
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा सपा नेता की यजदान बिल्डिंग को जमींदोज करने की कार्रवाई पर फिलहाल दो सप्ताह के लिए रोक लगा दी गई है। इस फैसले से बिल्डिंग के फ्लैटों में रह रहे परिवारों ने भी राहत की सांस ली है। वहीं हाईकोर्ट द्वारा यह फैसला सुनाए जाने के बाद एलडीए को तगड़ा झटका लगा है। बता दें कि फिलहाल हाईकोर्ट में यह मामला चलता रहेगा। वहीं इस बिल्डिंग को बनवाने में शामिल रहे इंजीनियरों और अफसरों को भी अपने फंसने का अंदेशा हो गया है।
ध्वस्तीकरण पर लगाई गई रोक
बता दें कि 6 सिंतबर 2016 में बिल्डिंग को जमींदोज करने का आदेश मिलने के बाद एलडीए ने 30 मार्च 2022 को जोन छह के जोनल अधिकारी राजीव कुमार के नेतृत्व में यजदान बिल्डिंग को गिराने की कार्रवाई शुरूकर दी गई थी। वहीं बिल्डिंग में रहने वाले परिवारों ने इस फैसले का जमकर विरोध किया था। बता दें कि अपार्टमेंट को ध्वस्त करने के लिए मुंबई से विशेष टीम आई थी। लेकिन सोमवार शाम को हाईकोर्ट के आदेश के बाद बिल्डिंग के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी गई थी।
अपार्टमेंट में रह रहे परिवारों ने किया था विरोध
इसके बाद एलडीए ने 8 माह बाद बीते सोमवार को मुंबई की एक्सपर्ट कंपनी के जरिये यजदान अपार्टमेंट पर हथौड़ा चलाने का सिलसिला शुरू कराया गया था। वहीं बुधवार को मामले की सुनवाई करने के बाद हाईकोर्ट ने यजदान अपार्टमेंट को दो हफ्ते और न तोड़ने का निर्देश दिया है। बता दें कि सात मंजिला इमारत में करीब 40 फ्लैट बने हैं। इनमें कुछ फ्लैटों की बिक्री भी हो गई है। अपार्टमेंट में रहने वाले फैजल ने बताया कि रेरा से प्रोजेक्ट स्वीकृत होने के बाद उन्होंने अपनी जीवन भर की यहां पर कमाई लगा दी। वहीं कुछ लोगों ने यहां पर फ्लैट लेने के लिए कर्जा भी लिया है। इसके LDA के अधिकारी भी बराबर के कुसूरवार हैं।
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