ऋतु कहती हैं, ऐसे कॉम्पटीशन की तैयारी से लेकर उसे जीतने तक में काफी समय लगता है। मुझे हमेशा अपनी 9 साल की बेटी सान्वी और 5 साल के बेटे विवान के देखभाल की चिंता रहती थी।
लखनऊ (उत्तर प्रदेश). राजधानी लखनऊ की रहने वाली पीसीएस अफसर ऋतु सुहास मिसेज इंडिया 2019 बन गई हैं। 10 सितंबर से शुरू हुए इस कॉम्पटीशन में अलग-अलग स्टेट से 60 महिलाओं ने हिस्सा लिया था। जिसमें क्विज, टैलेंट और कॉस्ट्यूम राउंड में इन्होंने सभी को हराकर खिताब अपने नाम किया। बता दें, वर्तमान में ऋतु लखनऊ विकास प्राधिकरण में ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर तैनात हैं और इनके पति सुहास एल वाई भी आईएएस अफसर हैं। hindi.asianetnews.com से खास बातचीत में ऋतु ने अपने संघर्षों और सफलताओं के बारे में कुछ किस्से शेयर किए।
मांग कर पहनी ड्रेस से बनीं मिसेज इंडिया 2019
मिसेज इंडिया 2019 के बारे में ऋतु कहती हैं, स्टेट कांटेस्ट में मुगलेआजम की अनारकली का कॉस्ट्यूम पहनना था। मुझे लगा कि इन सब चीजों पर काफी खर्च आ जाएगा। इसलिए मैंने अपने फ्रेंड यशवंत, जोकि कला अकादमी के डायरेक्टर हैं। उनसे अनारकली का कॉस्ट्यूम एक हफ्ते के लिए उधार मांगा। यही पहनकर मैंने स्टेट कांटेस्ट जीता। इसके बाद मिसेज इंडिया कांटेस्ट में भाग लेने के लिए जिन कपड़ों और ज्वैलरी की जरूरत थी, वो काफी मंहगी थी। इसके लिए मैंने बहन की ज्वैलरी मांग ली और साड़ी अपनी सबसे सपोर्टिव फ्रेंड रागिनी से ले ली। यही नहीं, फाइनल कांटेस्ट में मुझे ब्लैक गाउन पहनकर प्रजेंट करना था। उसे भी मैंने कपड़ा खरीदकर लखनऊ के एक टेलर से सिलवाया था, ताकि कम खर्च में सारा काम हो जाए। इन सब में फ्रेंड रागिनी ने मेरा काफी सहयोग किया।
शीशे के सामने करती थीं डांस प्रैक्टिस
वो बताती हैं, इस कांटेस्ट में डांस का भी कॉम्पटीशन था। मेरे पास नौकरी, बच्चों और परिवार के बाद इतना समय नहीं बचता था कि मैं किसी एक्सपर्ट से डांस सीख सकूं। लेकिन डांस मेरा शुरू से ही शौक था। इसलिए मैं घर पर ही शीशे के सामने खुद से प्रैक्टिस करती थी। वही प्रैक्टिस मेरे लिए काम आई और मैंने कॉम्पटीशन का डांस सेगमेंट भी जीत लिया।
पति ने भी किया पूरा सपोर्ट
ऋतु कहती हैं, ऐसे कॉम्पटीशन की तैयारी से लेकर उसे जीतने तक में काफी समय लगता है। मुझे हमेशा अपनी 9 साल की बेटी सान्वी और 5 साल के बेटे विवान के देखभाल की चिंता रहती थी। कांटेस्ट के लिए मुझे 7 दिन के लिए बाहर जाना था। मुझे बच्चों की देखभाल की चिंता थी। लेकिन पति ने मेरा हौसला बढ़ाया। उन्होंने कहा कि तुम कॉम्पटीशन पर ध्यान दो बच्चों की देखभाल हम कर लेंगे। बता दें, एल वाई सुहास पैरा बैडमिंटन में देश के लिए कई पदक जीत चुके हैं।
गरीबी में गुजरा बचपन
लखनऊ के ही रहने वालीं ऋतु वकील आरपी शर्मा की बेटी हैं। वो कहती हैं, पापा हाईकोर्ट में एडवोकेट और मां जनक देवी हाउस वाइफ हैं। हम 2 बहन और एक भाई हैं। हमारा बचपन काफी गरीबी में गुजरा। पापा की इनकम ज्यादा नहीं थी। छोटी-छोटी जरुरतों को पूरा करने के लिए हमें स्ट्रगल करना पड़ता था। ऊपर से हमारे खानदान में लड़कियों के घर से बाहर निकलने को अच्छा नहीं माना जाता था।
ऐसे बनी थीं PCS अफसर
वो कहती हैं, साल 2003 में मैंने पीसीएस बनने का फैसला किया। लेकिन मेरे पास कोचिंग की फीस जमा करने के लिए पैसे नहीं थे। इसलिए सेल्फ स्टडी शुरू कर दी। एक इंग्लिश न्यूज पेपर रोज पढ़ती थी। लेकिन मेरे पास पेपर वाले को देने के लिए 100 रुपए भी नहीं होते हैं, जिसके लिए मैंने छोटे-छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। उसके बदले जो पैसे मिलते थे, उससे छोटी-छोटी जरुरतें पूरी करती थी।
मेरी एक फ्रेंड भी पीसीएस की कोचिंग करती थी। वो कोंचिंग जाती थी। मैं रोज शाम उसके घर जाकर उसके नोट्स से अपना नोट्स तैयार कर लेती थी। 2003 में मैंने एग्जाम दिया, लेकिन किसी ने कोर्ट में ऑब्जेक्शन कर दिया, जिसकी वजह से रिजल्ट एक साल बाद डिक्लेयर हुआ। इस दौरान एक साल का टाइम काटना मेरे लिए काफी मुश्किल था। मेरे लिए एक दिन एक साल के बराबर था। 2004 में मेरा रिजल्ट आया और मैं उसमें पास हो गई।
बच्चों के शौक पर डिपेंड करेगा उनका भविष्य
बच्चों के बारे में वो कहती हैं, मैं अपने बच्चों को एक अच्छा इंसान बनाना चाहती हूं। मेरी सोच इस मामले में थोड़ी अलग है। मेरा सपना अपने बच्चों को दयालु बनाना है, जिससे वो आगे चलकर असहायों व जरूरतमन्दों की मदद कर सकें। इसके बाद वो अपने जिंदगी में क्या बनना चाहते हैं? ये सोचना माता-पिता के साथ बच्चों की शौक पर भी डिपेंड करता है।