
लखनऊ(Uttar Pradesh ). लखनऊ में इन दिनों नगर निगम में लोगों की खासी भीड़ जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए इकट्ठा हो रही है। CAA और NRC को लेकर लोगों के मन में भय है कि कहने उनसे नागरिकता के संबंध में दस्तावेज न मांग लिए जाएं। इस नए कानून के बारे में लोगों के दिलों में पल रहे इसी भ्रम के कारण ही नगर निगम में लोगों की भीड़ जन्मप्रमाण पत्र के लिए मशक्क्त कर रही है। इसमें सबसे आश्चर्यजनक बात ये है कि इस भीड़ में कई ऐसे बुजुर्ग भी हैं जिनकी उम्र 60 से 75 साल है।
गौरतलब है कि हाल ही में नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद पूरे देश में कई स्थानों में इसका विरोध शुरू हो गया था। यूपी में भी कई स्थानो पर प्रदर्शन के साथ हिंसा भी हुई थी। जिसमे न सिर्फ 15 से अधिक प्रदर्शनकारियों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी बल्कि तकरीबन 300 पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। जिसके बाद कुछ अराजक तत्वों ने अल्पसंख्यकों में ये भ्रम फैला दिया कि इस कानून से भारत में रह रहे मुस्लिमो को अपने दस्तावेज दिखाने होंगे कि वह यहां कब से रह रहे हैं। जिसके बाद से लोगों में जन्म प्रमाण पत्र बनवाने की होड़ लगी हुई है।
69 वर्षीय सादिक हुए मायूस
नगर निगम के कार्यालय में इन दिनों लोगों की भारी भीड़ है। जन्म प्रमाण पत्र बनवाने की होड़ में लोग घंटो लाइन में लग रहे हैं। चौक इलाके के रहने वाले 69 वर्षीय सादिक ने बताया कि वह खुद के लिए और अपनी पत्नी रूबिया ( 60) के लिए जन्मप्रमाण पत्र बनवाने आए हैं। लेकिन यहां ये कहा जा रहा है कि 1969 से जन्म प्रमाण पत्र बनने की शुरुआत ही हुई है। ऐसे में आपका जन्म प्रमाण पत्र नहीं बना पाएगा। अब सादिक को ये डर है कि अगर उनसे भारत में निवास करने की अवधि की जानकारी के लिए जन्म प्रमाण पत्र मांगा जाएगा तो वह बदले में क्या देंगे।
इन दस्तावेजों के साथ पहुंच रहे निगम कार्यालय
जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए नगर निगम कार्यालय पहुंचने वाले लोग तमाम दस्तावेजों के साथ आ रहे हैं। इसमें वह अपनी शैक्षिक योग्यता,आधार कार्ड,निर्वाचन कार्ड, स्थानीय पार्षद का लिखा पत्र जिसमे दो लोगों ने जन्म की तस्दीक की है,इसके अलावा बिजली कनेक्शन व गैस कनेक्शन के दस्तावेज शामिल हैं।
निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भी लोगों की भीड़
जन्म प्रमाण पत्र के साथ ही लोगों की भीड़ निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भी जूझ रही है। ऑनलाइन व्यवस्था के तहत निवास बनवाने के लिए लोग साइबर कैफे पर लाइन लगाए हैं। इसके आलावा संबंधित अधिकारियों के यहां भी रोजाना सैकड़ों आवेदन पहुंच रहे हैं।
लोगों ने पाल रखा है नए कानून को लेकर भ्रम
इस बारे में एडीएम विश्वभूषण मिश्र बताया कि लोगों ने CAA को लेकर भ्रम पाल रखा है। ये कानून पाकिस्तान,बांग्लादेश और अफगानिस्तान में सताए जा रहे अल्पसंख्यकों के लिए है। यहां के आम मुस्लिम से इसका कोई लेनादेना नही है। लोगों को जागरूक करने के लिए प्रशासन लगातार काम कर रहा है।
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