साइकिल से घर जा रहा था परिवार, हादसे में पति-पत्नी की मौत, चंदा लगाकर भाई ने किया अंतिम संस्कार

हादसे की सूचना पाकर कृष्णा के परिजन लखनऊ पहुंचे। कृष्णा के भाई राजकुमार ने कहा कि कृष्णा के पास कोई काम नहीं था। उसके पास बचत के पैसे थे, जो बीते दिनों खर्च हो चुके थे। राजकुमार के पास भी आर्थिक तंगी के चलते शवों के अंतिम संस्कार का पैसा नहीं था, तब कुछ मजदूरों ने चंदा करके 15 हज़ार रुपये जुटाए, जिसके बाद गुलाला घाट पर दोनों का अंतिम संस्कार किया गया।

Asianet News Hindi | Published : May 8, 2020 7:53 AM IST

लखनऊ ( Uttar Pradesh) । लॉकडाउन में गरीबों के सामने दिक्कतें बढ़ने लगीं हैं। पैसा खत्म होने के बाद पलायन के अलावा उन्हें कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है लखनऊ में। यहां एक परिवार ने पैसा खत्म होने पर साइकिल से ही छत्तीसगढ़ जाने के लिए निकल पड़ा। लेकिन, लखनऊ के शहीद पथ पर किसी अज्ञात वाहन की चपेट में आ गए। जिससे पति,पत्नी और उनके दो मासूम बच्चे घायल हो गए। पुलिस ने चारों को अस्पताल पहुंचा। लेकिन, इलाज के दौरान पत्नी-पत्नी की मौत हो गई। वहीं, सूचना पर किसी तरह पहुंचे भाई ने मजदूरों से चंदा लगाकर दोनों का अंतिम संस्कार कराया।

यह है पूरा मामला
लखनऊ जानकीपुरम में छत्तीसगढ़ निवासी कृष्णा (35) अपने परिवार के साथ रहता था। वो अपनी पत्नी प्रमिला (32) के साथ जहां मजदूरी का काम पाता करता। इस परिवार के सामने लॉकडाउन ने समस्या ला दी। किसी तरह लॉकडाउन का एक लंबा समय इस परिवार ने काट लिया था, लेकिन पैसे की किल्लत होने के चलते कृष्णा ने फैसला किया कि वह अपने घर छत्तीसगढ़ जाएगा। इसके बाद साइकिल से ही अपनी पत्नी और दो बच्चों को लेकर जानकीपुरम से छत्तीसगढ़ के लिए निकल पड़ा। लखनऊ के शहीद पथ पर किसी अज्ञात वाहन ने कृष्णा की साइकिल में पीछे से जोरदार टक्कर मार दी। इससे कृष्णा और प्रमिला और दोनों बच्चे निखिल (3) की बेटी चांदनी (4) घायल हो गए। वहां से गुजर रहे लोगों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने सभी को अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज के दौरान कृष्णा और प्रमिला ने दम तोड़ दिया।

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इस तरह किया अंतिम संस्कार
हादसे की सूचना पाकर कृष्णा के परिजन लखनऊ पहुंचे। कृष्णा के भाई राजकुमार ने कहा कि कृष्णा के पास कोई काम नहीं था। उसके पास बचत के पैसे थे, जो बीते दिनों खर्च हो चुके थे। राजकुमार के पास भी आर्थिक तंगी के चलते शवों के अंतिम संस्कार का पैसा नहीं था, तब कुछ मजदूरों ने चंदा करके 15 हज़ार रुपये जुटाए, जिसके बाद गुलाला घाट पर दोनों का अंतिम संस्कार किया गया।

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