बहू ने खुद अन्य लोगों के साथ सास की शव को कंधा दिया और साथ में श्मशान घाट भी गई। मौके पर कोई पुरुष मौजूद ना होने के चलते चिता को मुखाग्नि देने की बात आई तो वहां मौजूद सभी लोग एक दूसरे का मुंह देखने लगे। ऐसे में बहू ने आगे आकर खुद ही अपने सास की चिता को मुखाग्नि दिया और अंतिम संस्कार के सभी रस्मों को निभाया।
देवरिया (Uttar Pradesh) । कोरोना वायरस नियंत्रण के लिए देशभर में लागू लॉक डाउन के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। चाहकर भी लोग अति आवश्यक कार्यों को नहीं कर पा रहे हैं। जिसके कारण लोगों को परंपराओं से हटकर भी काम करने को मजबूर होना पड़ रहा है। कुछ ऐसा ही हुआ लार थाना क्षेत्र के तिलौली गांव में। जहां अचानक एक बजुर्ग महिला की मौत हो गई। उसके तीन बेटे चाहकर भी मां के अंतिम दर्शन नहीं कर पाए। हालांकि शव के जब कोई रास्ता नहीं बचा तो घर पर मौजूद बहू ने ही फर्ज निभाया। गोद में मासूम बच्चे को लेकर सास की अर्थी को कंधा दी, घाट पर चिता में आग लगाई और परंपरानुसार क्रिया-कर्म भी किया। जिसे घाट पर देखकर लोग सोचने को मजबूर हो गए।
बहू के साथ रहती थी सास
लार थाना इलाके के तिलौली गांव की रहने वाली सुमित्रा देवी (70) के तीन बेटे हैं। सुमित्रा अपने एक बेटे चंद्रशेखर की पत्नी नीतू और उनके बच्चों के साथ सलेमपुर कस्बे में सोहनाग रोड पर किराए के कमरे में रहती थी। तीनों बाहर नौकरी करते हैं और अलग-अलग राज्यों में रहते हैं।
चाहकर भी नहीं आ पाए बेटे
सुमित्रा की शुक्रवार को अचानक तबीयत खराब हो गई। लॉक डाउन के बीच लोगों की मदद से नीतू उन्हें एम्बुलेंस से सीएचसी ले गई, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसकी सूचना अपने पति समेत परिवार के अन्य लोगों को दी। लॉकडाउन के कारण रेलगाड़ी, हवाई जहाज सब बंद होने के कारण महिला के किसी बेटे का आना मुश्किल था।
परिवार की बातें सुन धर्म संकट में बड़ गई बहू
कोई रास्ता न निकलने पर पति चंद्रशेखर समेत उसके अन्य भाइयों ने नीतू से ही किसी तरह से भी दाह संस्कार कराने की बात कही। अचानक पड़ी इस विपत्ति से परेशान नीतू को जब कुछ नहीं सूझा तो वह अपने मासूम बेटे को गोद में लेकर नगर पंचायत अध्यक्ष जेपी मद्धेशिया के पास पहुंची और पूरी घटना की जानकारी दी।
चेयरमैन ने की मदद
नीतू की परेशानी सुनकर चेयरमैन जेपी मद्देशिया ने उसे ढांढस बंधाया। उन्होंने आनन-फानन साधन की व्यवस्था कर शव को श्मशान घाट पहुंचाया और अंतिम संस्कार कराने की तैयारी की।
कंधा देने की बात आने पर एक दूसरे का मुंह देखने लगे लोग
नीतू ने खुद अन्य लोगों के साथ शव को कंधा दिया और साथ में श्मशान घाट भी गई। मौके पर कोई पुरुष मौजूद ना होने के चलते चिता को मुखाग्नि देने की बात आई तो वहां मौजूद सभी लोग एक दूसरे का मुंह देखने लगे। ऐसे में नीतू ने आगे आकर खुद ही अपने सास की चिता को मुखाग्नि दिया और अंतिम संस्कार के सभी रस्मों को निभाया।