हिंदू महासभा कमलेश तिवारी की हत्या करने वाले दोनों आरोपियों अशफाक और मोइनुद्दीन से पुलिस ने गुरुवार को करीब छह घंटे तक पूछताछ की। जिसमें आरोपियों ने अपने जुर्म को बयां किया। पूछताछ के बाद दोनों को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुदेश कुमार के आदेश पर 2 दिन के लिए पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया।
लखनऊ (Uttar Pradesh). हिंदू महासभा कमलेश तिवारी की हत्या करने वाले दोनों आरोपियों अशफाक और मोइनुद्दीन से पुलिस ने गुरुवार को करीब छह घंटे तक पूछताछ की। जिसमें आरोपियों ने अपने जुर्म को बयां किया। पूछताछ के बाद दोनों को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुदेश कुमार के आदेश पर 2 दिन के लिए पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया।
हत्या करने से पहले पढ़ी थी नमाज
पूछताछ में हत्यारोपियों ने बताया, 18 अक्टूबर की सुबह करीब साढ़े दस बजे वो होटल से खुर्शेदबाग के लिए निकले थे। रास्ते में दरगाह में नमाज पढ़ी। उन्हें कमलेश के दफ्तर का पता नहीं मालूम था। लोगों से पूछते वो वहां पहुंचे। दफ्तर में उनका गार्ड सो रहा था, नीचे कोई नहीं था। कमलेश ने अपने कर्मचारी सौराष्ट्र को बता रखा था कि, कुछ मेहमान आने वाले हैं। इसी का उन्होंने फायदा उठा लिया और 20 मिनट के अंदर हत्याकांड को अंजाम दिया। वो कमलेश का सिर धड़ से अलग करना चाहते थे, इसीलिए गला रेता था। यही नहीं, जिहादियों की तरह पूरी घटना का वीडियो बनाकर दहशत फैलाना चाहते थे। ताकि आगे से कोई विवादित टिप्पणी न कर सके। लेकिन पकड़े जाने के डर से उन्हें वहां से भागना पड़ा।
पहली बार में हिम्मत नहीं जुटा पाए थे आरोपी
हत्यारोपी अशफाक ने पूछताछ में बताया, हम कमलेश से बातचीत तो कर रहे थे, लेकिन अंदर से हम बहुत घबराए हुए थे। मोइनुद्दीन ने कहा, मैंने अपने जीवन में एक चींटी तक नहीं मारी थी और जिसकी हत्या करने गया था वो मेरे सामने बैठा था। हाथ पांव ढीले पड़ रहे थे। अपनी घबराहट को दूर करने के लिए हमने सिगरेट मांगी, जिसे कमलेश ने अपने कर्मचारी रौराष्ट्र से मंगाई। सिगरेट पीने के बाद हमारे अंदर हिम्मत आई और हमने अपने इरादे के बारे में मन में दोहराया। कमलेश का बयान कानों में गूंजने लगा और फिर मौका देखकर उसकी हत्या कर दी। मिठाई के डिब्बे में हम कोई हथियार छिपाकर नहीं ले गए थे। उसमें सिर्फ रसीदें थीं, हम चाहते थे जांच में हमारा नाम सामने आए।
कमलेश की हत्या कर देना चाहते थे संदेश
अशफाक ने बताया, हम यह संदेश देना चाहते थे जो धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने वाले बयान देगा, उसका यही अंजाम होगा। इसीलिए हर जगह हम असली आईडी लगा रहे थे और सबूत छोड़ते हुए जा रहे थे। हम लखनऊ में ही सरेंडर करना चाहते थे, लेकिन कमलेश पर हमला करते समय मैंने जो गोली चलाई, वह मोइनुद्दीन के हाथ में लगी। वहीं, गला रेतने के समय भी मोइनुद्दीन का हाथ छिल गया था। मदद के लिए नागपुर के आसिम अली व सूरत के रशीद से बात की थी। रशीद ने हमें बरेली जाने को कहा। बता दें, पुलिस ने बरेली में मदद करने वाले मौलाना कैफी अली भी गिरफ्तार कर लिया है। उसे 14 दिन के लिए जेल भेज दिया गया है।