अयोध्‍या फैसले के बाद कमजोर हुआ न्यायपालिका पर भरोसा, 99% मुस्लिम चाहते हैं पुनर्विचार याचिका: AIMPLB

देश में मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का मानना है कि बाबरी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद न्‍यायपालिका पर भरोसा कमजोर हुआ है। 99 फीसद मुसलमान चाहते हैं कि इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाए।

Asianet News Hindi | Published : Dec 1, 2019 10:01 AM IST / Updated: Dec 01 2019, 03:32 PM IST

लखनऊ (Uttar Pradesh). देश में मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का मानना है कि बाबरी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद न्‍यायपालिका पर भरोसा कमजोर हुआ है। 99 फीसद मुसलमान चाहते हैं कि इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाए। बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने कहा, मुसलमानों को न्‍यायपालिका पर भरोसा है। यही कारण है कि अयोध्‍या मामले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा रही है। बता दें, बीते 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- जन्मभूमि रामलला विराजमान की है। अयोध्या के किसी प्रमुख स्थान पर सरकार मस्जिद बनवाने के लिए 5 एकड़ भूमि मुस्लिम पक्षकारों को दे। 

दिल पर हाथ रखकर सोचें कितना सही है बाबरी मस्जिद का फैसला
उन्‍होंने कहा, मुल्‍क के 99 फीसद मुसलमान यह चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाए। अगर यह समझा जा रहा है कि बहुत बड़ा तबका इस याचिका के विरोध में है, तो यह गलतफहमी है। हमें आशंका है कि हमारी पुनर्विचार याचिका ठुकरा दी जाएगी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम इसे पेश भी न करें। यह हमारा कानूनी हक है। कोर्ट के फैसले की कई बातें एक-दूसरे को काटती हैं। कोई भी मुस्लिम या सुलझे हुए हिन्‍दू भाई दिल पर हाथ रखकर सोचें तो समझ जाएंगे कि बाबरी मस्जिद का फैसला कितना सही है?

मौलाना ने कहा, कुछ लोग पुनर्विचार याचिका के पक्ष में नहीं है। लेकिन ये वही लोग हैं जिन्‍होंने मस्जिद के मुकदमे में अपना जहन नहीं लगाया, जिन्‍हें मस्जिद से कोई अमली दिलचस्‍पी नहीं है, जो खौफ की फिजा में जीते हैं। दूसरों को खौफजदा करना चाहते हैं। इसमें अच्‍छी खासी तादाद दानिशवरों (प्रबुद्ध वर्ग) की है। अक्‍सर दानिशवर किस्‍म के लोग इस तरह की बातें करते हैं। ये लोग मैदान में कहीं नहीं रहते। वे मुसलमानों के मसले हल करने के लिये कोरी बातों के सिवा कुछ नहीं करते। उनके पास समस्‍याएं हल करने की कोई व्‍यवहारिक योजना नहीं है। वे मौके-ब-मौके मीडिया को बयान देकर मशहूर होते रहते हैं। इन लोगों से पूछा जाए कि उन्‍होंने मुसलमानों के भले के लिये क्‍या किया?

ओवैसी के साथ हुई बैठक में लिया गया था पुनर्विचार याचिका का फैसला
बीते दिनों लखनऊ में हुई AIMPLB की बैठक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया गया। बोर्ड की तरफ से कासिम रसूल इलियास ने कहा, याचिका दाखिल करने के साथ मस्जिद के लिए दी गई 5 एकड़ जमीन को भी मंजूर नहीं करने का फैसला लिया गया है। मुसलमान किसी दूसरे स्थान पर अपना अधिकार लेने के लिए उच्चतम न्यायालय नहीं गए थे। वहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा था, हमें पता है पुनर्विचार याचिका का हाल क्या होना है, लेकिन फिर भी हमारा यह हक है। बता दें, उस बैठक में एएमआईएएम अध्यक्ष असददुद्दीन ओवैसी भी शामिल थे।

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