कानपुर ज्योति हत्याकांड: बेटी के हत्यारों को मिली सजा तो छलका बुजुर्ग पिता का दर्द, कहा- अब मिली कलेजे को ठंडक

यूपी के कानपुर का चर्चित ज्योति हत्याकांड के 6 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। ज्योति के बुजुर्ग पिता के चेहरे पर एक सुकून दिखा। आठ साल के लंबे संघर्ष के बाद उनकी बेटी को न्याय मिल गया। 

कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में 8 साल पहले हुए चर्चित ज्योति हत्याकांड के हत्यारों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। बेटी के कातिलों को सजा सुनाए जाने के बाद ज्योति के बुजुर्ग पिता शंकर नागदेव के कलेजे को जो ठंडक मिली, उसने आठ साल के संघर्ष के दौरान हुई शारीरिक और मानसिक थकान को पूरी तरह से मिटा दिया। कोर्ट से बाहर निकलते समय शंकर नागदेव के चेहरे पर एक चमक मौजूद थी लेकिन उनकी आंखों में आंसू भी थे। बेटी के कातिलों को सजा दिलाने के लिए वह 8 साल तक लगातार संघर्ष करते रहे। 

6 आरोपियों को हुई उम्र कैद की सजा
मृतका ज्योति के पति पीयूष श्यामदासानी, पीयूष की प्रेमिका मनीषा मखीजा, मनीषा के ड्राईवर अवधेश चतुर्वेदी, रेनू कनौजिया, सोनू कश्यप और आशीष कश्यप को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। ज्योति के पिता के अनुसार, एक पल के लिए ज्योति के जन्म से लेकर मृत्यु तक का सारा वाक्या उनके जहन में कौंध उठा। ज्योति का जन्म 1 सितंबर 1988 को जबलपुर में हुआ था। शंकर नागदेव अपनी बेटी ज्योति उर्फ पूजा के छोटे-छोटे हाथों को पकड़कर उसको घुमाना जैसे कल की बात हो। पूजा की सभी यादें आज भी उनके दिल में हैं। ज्योति के पति अपनी बेटी के बारे में बता करते हुए कहते हैं कि उनकी बेटी ने गोल्ड मेडलिस्ट बनकर ना सिर्फ परिवार बल्कि पूरे शहर का नाम रोशन किया था। 

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कानपुर में हुई थी ज्योति की शादी
28 नवंबर 2012 का दिन नागदेव परिवार के लिए खुशियों का एक अनूठा तोहफा लेकर लाया था। इस दिन ज्योति उर्फ पूजा की शादी कानपुर के पीयूष के साथ हुई और वह अपने पिता का घर छोड़कर पति के घर आ गई। शादी के बाद उसे ससुराल से ज्योति नाम मिला। लेकिन ससुराल में मायके सा प्यार नहीं मिला। जिस पति ने शादी के दौरान सात वचन निभाने की बात की थी वह सात दिन भी ज्योति को खुशी नहीं दे सका। जिस पति के प्यार के लिए ज्योति तरसती थी। वही पति अपनी प्रेमिका के साथ मिलकर उसकी जान का दुश्मन बन गया।  

पति ने प्रेमिका के साथ मिलकर करवाया था ज्योति का मर्डर
माता-पिता को दुख ना हो इसलिए ज्योति चुपचाप सब सहती रही। कई बार उसने बातों ही बातों में अपने परिवार को कुछ बताने की कोशिश की तो घरवाले उसकी बातों को समझ नहीं पाए। 27 जुलाई 2014 की वो मनहूस रात आई जिसने शंकर के परिवार पर ऐसा वज्रपात किया जिसका दंश कभी नहीं मिट सकता। जिस बेटी को उन्होंने नाजों से पाला था, उसी बेटी की ससुराल से अर्थी निकल रही थी। ज्योति की हत्या के बाद शंकर नागदेव ने कसम खा ली कि जब तक वह अपनी बेटी के हत्यारों को सजा नहीं दिलवाते तब तक वह चैन से नहीं बैठेंगे। आखिर 21 अक्तूबर 2022 को वह दिन आया जब ज्योति के हत्यारों को उम्रभर जेल की सीखचों के पीछे रहने की सजा कोर्ट ने सुनाई।

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