
कानपुर: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha chunav 2022) से पहले कुछ राजनीतिक दल ब्राह्मण वोटबैंक (Brahman Votebank) को साधने में जुटे हैं तो कुछ मुस्लिम वोट बैंक को पक्का करने में लगे हुए हैं। ऐसे में रविवार को कानपुर (Kanpur) के सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र के जीआईसी मैदान पर सभा को सम्बोधित करने पहुंचे AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaddudin owaisi) ने मुस्लिम वोटबैंक को मजबूत करने की भरपूर कोशिश की, इस दौरान उन्होंने इशारों इशारों में सपा पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि मुसलमानों ने अपने वोटों से जिताया, लेकिन मुस्लिमों को हिस्सेदारी के बजाय खैरात मिली।
ओवैसी ने सोलंकी परिवार और सपा पर बोला हमला
कानपुर में कैंट विधानसभा क्षेत्र के बाद AIMIM ने सीसामऊ सीट पर अपनी जमीन मजबूत करनी शुरू कर दी है। यहां मजबूत प्रत्याशी की तलाश के बीच पार्टी मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने सपा और सोलंकी परिवार को निशाने पर रखा। जीआईसी मैदान पर सभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने सवाल किया कि सोलंकी परिवार ने यहां से पांच बार विधायकी की है, लेकिन क्या मिला? फिर बोले कि इस क्षेत्र से AIMIM क्यों नहीं जीत सकती? मुस्लिमों के जज्बात को कुरेदने के लिए यह वादा भी किया कि वह जेल में बंद आजम खां की तकलीफों को बताते रहेंगे।
मुस्लिमों को हिस्सेदारी के बजाए मिली खैरात- ओवैसी
सभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने अखिलेश का नाम लिए बगैर कहा कि मुसलमानों ने अपने वोटों से जिताया, लेकिन मुस्लिमों को हिस्सेदारी के बजाय खैरात मिली। जबकि, उपमुख्यमंत्री मुसलमान को बनना चाहिए था। इन बातों के जरिये उन्होंने सपा के वोट में सेंध लगाने की कोशिश की। साथ ही मुस्लिमों से बार-बार किसी को अपना अगुवा बनाने का आह्वान करते रहे।
ओवैसी ने अनुप्रिया पटेल का दिया उदाहरण
उन्होंने कहा कि मुसलमान अपने दिल से डर निकाल दें तो कयादत (रहनुमाई) अपने आप विकसित हो जाएगी और हिस्सेदारी मिलेगी। इसके लिए अनुप्रिया पटेल का उदाहरण दिया और कहा कि कुर्मी होने की वजह से मोदी सरकार में उन्हें जगह मिली। इस मौके पर एआईएमआईएम के पदाधिकारी वारिस पठान, आसिम वकार आदि ने विचार व्यक्त किए।
सीएए में मारे गए मुसलमानों के घर नहीं गए
ओवैसी ने कहा कि यूपी में मुसलमानों की जान की कोई कीमत नहीं है। गोरखपुर में पुलिस की पिटाई से कानपुर के युवक की मौत हुई तो अखिलेश यादव ने 20 लाख रुपये दिए। मुख्यमंत्री ने भी पैसा दिया, लेकिन सीएए आंदोलन में मारे गए तीन मुसलमानों के घर कोई नहीं पहुंचा।
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