यूपी निकाय चुनाव मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई की गई है। प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है। वहीं चीफ जस्टिस ने बुधवार यानि कि 4 जनवरी को सुनवाई पर सहमति दी है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आऱक्षण का मामला हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट यूपी सरकार की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है। बता दें कि राज्य सरकार के ओर से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस के सामने इस मामले को रखा है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है। वहीं चीफ जस्टिस ने बुधवार यानि 4 जनवरी को इस मामले पर सुनवाई करने की बात कही है। हाईकोर्ट द्वारा निकाय चुनावों की अधिसूचना रद्द करने के आदेश के बाद यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
सरकार ने सामने रखा अपना पक्ष
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यूपी सरकार ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई करने की मांग की है। यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। वहीं यूपी सरकार की जल्द सुनवाई की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा है कि डीलिमिटेशन कि प्रक्रिया चल रही है। वहीं सरकार ने निकाय चुनावों मे ओबीसी को आरक्षण प्रदान करने के लिए 5 सदस्यीय आयोग का गठन कर सभी मुद्दों पर विचार करने के लिए नियुक्त किया है।
हाईकोर्ट के फैसले पर जताई थी नाराजगी
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले को कोर्ट में मेंशन करते हुए कहा कि अब स्थानीय निकाय चुनाव आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही कराया जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते 28 दिसंबर को मामले पर फैसला सुनाया था। इस दौरान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राज्य में ओबीसी आरक्षण के बिना निकाय चुनाव संपन्न कराने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि 31 जनवरी 2023 तक बिना आऱक्षण के निकाय चुनाव कराए जाएं। जिसके बाद विपक्षी दलों समेत सरकार ने भी हाईकोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी। कोर्ट के फैसले के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर भी आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाया था।