इटावा रेलवे स्टेशन पर दोहराया गया 126 साल पुराना इतिहास, मामला महात्मा गांधी जैसा था...

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में एक शर्मनाक मामला सामने आया है। जिस तरह दक्षिण अफ्रीका में 126 साल पहले महात्मा गांधी को अश्वेत कहकर ट्रेन से फेंक दिया गया था, ठीक वैसे ही यहां गुरुवार की सुबह भारतीय परिधान धोती कुर्ता और हवाई चप्पल पहने एक 72 साल के बुजुर्ग को शताब्दी ट्रेन में चढ़ने नहीं दिया गया।

इटावा. उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में एक शर्मनाक मामला सामने आया है। जिस तरह दक्षिण अफ्रीका में 126 साल पहले महात्मा गांधी को अश्वेत कहकर ट्रेन से फेंक दिया गया था, ठीक वैसे ही यहां गुरुवार की सुबह भारतीय परिधान धोती कुर्ता और हवाई चप्पल पहने एक 72 साल के बुजुर्ग को शताब्दी ट्रेन में चढ़ने नहीं दिया गया। शताब्दी के सी-दो कोच में 72 नंबर की सीट पर गाजियाबाद जाने के लिए उनके पास कन्फर्म टिकट भी था। सिपाही ने बुजुर्ग को गेट पर ही रोक लिया और ट्रेन में चढ़ने नहीं दिया। इस बदसलूकी से आहत बुजुर्ग यात्री ने स्टेशन पर मौजूद शिकायत पुस्तिका में शिकायत दर्ज कराने के बाद रोडवेज बस से अपना सफर पूरा किया। 

बाराबंकी के ग्राम मूसेपुर थुरतिया के रहने वाले बाबा अवधदास ने चार जुलाई को इटावा जंक्शन से गाजियाबाद जाने के लिए शताब्दी (12033) ट्रेन में अपनी सीट बुक कराई थी। उन्हें सी-दो बोगी में 72 नंबर सीट मिली थी। जिसका उल्लेख टिकट चार्ट में भी था। ट्रेन जब गुरुवार सुबह 7:40 बजे प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर आई तो बाबा रामअवध दास बोगी में चढ़ने लगे। उसी समय गेट पर मौजूद सिपाही ने उन्हें ट्रेन में चढ़ने से रोका। तभी कोच अटेंडेंट भी आ गए। धोती कुर्ता ओर पैरों में रबर की हवाई चप्पल पहने बाबा को चढ़ने से रोकने लगते है। 

बाबा ने इस बीच अपना टिकट भी दिखाया, लेकिन तब तक 2 मिनट हो चुके थे और ट्रेन प्लेटफार्म छोड़ चुकी थी, जिसके बाद हताश बाबा रामअवध दास ने स्टेशन मास्टर के पास जाकर शिकायत रजिस्टर में अपनी शिकायत दर्ज कराई और उसके बस से गाजियाबाद के लिए रवाना हुए। बाबा राम अवधदास ने बताया कि, वह बाराबंकी में रहते हैं और भक्तों के घर जाते रहते हैं। इटावा के इंद्रापुरम में भक्त सत्यदेव के घर आए थे और यहां से उन्हें गाजियाबाद के विजय नगर निवासी भक्त के घर जाना था। लेकिन ट्रेन में चढ़ने नहीं दिया गया। इसकी शिकायत रेल मंत्री से करूंगा।

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