
देवरिया (Uttar Pradesh) । पंचायत चुनाव कराने के लिए आरक्षण सूची जारी कर दी गई है। ऐसे में बहुत से नेताओं को झटका लगा है, क्योंकि आरक्षण बदलने से वे चुनावी समर में नहीं उतर पाएंगे। लेकिन, इनमें कुछ ऐसे भी नेता हैं, जो चुनाव लड़ने और जीतने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। ताजा मामला तरकुलवा विकास खंड के नारायणपुर गांव से सामने आया है। जहां एक सामान्य वर्ग के नेता ने अपने बेटे की शादी पिछड़ी वर्ग की युवती से करा दिया है, जिसके बाद चुनावी रण में अपनी नई नवेली बहू को उतार दिया है।
पांच साल से कर रहे थे चुनाव लड़ने की तैयारी
प्रधान पद वर्ष 2015 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था। इस साल पहली सूची में यह गांव सामान्य जाति के लिए आरक्षित हो गया। लेकिन, हाईकोर्ट के आदेश के बाद जब एक बार फिर नई आरक्षण सूची जारी की गई तो गांव का आरक्षण ही बदल गया और नारायणपुर गांव पिछड़ी महिला के लिए आरक्षित हो गया। वहीं, गांव में प्रधानी का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे सरफराज को नए आरक्षण से झटका लगा क्योंकि सरफराज सामान्य वर्ग से आते हैं।
आरक्षण बदलने पर नेताजी ने निकाला नया फॉर्मूला
चुनाव लड़ने की ठान चुके सरफराज ने एक नया फॉर्मूला निकाल लिया। गांव का प्रधान बनने के लिए अपने बेटे सेराज का निकाह पिछड़ी जाति की युवती से करा दिया। अब वह अपनी नई नवेली बहू को प्रधानी का चुनाव लड़ाने की तैयारी में जुटे हैं।
बोले-गांव वाले चाहते हैं मेरे परिवार से कोई बने प्रधान
सरफराज ने बताया कि वे पिछले पांच साल से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। गांव वाले भी चाहते हैं कि वे प्रधान बने, लेकिन सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो गई। इसलिए उन्होंने अपने बेटे सेराज की शादी मुस्लिम विरादरी की ही पिछड़ा वर्ग की लड़की से करा दी है, ताकि प्रधानी उनके घर में ही रहे।
क्या कहता है कानून
बताते चले कि शादी के बाद भी लड़की की जाति नहीं बदलती है। जैसे अगर किसी पिछड़ी जाति की लड़की ने किसी सामान्य वर्ग के लड़के से शादी कर ली है तो लड़की पिछड़ी जाति की ही रहेगी। इसी तरह अगर कोई सामान्य जाति की लड़की पिछड़े वर्ग के लड़के से शादी कर ले तो लड़की सामान्य वर्ग की ही मानी जाएगी, उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
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