जानिए 8 साल पुराने ज्योति हत्याकांड की कहानी, पति ने प्रेमिका को किया 18 बार फोन, पुलिस ने खंगाले 13000 कॉल

कानपुर के ज्योति हत्याकांड में 8 साल बाद 6 गुनहगारों को कोर्ट ने शुक्रवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अरबपति पीयूष श्यामदासानी ने पत्नी ज्योति की हत्या के लिए फूलप्रूफ प्लानिंग की थी। इतना ही नहीं इससे पहले दो बार हत्या की योजना बना चुका था। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 22, 2022 8:44 AM IST / Updated: Oct 28 2022, 10:16 AM IST

कानपुर: उत्तर प्रदेश के जिले कानपुर का बहुचर्चित ज्योति हत्याकांड के आठ साल बाद पति पीयूष श्यामदासानी और उसकी प्रेमिका मनीषा मखीजा समेत छह गुनहगारों को कोर्ट ने शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। जिसमें पीयूष का कार ड्राइवर अवधेश चतुर्वेदी, रेनू कनौजिया, सोनू कश्यप व आशीष कश्यप भी शामिल है। इन सभी आरोपियों पर 2.18 लाख रुपए  का जुर्माना भी लगाया गया और यह धनराशि ज्योति की मां को दी जाएगी। वहीं दूसरी ओर कोर्ट ने पीयूष की मां पूनम, भाई मुकेश और चचेरे भाई कमलेश को गुनाह साबित न होने पर बरी कर दिया। सालों से संघर्ष के बाद न्याय मिलने पर ज्योति के पिता शंकर नागदेव की आंखों में आंसू छलक पड़े और कहा कि बेटी को मारने की क्या जरूरत थी, तलाक दे देता। अरबपति पीयूष श्यामदासानी ने पत्नी की हत्या करने के मामले में पूरी प्लॉनिंग कर रखी थी।

13000 कॉल डिटेल के साथ 2200 डिलीट हो चुके मैसेज किए पुनर्जीवित
ज्योति हत्याकांड को इंसाफ के मुकाम तक पहुंचाने के लिए पुलिस को कड़ी मेहनत करनी पड़ी क्योंकि कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं था। यह वारदात किसी सीसीटीवी फुटेज में कैद नहीं हुई बल्कि रात के अंधेरे में अपराध हुआ था। ज्योति की हत्या का मास्टरमाइंड खुद उसका पति पीयूष था और पुलिस किसी को मौके पर पकड़ा भी नहीं पाई थी। हत्यारे प्रेमी-प्रेमिका दोनों करोड़पति खानदानों के थे, वह हर एक सबूत व गवाहों को अपने अनुसार प्रतिकूल कर सकते थे। 

इस तरह की परिस्थिति में उन्हें उम्रकैद की सजा दिलाना आसान नहीं था। पुलिस ने जब हत्या की जांच शुरू की तो तभी से वैज्ञानिक आधार तैयार किए और कातिलों को जिंदगी भर को जेल पहुंच गए हैं। यहां तक पहुंचने के लिए पुलिस ने 13 हजार कॉल डिटेल छानीं, 22 सीसीटीवी कैमरों की घंटों फुटेज खंगालीं। इतना ही नहीं 12 सिम के अलाट होने से उनका उपयोग होने तक का भी सफर पकड़ा। पुलिस को जिस पर भी शक हुआ, गूगल मैप के जरिए उसकी लोकेशन टैग कराई। इतना ही नहीं डिलीट हो चुके 2200 मैसेज को पुनर्जीवित कर लड़ाई जीती है। यूं कह सकते है कि पुलिस ने हत्या की गुत्थी को सुलझाने के लिए इलेक्ट्रानिक सबूतों से जीती है।

हत्या के दिन पति और उसकी प्रेमिका के बीच हुई थी 18 बार फोन में बात
पुलिस को ज्योति के पति पीयूष पर शक होते ही सबसे पहले उसके मोबाइल से ही छानबीन शुरू की। वहीं से सुराग लगा भाड़े के हत्यारों और प्रेमिका मनीषा मखीजा का। पुलिस ने घर से कत्ल के मौके के बीच के पांच बीटीएस के 80 हजार मोबाइल के डाटा में से 13 हजार कॉल की गहरी छानबीन की गई है। इस जांच में खुलासा हुआ कि पीयूष और मनीषा के बीच 5500 कॉल हुई, 2200 मैसेज हुए जिनकों बाद में डिलीट कर दिया गया। पुलिस गुत्थी को सुलझाने के लिए और गहराई में गई तो कत्ल के दिन यानी 27 जुलाई को ही दोनों के बीच 18 बार में 7045 सेकेंड यानी 117 मिनट बात हुई थी। 

इतना ही नहीं दोनों ने फर्जी नाम से सिम ले रखा था। पुलिस ने इनका भी इतिहास खंगाला और चार मोबाइल कंपनियों से डाटा जुटाया। वहीं रेस्टोरेंट वरांडा व बाहर से 27 जुलाई के आठ सीसीटीवी फुटेज लिए। इसके अलावा पुलिस ने 24 जुलाई के मॉल के छह सीसीटीवी कैमरों से एंट्री व चाकू खरीदने के नौ फुटेज जुटाए। इन सभी फुटेज को साफ्टवेयर के जरिए और साफ कराया गया और मोबाइल से डिलीट मैसेज रिकवर कराए। फुटेज को साफ्टवेयर के जरिए और साफ कराया गया। मोबाइल से डिलीट मैसेज रिकवर कराए। ये परिस्थिति जन्य सबूत थे पर इनका वैज्ञानिक आधार ने इन्हें मजबू बना दिया।

ज्योति को मारने के लिए पति पीयूष ने कई बार किया प्रयास, तीसरी बार कामयाब
पुलिस की विवेचना में यह भी सामने आया था कि ज्योति की हत्या का षड्यंत्र काफी दिन पहले ही रच लिया गया था। सबसे पहले 13 जुलाई को इटावा के पास एक क्लब में रेन पार्टी के नाम पर ज्योति को ले जाया गया लेकिन वह पार्टी भी निर्धारित समय से एक घंटे पहले खत्म हो गई जिसके चलते पीयूष की साजिश सफल नहीं हो सकी थी। उसके बाद एक बार फिर 20 जुलाई को हत्या की योजना बनाई गई थी। पीयूष ज्योति को गंगा बैराज ले गया था लेकिन भारी बारिश के चलते हत्यारे समय पर नहीं पहुंचे और एक बार फिर पूरा प्लान फेल हो गया। तीसरी बार 27 जुलाई को हत्या की योजना बनाई और इस बार पीयूष अपने मकसद में कामयाब हो गया। 

इस हत्या के मामले में पुलिस अफसरों ने आरोपी अवधेश, रेनू और सोनू से बयान सुने तो वह भी सुनकर सन्न रहे गए थे। वे बोले कि पीयूष ने चाकू खरीदवाए। 27 जुलाई के दिन जब पीयूष कार से उतरने लगा तो ज्योति को कुछ गलत होने की भनक लग गई थी। इस वजह से उसने पीयूष की कॉलर और बाल पकड़े सब समझ रही हूं। इसके बाद पीयूष उसको धक्का देकर बोला कि चुपचाप अंदर बैठ जाओ। इसके बाद रेनू और सोनू ने ताबड़तोड़ ज्योति पर चाकू से हमला करना शुरू कर दिया था। ज्योति चिल्लाती रही पीयूष प्लीज बचा लो ...ये क्या कर रहे हो... बचा लो..लेकिन पीयूष ने हंसते हुए मुंह घुमा लिया था। इस दौरान अवधेश गाड़ी चला रहा था, उसने पुलिस को बताया कि वह जितनी तेज गाड़ी चला रहा था उतनी ही तेज रेनू और सोनू ज्योति के शरीर पर चाकू चला रहे थे। सीएसए मोड़ से रावतपुर स्टेशन तक उन्होंने 17 हमले किए और फिर गुरुदेव आते-आते उसकी सांसे थम गई थी। इसी बीच पीयूष का ज्योति के नंबर पर कॉल आया तो हत्यारों से पूछा क्या हुआ...जरा चीखें तो सुनवाओ। जिसपर हत्यारों ने कहा कि ज्योति मर चुकी है।

ज्योति हत्याकांड में पुलिस ने इस तरह से जोड़ी कड़ी दर कड़ी
पुलिस ने चार्जशीट में 27 जुलाई 2014 को पीयूष, प्रेमिका मनीषा मखीजा, ड्राइवर अवधेश, रेनू, आशीष के बीच हुई बातचीत को सिलसिलेवार क्रम जोड़ा तो हत्या की साजिश की कड़ियां जुड़ती चली गई। चार्जशीट के अनुसार पीयूष का दूसरा मोबाइल वारदात के दिन सुबह 10:11 बजे से रात 10.56 बजे तक ऑन रहा था। वहीं दूसरी ओर पीयूष के पहले मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल के जरिए पुलिस पान मसाला कारोबारी की बेटी मनीषा मखीजा तक पहुंची। इस दिन पीयूष ने शाम को 7:49 बजे अवधेश से बात की थी फिर तुरंत बाद उसने शाम 7.50 बजे मनीषा से 1236 सेकेंड बात की। इतना ही नहीं पीयूष ने रात 9:05 बजे अवधेश से बात की और इसके बाद 9:09 पर फिर से प्रेमिका मनीषा से बात की। इन सबके अलावा वारदात से ठीक पहले पीयूष ने रात 9:55 बजे फिर अवधेश से 16 सेकेंड बात की। उसके बाद 9:56 बजे मनीषा से 776 सेकेंड बात की। पीयूष ज्योति को अवधेश के पांडुनगर घर से रात 9:05 बजे बात करने के बाद घर से निकला था। पुलिस ने इन्हीं कॉल के आधार पर गूगल मैंपिग भी कराई थी। ज्योति की हत्या से पहले रेनू के मोबाइल से आशीष को फोन किया गया था। पुलिस को दोनों की लोकेशन वीआईपी रोड पर मिली थी। वहीं सोनू ने आशीष को कॉल किया तो सोनू की लोकेशन कंपनी बाग से रावतपुर रोड पर मिली थी।

जानिए ज्योति की हत्या के बाद हत्यारों के साथ कब क्या हुआ
27 जुलाई 2014 को ज्योति की चाकू से गोदकर हत्या की गई थी
30 जुलाई 2014 को पीयूष को जेल भेजा गया था
7 सितंबर 2017 को पीयूष की पहली जमानत याचिका हाईकोर्ट से हुई थी खारिज 
31 जुलाई 2019 को पीयूष की दूसरी जमानत याचका हुई थी खारिज 
15 अक्टूबर 2020 को हाईकोर्ट ने पीयूष को दे दी थी जमानत 
20 अक्टूबर 2022 को पियूष उसकी प्रेमिका मनीषा सहित 6 को कर दिया दोषी करार

कोर्ट में दाखिल हुई 2700 पेज की केस डायरी, मॉल से खरीदा था चाकू
इस जघन्य हत्याकांड की विवेचना के लिए एक मुख्य विवेचक के साथ ही छह सह विवेचकों की टीम लगाई गई थी। कोई सीसीटीवी फुटेज खंगाल रहा था तो कोई कॉल डिटेल रिपोर्ट के आधार पर मोबाइल नंबरों की जांच कर रहा था। पुलिस ने कोर्ट में 2700 पेज की केस डायरी फाइल की थी। ज्योति की हत्या में इस्तेमाल चाकू को फॉरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजा गया। जिसमें चाकू और ज्योति का खून का मिलान हुआ और फॉरेंसिक की रिपोर्ट और चाकू को कोर्ट में सबूत के रूप में पेश किया गया था। पुलिस को वो सीसीटीवी फुटेज भी मिला हैं, जिसमें आरोपी रेनू कनौजिया और आशीष 21 जुलाई 2014 को रेव-थ्री मॉल से चाकू खरीदते दिखे। कोर्ट में पुलिस ने इसे भी पेश किया था।

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