सोनभद्र नरसंहारः 6 महीने पहले मान ली होती उस विधायक की बात तो नहीं बिछती लाशें

Published : Jul 24, 2019, 06:42 PM ISTUpdated : Jul 24, 2019, 07:15 PM IST
सोनभद्र नरसंहारः 6 महीने पहले मान ली होती उस विधायक की बात तो नहीं बिछती लाशें

सार

छह माह पहले ही कर दिया था सोनभद्र को लेकर अपना दल विधायक ने आगाह लेकिन नहीं हुई कोई कार्रवाई।

सोनभद्र: बीते 17 जनवरी को घोरावल तहसील के उम्भा गांव में हुए खूनी संघर्ष की जांच के लिए शासन की टीम सोनभद्र पहुंच गई है। लेकिन इस बीच भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) से दुद्धी विधायक हरिराम का एक लेटर सोशल मीडिया पर वायरल है। जिसमें विधायक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जमीनी विवाद को लेकर पहले ही आगाह किया था। यह लेटर इसी साल 14 जनवरी को लिखा गया था। आरोप लगाया था कि भूमाफिया आदिवासियों की पैतृक भूमि जबरदस्ती हड़पने के चक्कर में हैं। विधायक ने इस लेटर की पुष्टि करते हुए कहा- उन्होंने मुख्यमंत्री को पहले ही आगाह कर दिया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 
 

विधायक ने आखिर क्या लिखा था लेटर में...

विधायक ने लिखा था - घोरावल तहसील के उम्भा गांव के आदिवासियों की जमीन इनकी गरीबी और अज्ञानता का फायदा उठाकर भू-माफियों ने छीना है। यहां के गरीब आदिवासी गोड़ जाति के 1200 लोग खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। इसका फायदा भू-माफिया महेश्वरी प्रसाद नारायण सिन्हा ने उठाया। एक सहकारी समिति बनाकर तत्कालीन उप जिलाधिकारी व तहसीलदार से साठगांठ कर करीब छह सौ बीघा गोड़ आदिवासियों के कब्जे वाली ग्राम समाज की जमीन 17 दिसंबर 1955 को अपनी सोसाइटी आदर्श को-आपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के नाम करा ली। जबकि उस सोसाइटी की जिले में एक भी शाखा नहीं है। इससे यह लगता है कि यह सोसाइटी फर्जी है। विधायक ने अनुरोध किया था कि जनहित व आदिवासी पर हो रहे अन्याय को ध्यान में रखते हुए इस मामले जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।

सवाल- लेटर भेजा तो संज्ञान क्यों नहीं लिया गया...

चर्चा है कि जब मुख्यमंत्री कार्यालय को उम्भा की भूमि की समस्या को लेकर लेटर पहले ही लिखा गया तो उसपर संज्ञान क्यों नहीं लिया गया? अगर समय पर समस्या का समाधान कर लिया जाता तो 10 लोगों की जान न जाती। आखिर क्या कारण है कि एक गठबंधन पार्टी के मौजूदा विधायक की बात को तरजीह नहीं दी गई।

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