काशी में लगी जनता की अदालत, निर्भया के दोषियों के पुतलों को दी गई ऐसे फांसी


दरिंदों के पुतलों को सजा देने के पहले घाट वॉकरों व स्वयं सेवियों ने लघु नाटक का मंचन किया गया, जिसमें चारों दोषियों को सामाजिक रुप से बहिष्कृत कर उन्हें सार्वजनिक तौर पर फांसी फंदे पर लटकाने की सजा दी गई। 
 

Ankur Shukla | Published : Mar 9, 2020 9:58 AM IST / Updated: Mar 09 2020, 03:39 PM IST

वाराणसी (Uttar Pradesh)। निर्भया के चारों दोषियों को फांसी देने की तारीख तय की गई है। इस बार दरिंदों को 20 मार्च की सुबह फांसी पर लटकाया जाएगा। इस बीच वाराणसी में लोगों ने भी अपने मानसिक शांति के लिए निर्भया के इन दोषियों का पुतला बनाकर फांसी दी। इसके लिए गंगा किनारे बूंदीपरकोटा घाट पर जनता की अदालती लगाई गई। जहां काशीवासियों ने बाबा विश्वनाथ को साक्षी मानकर इन चारों दरिंदों के पुतलों को सरेआम फांसी के फंदे पर लटकाया। 

लघु नाटक का किया मंचन
दरिंदों के पुतलों को सजा देने के पहले घाट वॉकरों व स्वयं सेवियों ने लघु नाटक का मंचन किया गया, जिसमें चारों दोषियों को सामाजिक रुप से बहिष्कृत कर उन्हें सार्वजनिक तौर पर फांसी फंदे पर लटकाने की सजा दी गई। 

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इस तरह हुई सुनवाई
गंगा किनारे बूंदीपर कोटाघाट पर कलाकारों ने लघु नाटक का मंचन किया। इसमें जज की भूमिका में अष्टभुजा मिश्र, निर्भया के वकील के रुप में गौरव कुमार सिंह, बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह के रूप में बृजेश उपाध्याय और निर्भया की मां के रूप में नीलम मौर्या ने भूमिका निभाया। थोड़ी देर कोर्ट चलने के बाद जज ने कहा कि काशी आज दोषियों को मानसिक रुप से फांसी देकर यह मांग करती है कि अब अविलंब दोषियों को फांसी दी जाए।
 
लोगों ने कहीं ये बातें
प्रो. विजयनाथ मिश्र ने कहा कि भोलेनाथ की नगरी में दंड का तत्काल प्रावधान है। हम लोगों ने प्रतीकात्मक दरिंदों के पुतले को फांसी लटकाकर मानसिक शांति प्राप्त की है। देश की सभी बेटियों-माताओं और बहनों को सम्मान देने और उनकी सुरक्षा का संकल्प लिया है।

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