याजदान बिल्डिंग के जमीदोंज होने के कार्रवाई को रुकवाने के लिए वकील कोर्ट के स्टे ऑर्डर के साथ मौके पर पहुंचे। लेकिन इसके बाद भी एलडीए के अधिकारियों ने काम रुकवाने से इंकार कर दिया। बता दें कि 30 लोग बिल्डिंग को तोड़ने का काम कर रहे हैं।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में याजदान बिल्डिंग के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को रोकने के लिए रविवार को वकीलों की एक टीम मौके पर पहुंची। इस दौरान वकील कोर्ट के स्टे आर्डर का कागज भी अपने साथ लेकर आए थे। लेकिन इसके बाद भी एलडीए के अधिकारियों ने काम को नहीं रोका। एलडीए के अधिकारियों ने दलील दी की कागज पर संबंधित अधिकारी के साइन नहीं हैं। वहीं वकीलों का कहना था कि कोर्ट का आदेश पोर्टल पर भी आ गया है। इसलिए एलडीए को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई रोक देनी चाहिए। जब एलडीए के अधिकारियों ने काम नहीं रुकवाया तो वकीलों ने इसे कोर्ट की अवहेलना करना कहा। वकीलों ने कहा कि वह लोग इसकी शिकायत करेंगे।
पहले की तरह चलता रहा काम
इसके बाद भी बिल्डिंग को जमींदोज करने का काम पहले की तरह ही चलता रहा। बता दें कि बीते शनिवार को 30 से अधिक लोग अपार्टमेंट में हथौड़ा कार्रवाई करने पहुंचे थे। पहले दिन अपार्टमेंट का ऊपरी मंजिल गिराया गया था। अब सभी मंजिलों को गिराने का काम तेजी से किया जा रहा हैं। वहीं याजदान बिल्डिंग को जमींदोज करने के लिए मुंबई से विशेष टीम आई है। यह अपार्टमेंट सपा नेता फहद याजदान का है। वर्ष 2015 में प्रयाग नारायण रोड पर नजूल की जमीन पर इसका निर्माण किया गया था। नजूल की भूमि पर बनाए जा रहे अपार्टमेंट को एलडीए अधिकारियों ने भी बनने दिया था।
यूपी रेरा से भी पंजीकृत था प्रोजेक्ट
इसके अलावा अपार्टमेंट का मानचित्र भी स्वीकृत कर दिया गया था। मामले पर शिकायत होने के बाद अधिकारियों ने अपनी नौकरी बचाने के लिए वर्ष 2016 में एलडीए द्वारा बिल्डिंग को सील करा दिया गया था। लेकिन बाद में बिल्डर से 75 लाख रुपए शमन मानचित्र का भी जमा करा लिया गया। वहीं मानचित्र पास होने के बाद यूपी रेरा में भी इस प्रोजेक्ट को पंजीकृत कर लिया गया। बिल्डिंग को जमीदोंज करने से पहले इसके चारो तरफ एक दीवार बना दी गई है। जिससे कि कोई इसके अंदर नहीं जा पाए। सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए लोगों को अपार्टमेंट से दूर रखा गया है।
खरीददारों की भी निकाला गया बाहर
सात मंजिला इमारत में 48 फ्लैट बनाए गए हैं। जिनमें से 37 फ्लैटों की बुकिंग भी हो चुकी है। बताया जा रहा है कि इन फ्लैटों का 50 से 70 लाख में सौदा हुआ है। वहीं वर्तमान समय में चार फ्लैटों में खरीददार रह रहे थे। जिन्हें फिलहाल पुलिस ने बाहर निकाल दिया है। खरीददारों का कहना है कि उन्होंने अपनी पूरी कमाई इसमें लगा दी है। वहीं कुछ लोगों ने कर्जा लेकर फ्लैट खरीदा है। बता दें कि पिछले 2 सालों से अवैध निर्माण चल रहा था। इस दौरान प्राधिकरण ने 2 बाक बिल्डिंग को सील भी किया। लेकिन फिर भी निर्माण कार्य जारी रहा। प्राप्त जानकारी के अनुसार, निर्माण के समय अधिकारियों के पास भी पैसा पहुंचता रहा। जब शासन स्तर पर दबाव बना तो कार्रवाई की जाने लगी।