पीएम मोदी भी करते हैं वाराणसी डीएम कौशल राज शर्मा को पसंद, जानिए कैसे 24 घंटे में रुका ट्रांसफर

वाराणसी के डीएम कौशल राज शर्मा के ट्रांसफर का आदेश के बाद शासन को महज 24 घंटे के भीतर ही फैसला वापस लेना पड़ा। बताया जा रहा है कि इसके पीछे की वजह पीएमओ से आया हुआ एक आदेश है। 

Gaurav Shukla | Published : Jul 30, 2022 9:07 AM IST / Updated: Jul 31 2022, 07:38 PM IST

वाराणसी: पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा का ट्रांसफर महज 24 घंटे के भीतर ही रोक दिया गया। शुक्रवार को कौशल राज शर्मा का ट्रांसफर प्रयागराज के मंडलायुक्त पद पर कर दिया गया था, हालांकि इस आदेश के कुछ घंटों बाद ही एक नया आदेश भी आया और कौशल राज शर्मा के ट्रांसफर को रोकना पड़ा। 

कई अहम शहरों में संभाल चुके हैं जिम्मेदारी
कौशल राज शर्मा मूल रूप से हरियाणा के भिवानी जनपद के रहने वाले हैं। वह 2006 में आईएएस की परीक्षा पास करने के बाद यूपी कैडर में शामिल हुए। उन्होंने टेक्सटाइल इंजीनियरिंग से एमटेक और एमए पब्लिक पॉलिसी की पढ़ाई की है। भले ही कौशल राज शर्मा का स्वभाव बेहद शांत है लेकिन वह कामकाज में काफी तेज है। वाराणसी से पहले वह प्रयागराज, कानपुर और लखनऊ जैसे शहरों की कमान संभाल चुके हैं। 

पीएम से मिल चुका है एक्सिलेंस अवार्ड 
2 नवंबर 2019 को जब भाजपा लोकसभा चुनाव जीतने के बाद दोबारा सत्ता में आई तो पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की कमान कौशल राज शर्मा को सौंपी गई। उसके बाद से लेकर अभी तक वह यहां इसी पद पर बने हैं। इस बीच तमाम परियोजनाएं जो केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा चलाई गई उन्हें यहां आगे बढ़ाया गया। जिस दौरान कौशल राज शर्मा ने वाराणसी का कार्यभार संभाला था उस समय भाजपा विवादों में घिरी थी। हालांकि काम संभालने के साथ ही काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, वाराणसी की सड़कों का चौड़ीकरण और कोरोनाकाल में किया गया बेहतर काम, यह सब कौशल राज की ही मेहनत का परिणाम है। उन्हें 2020 में फेम इंडिया मैगजीन की ओर से देशभर के 50 सर्वश्रेष्ठ आईएएस अधिकारियों की लिस्ट में भी शामिल किया गया था। 2022 में पीएम ने उन्हें एक्सिलेंस अवार्ड भी दिया। 

इस तरह से 24 घंटे में रुक गया ट्रांसफर
कौशल राज शर्मा का ट्रांसफर शुक्रवार को शासन ने कर दिया था। उन्हें प्रयागराज के नए मंडलायुक्त की कमान सौंपी गई थी। हालांकि इसके 24 घंटे के भीतर ही फैसले को वापस लेना पड़ा। मीडिया रिपोर्टस में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि उनका ट्रांसफर रोकने के लिए खुद पीएमओ ने कहा। पीएमओ की ओर से शासन को कहा गया कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में प्रशासनिक फेरबदल से पहले पीएमओ को सूचित किया जाए। अभी भी कई विकास कार्य बचे हुए हैं और 2024 में लोकसभा के चुनाव भी होने हैं। लिहाजा यदि इस समय कोई गड़बड़ी होती है तो सीधे सवाल पीएम मोदी पर ही खड़े होंगे। लिहाजा इस समय इस तरह का कोई भी रिस्क नहीं लिया जा सकता है। 

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