Inside Story: यूपी के तराई जिले पीलीभीत में नदारद हैं स्थानीय मुद्दे, पक्ष-विपक्ष की खामियों पर हो रहा चुनाव

उत्तराखंड की सीमा से सटे बरेली मंडल के तराई जिले पीलीभीत में चौथे चरण का चुनाव 23 फरवरी को होना है लेकिन सारे दल और उनके प्रत्याशियों के लिए स्थानीय मुद्दे कोई महत्व नहीं रख रहे। पक्ष और विपक्ष की खामियों पर यहां चुनाव लड़ा जा रहा है। सारे दलों के नेता और प्रत्याशी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। चुनाव के दौरान भी पीलीभीत के मतदाता अपनी समस्याओं की अनसुनी पर खुद को ठगा महसूस कर रही है। 

राजीव शर्मा
बरेली: यूपी के बरेली मंडल के जिला पीलीभीत उत्तर प्रदेश का तराई इलाका है। यह उत्तराखंड से सटा और किसान-सिख बाहुल्य है। नतीजतन, यहां खेती-बाड़ी खूब होती है। यहां चौथे चरण में चुनाव हो रहा है और 23 फरवरी को मतदान है। नतीजतन, जिले की सभी चारों विधानसभा सीटों पर सारे प्रत्याशी और सभी दलों के नेता मतदाताओं को लुभाने के लिए जनसभाएं तथा जनसंपर्क कर रहे हैं। अभी यहां भाजपा के पक्ष में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अमित शाह की सभा होती है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को भी सभा करना है लेकिन अब तक जितने भी नेताओं ने यहां जनसभाओं को संबोधित किया है, सबने स्थानीय मुद्दों के बजाय अपनी-अपनी सरकार की उपलब्धियां ही गिनाई हैं। एक-दूसरे पर आरोप मढ़े हैं लेकिन जिले के लोगों की मूल समस्याओं पर कोई बात नहीं की है। ऐसे में, यहां के मतदाता निराश हैं। उनको उम्मीद थी कि चुनाव से पहले न सही, चुनाव के दौरान तो नेता उनके मुद्दों और प्रमुख समस्याओं के निराकरण की बात करेंगे लेकिन कोई उन पर चर्चा नहीं कर रहा।

पीलीभीत में यह हैं स्थानीय मुद्दे
पीलीभीत के स्थानीय मुद्दों में कई समस्याएं शामिल हैं। फसल का पर्याप्त समर्थन मूल्य न मिलना जिले के किसानों का बड़ा मुद्दा है। किसानों की फसलों को जंगली जानवर तो नष्ट करते ही हैं, आवारा पशु भी फसलों को चट कर जाते हैं। खाद, कीटनाशक, बीज, मजदूरी आदि सब कुछ महंगा है, लेकिन समर्थन मूल्य न के बराबर बढाया जाता है। गांव देहात को जोड़ने वाली सड़कों की हालत भी बेहद खराब है। अधिकांश संपर्क मार्ग बदतर हैं। कोविड के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए जिले में पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं हैं। चिकित्सा सुविधाएं बद से बदतर हैं। मझोला की सहकारी चीनी मिल काफी दिनों से बंद पड़ी है। कोई भी नई फैक्ट्री जिले में नहीं लग पाई है। मेडिकल कॉलेज की स्थापना भी अधर में अटकी हुई है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी कोई खास काम नहीं हुआ है। युवा बेरोजगार हैं, उन्हें रोजगार से जोड़ने पर नौकरी दिलवाने के प्रयास भी कागजों में ही हो रहे हैं। वहीं, मंडल मुख्यालय बरेली को जाने वाली सड़क बेहद खराब है। हजारों लोग रोजाना यहां से बरेली जाते हैं और काफी दिक्कतें उठातें हैं लेकिन उनकी कोई नहीं सुनता। 

Latest Videos

गांवों की गलियों में कीचड़ खोल रही विकास की पोल
पीलीभीत में बरसात के चलते गांव की गलियों में कीचड़ का साम्राज्य स्थापित हो गया। प्रत्याशी इन गलियों में ही होकर डोर टू डोर जनसंपर्क कर रहे हैं। सामान्य मौसम में मतदाता अपने गांव की इस दुर्दशा के बारे में बताने में भले संकोच करते लेकिन इंद्रदेव ने विकास की पोल खोल कर रख दी तो हाल सबने देखा। बरसात से गलियों में जलभराव व कीचड़ ने फिसलन बढ़ा दी। लोगों का निकलना मुश्किल हो रहा है। इस दुर्दशा का ठीकरा सत्ताधारी पार्टी व मौजूदा जनप्रतिनिधियों के सिर फोड़ा जा रहा है लेकिन उनका तर्क है कि गांवों की गलियां दुरुस्त कराना ग्राम प्रधान का काम है लेकिन यह बात भी सच है कि प्रदेश की सरकार व मौजूदा जनप्रतिनिधि भी इसके लिए कहीं न कहीं जिम्मेदार हैं। जब जनप्रतिनिधि किसी तिरपाल, खपरैलपोश घर या झुग्गी झोपड़ी में मौजूद लोगों से मिलने जाते हैं तो शायद उन्हें इस बात की शर्म भी महसूस होती होगी कि झुग्गी झोपड़ी में बसर करने वालों केंद्र सरकार 2022 तक सबको आवास देने का वादा कर चुकी है तो यह लोग इस हाल में क्यों हैं, लेकिन वे इस पर कोई बात करने से बचते हैं। 

सभी सीटों पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी
पीलीभीत जिले की चारों विधानसभा सीटों पर कुल 43 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इनमें से लगभग आधे प्रत्याशी किसी न किसी राजनीतिक दल से हैं। यह सब प्रत्याशी इस समय वोट मांगने में जुटे हुए हैं। सुबह से लेकर शाम तक चुनाव प्रचार के लिए प्रत्याशी संबंधित क्षेत्रों में रहते हैं लेकिन जनता की स्थानीय समस्याओं व मुद्दों को चुनाव में मुद्दा बनाकर चुनाव नहीं लड़े जाने से लोग निराश हैं। प्रत्याशी अपनी पार्टी के घोषणा पत्र व संकल्प पत्र के आधार पर ही लोगों को जानकारी देकर वोट मांग रहे हैं। 

भ्रष्टाचार पर सबकी बोलती बंद
भ्रष्टाचार एक बड़ा चुनावी मुद्दा हो सकता है लेकिन किसी भी पार्टी ने इसे अपने घोषणापत्र में शामिल नहीं किया है और न ही कोई पार्टी या उनका प्रत्याशी भ्रष्टाचार पर मुंह खोलने को तैयार है। जहां भी जनता जाती है लूटी जाती है। थाना, तहसील, कचहरी या कोई भी सरकारी दफ्तर हो हर जगह बिना घूस के कोई काम नहीं होता है। लोगों का कहना है कि भ्रष्टाचार दोगुना हो गया। इस भ्रष्टाचार को भाजपा कैसे रुकेगी या समाजवादी पार्टी का इस पर क्या एक्शन होगा। कांग्रेस या बसपा इस पर लगाम लगा पाएगी। इसको लेकर किसी भी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में फिलहाल कोई जिक्र नहीं किया है। बढ़ती महंगाई व बेरोजगारी पर भी किसी भी दल का ध्यान नहीं है।

Inside Story: यूपी चुनाव में गूंज रही सोरों सूकर क्षेत्र की तीर्थ नगरी...नाथ नगरी उपेक्षित, जानिए क्या है वजह

Share this article
click me!

Latest Videos

झांसी ने देश को झकझोरा: अस्पताल में भीषण आग, जिंदा जल गए 10 मासूम
झांसी में चीत्कारः हॉस्पिटल में 10 बच्चों की मौत की वजह माचिस की एक तीली
पहली बार सामने आया SDM थप्पड़ कांड का सच, जानें उस दोपहर क्या हुआ था । Naresh Meena । Deoli-Uniara
समाजवादी पार्टी का एक ही सिद्धांत है...सबका साथ और सैफई परिवार का विकास #Shorts
नाइजीरिया, ब्राजील, गुयाना की 5 दिन की यात्रा पर निकले PM मोदी