जब हिंसा के बीच रुक गई इस मुस्लिम लड़की की शादी, हिंदुओं ने निभाई बड़े भाई वाली जिम्मेदारी


निकाह का सपना संजोए बैठी जीनत कई दिनों से सो नहीं पा रही थी। वह बताती है कि शादी के दिन जब चाचा के पास मेरे ससुरालवालों का फोन आया तो मुझे एक बार तो लगा कि शायद मेरी भी शादी नहीं हो पाएगी।

Asianet News Hindi | Published : Dec 27, 2019 1:15 PM IST / Updated: Dec 27 2019, 06:46 PM IST

लखनऊ (उत्तर प्रदेश) । नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के कारण हिंसा की आग में जल रहे कानपुर के बाकरगंज में 21 दिसंबर को सांप्रदायिक सौहार्द की बड़ी मिसाल पेश की गई थी। हिंसा के कारण रूक रही मुस्लिम की एक बेटी की शादी को न सिर्फ कराने का बीड़ा उठाया था, बल्कि बारातियों की अगवानी और सुरक्षा तक ह्यूमन चेन बनाकर की थी, जिसके कारण हिंदू-मुस्लिम एकता की यह एक अनूठी मिसाल इन दिनों चर्चा में है।

हिंसा की खबर पर बारात लाने से कर दिया था इनकार
कानपुर भी 20 दिसंबर को हिंसा की आग में जल उठा था। हिंसा के कारण माहौल तनाव पूर्ण था। इसे लेकर बाकरगंज निवासी खान परिवार बेहद परेशान हो उठा था, क्योकिं वाजिद फजल ने अपने भतीजे जीनत की शादी प्रतापगढ़ के हुसनैन फारूकी से तय की थी। बेटी जीनत की निकाह के लिए बारात आनी थी और जब लड़के वालों को पता चला कि कानपुर में उपद्रव बढ़ गया है तो उन्होंने शादी के ही दिन बारात लाने से इनकार कर दिया। 

ऐसे हिंदुओं ने कराई शादी
तनाव के कारण बारात न लाने की भनक हिंदू पड़ोसी विमल को हुई। विमल चपडिय़ा ने इसकी जानकारी सोमनाथ तिवारी और नीरज तिवारी को दिया। इसके बाद इन्होंने अपने-अपने सहयोगियों से इसे लेकर चर्चा की। नतीजन कुछ ही समय में 30 से अधिक हिंदू एकजुट हो गए और वे जीनत के दरवाजे पर जा पहुंचे। अपनी जिम्मेदारी पर बारातियों को बुलाने पर सभी को राजी कर लिया। इतना ही नहीं हिंदुओं ने न सिर्फ बारात की अगवानी की, बल्कि खाने-पीने के साथ ही निकाह के सब इंतजाम में अपना योगदान दिया। 

कई दिनों से सो नहीं पा रही थी जीनत
निकाह का सपना संजोए बैठी जीनत कई दिनों से सो नहीं पा रही थी। वह बताती है कि शादी के दिन जब चाचा के पास मेरे ससुरालवालों का फोन आया तो मुझे एक बार तो लगा कि शायद मेरी भी शादी नहीं हो पाएगी। तनाव के कारण दूसरी बार भी शादी टूट जाएगी, लेकिन इसकी खबर विमल भाई को लगी तो वह अपने सहयोगियों के साथ पूरी जिम्मेदारी ले लिए। विमल भाई और उनके साथियों के सहयोग के बिना यह असंभव था। 

भाई बोलते हुए लिया आशीर्वाद
जीनत सिर्फ 12 साल की थी जब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। जीनत के चाचा वाजिद फजल ने कहा कि विमल और उनके साथियों ने हमें आश्वासन दिया था कि बारात को कुछ नहीं होने देंगे। जीनत भी जब बुधवार को कानपुर पहुंची तो सबसे पहले विमल के घर गई और उन्हें भाई बोलते हुए उनसे आशीर्वाद लिया।

मैंने वही किया जो सही लगा
विमल ने कहा कि जीनत मेरी छोटी बहन जैसी हैं। मैं उसकी शादी टूटते नहीं देख सकता था। हम पड़ोसी हैं और मुश्किल वक्त में पड़ोसियों का साथ देना ही था। मैंने वही किया जो उन्हें सही लगा। 

 

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