इस पुलिस चौकी पर 37 साल में सिर्फ 84 शिकायत, 22 लोगों की हत्या के बाद बनी थी चौकी

पहले इस गांव में कोई पुलिस चौकी नहीं हुआ करती थी। बेहमई काण्ड के बाद यहां रिपोर्टिंग पुलिस चौकी बनी थी। 14 फरवरी 1981 को तो पूरा गांव पुलिस की छावनी बन गया था। जहां पुलिस भी आने से घबराया करती थी।

Asianet News Hindi | Published : Aug 9, 2019 11:09 AM IST

लखनऊ. यूपी में ऐसा बहुत कम ही होता है जहां कानून व्यवस्था को लेकर सवाल ना खड़ा होता हो। लेकिन बेहमई एक ऐसी जगह है जहां केवल 37 साल में 84 शिकायतें दर्ज की गई हैं। बेहमई में कभी एक साथ 22 लाशें उठाई गई थीं। इन 22 जीते-जागते लोगों को लाश में फूलन देवी ने तबदील कर दिया था। जिसके बेहमई में एक रिपोर्टिंग पुलिस चौकी का निर्माण किया गया था।

Latest Videos

39 साल में सिर्फ 84 शिकायतें ही आई 

-पहले सिकंदरा थाना क्षेत्र में और अब राजपुर थाना क्षेत्र में आने वाली बेहमई रिपोर्टिंग पुलिस चौकी आती है। यहां पर एक SI, 6 सिपाही और 1 फालोवर तैनात हैं। चौकी इंचार्ज सोमेन्द्र सिंह बताते हैं कि 37 साल में सिर्फ 84 शिकायतें यहां आई हैं। इसमें ना तो लूट की कोई शिकायत है न ही मर्डर की, जो शिकायतें आई भी वह मुकदमे में नहीं बदल सकी क्योंकि सभी में समझौता हो गया। सोमेन्द्र बताते हैं कि बेहमई गांव के ठाकुर 84 ठाकुर कहलाते हैं ऐसे में यह लोग आपस में ही मामला सुलझा लिया करते हैं जिसकी वजह से कोई भी मामला थाने या चौकी तक नहीं पहुंचता है।

तम्बू-कनात में बनी थी चौकी 

-पहले इस गांव में कोई पुलिस चौकी नहीं हुआ करती थी। बेहमई काण्ड के बाद यहां रिपोर्टिंग पुलिस चौकी बनी थी। 14 फरवरी 1981 को तो पूरा गांव पुलिस की छावनी बन गया था। जहां पुलिस भी आने से घबराया करती थी। चौकी पर तैनात फालोवर रामरतन कहते हैं कि गांव वाले बताते हैं तब तम्बू-कनात में पुलिस चौकी हुआ करती थी। भारी संख्या में पुलिस बल तनाव को देखते हुए 1-डेढ़ साल तक तैनात रही थी। उन्होंने कहा फिलहाल अब कुछ ही पुलिस कर्मी यहां तैनात रहते हैं। 

14 फरवरी 1981 को हुई थी 22 लोगों की हत्या 

-कानपूर देहात से 50 किमी दूर नदी किनारे बीहड़ों में बसा सबसे आखिरी गांव बेहमई है। गांव वाले बताते हैं कि 1981 से पहले यह डकैतों का रास्ता हुआ करता था। कभी-कभी तो ऐसा हुआ करता था कि गांव के दो किनारों पर डकैतों के अलग-अलग गिरोह पड़े रहते थे और लोग उन्हें खाना पीना दिया करते थे। 

-यह गिरोह नदी पार कर बेहमई गांव में आया करते थे। इन्हीं में फूलन का गिरोह भी शामिल रहता था। बेहमई काण्ड के 70 साल के वादी राजाराम सिंह बताते हैं कि 14 फरवरी 1981 को गांव लूटने के उद्देश्य से फूलन गांव में आई और लूट का विरोध करने पर 22 लोगों की हत्या कर दी थी। इसमें दो लोग गांव के बाहर से थे। फूलन ठाकुरों को ही मौत के घाट उतार रही थी। 

Share this article
click me!

Latest Videos

Tirupati Laddu Prasad: गिरिराज सिंह ने की सबसे बड़ी मांग, ओवैसी और राहुल को जमकर सुना डाला
कोलकाता केसः डॉक्टरों के आंदोलन पर ये क्या बोल गए ममता बनर्जी के मंत्री
UP के जैसे दिल्ली में भी... आतिशी ने BJP पर किया सबसे बड़ा वार
झारखंड में सिर्फ भाजपा ही कर सकती है ये काम #shorts
चीन को चैन से सोने न देगा ये ड्रोन, , Joe Biden - PM Modi ने पक्की की डील