कटा हांथ लेकर 130 किमी दूर अस्पताल पहुंचा शख्स, डॉक्टरों ने 8 घंटे के आपरेशन के बाद जोड़ दिया

गोरखपुर के सावित्री हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने 130 किमी दूर से अपना कटा हांथ लेकर आए शख्स का सफल आपरेशन किया है । यहां एक शख्स परिजनों के साथ अपना एक कटा हांथ लेकर पहुंचा तो डॉक्टरों के भी होश उड़ गए ।

गोरखपुर(Uttar Pradesh). गोरखपुर के सावित्री हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने 130 किमी दूर से अपना कटा हांथ लेकर आए शख्स का सफल आपरेशन किया है । यहां एक शख्स परिजनों के साथ अपना एक कटा हांथ लेकर पहुंचा तो डॉक्टरों के भी होश उड़ गए । उसने डॉक्टरों से आपरेशन कर हांथ जोड़ने का आग्रह किया। अस्पताल के डॉक्टरों ने परीक्षण के बाद उसका आपरेशन करने का निर्णय लिया । तकरीबन 8 घंटे चले आपरेशन के बाद उसका कटा हांथ फिर से जोड़ा गया। युवक के इस साहस को वहां मौजूद जितने भी लोगों ने देखा सभी आश्चर्यचकित रह गए।  

जानकारी के मुताबिक बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के बगहा का रहने वाला विजय कुमार अग्रवाल व्यापारी है। वह बीते 22 मार्च मिल में सरसों की पेराई कर रहा था। जैसे ही उसने मशीन में खली साफ करने के लिए दायां हाथ डाला तो कोहनी के पास से उसका हाथ कट कर अलग हो गया। इसके बाद उसे स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। स्थानीय डॉक्टरों ने उसे पटना या गोरखपुर जाने के लिए कहा। ऐसे में परिजनों ने गोरखपुर ले जाने का फैसला किया, क्योंकि वहां से गोरखपुर नजदीक है। 

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बर्फ में ढक कर 130 किमी कटा हांथ लेकर आया था शख्स 
चंपारण से गोरखपुर की दूरी तकरीबन 130 किमी है। ऐसे में परिजनों के सामने वहां पहुंचने की भी एक चुनौती थी। लेकिन परिजन कटे हुए हाथ को बर्फ से ढक कर ले आए थे। इसके कारण अस्पताल पहुंचने के चार घंटे बाद भी हाथ खराब नहीं हुआ था। आपरेशन करने वाले प्लास्टिक सर्जन डॉ. नीरज नाथानी ने मीडिया को बताया कि ऑपरेशन बेहद क्रिटिकल था। कटे हुए हाथ को धुला नहीं गया था।  खून की धमनियों में धूल के कण चिपके थे।ऑपरेशन थिएटर में पहले कटे हाथ को धुला गया। कुछ धमनियों में सड़ने की प्रक्रिया के संकेत दिखने लगे थे। जहां से हाथ उखड़ा था वहां से 9 सेंटीमीटर दूर हड्डी टूट गई थी।  ऐसे में हाथ को 10 सेंटीमीटर काट कर दूसरे हिस्से से जोड़ा गया।  ऑपरेशन में 7 से 8 घंटे लगे। 

परिजनों की सूझ-बूझ से मिली कामयाबी 
डॉ. नीरज ने मीडिया को बताया कि ऐसे मामलों में ज्यादा से ज्यादा 4 घंटे ही मैक्सिमम समय होता है। यदि चार घंटे के अंदर मरीज अस्पताल नहीं पहुंचता है तो मामला बिगड़ने की पूरी सम्भावना रहती है ।  लेकिन इस केस में राहत की बात यह थी कि परिजन हाथ को पॉलीथिन में लपेट कर उसे बर्फ के बीच रखकर लाए थे। अगर वह यह सावधानी न बरतने तो हाथ की धमनियां सड़ने लगती। ऐसे में ऑपरेशन करना संभव न होता। 
 

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