिए पोस्ट किया था कि कुछ लोग अच्छे विचार वाले भी हैं।
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