पीएम मोदी राम मंदिर की रखने आएं आधारशिला, इन्होंने जताई इच्छा

साकेतवासी परमहंस रामचंद्रदास ने 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री के दूत के रूप में आए आइएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को शिला सौंपा था। 18 वर्ष पूर्व दान की गई इस शिला से मंदिर में आधारशिला रखने की मांग भी की जा रही है।

Ankur Shukla | Published : Jan 9, 2020 8:49 AM IST

अयोध्या (उत्तर प्रदेश)। राम मंदिर की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों रखवाने की इच्छा जताई जा रही है। यह इच्छा दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेशदास, मस्जिद के पैरोकार रहे मो. इकबाल अंसारी और रामलला के प्रधान अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास ने जताई है। 

खरमास बाद सामने आएगा शासकीय प्रयास
रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं मणिरामदासजी की छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास कहा कि मकर संक्रांति को खरमास समाप्त होने के बाद मंदिर निर्माण को लेकर शासकीय स्तर पर प्रयास भी सामने आ सकता है।

मार्गदर्शक मंडल की बैठक होगी अहम
महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि 20 जनवरी को प्रयाग में प्रस्तावित केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक मंदिर निर्माण की दृष्टि से अहम होगी। इस बैठक में राम जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण के लिए प्रस्तावित शासकीय ट्रस्ट के स्वरूप और राममंदिर के शिलान्यास को लेकर स्थिति काफी हद तक स्पष्ट हो जाएगी। 

आधारशिला के रूप में वही शिला हो प्रयुक्त
साकेतवासी परमहंस रामचंद्रदास ने 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री के दूत के रूप में आए आइएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को शिला सौंपा था। 18 वर्ष पूर्व दान की गई इस शिला से मंदिर में आधारशिला रखने की मांग भी की जा रही है। उनके शिष्य महंत सुरेशदास ने सोमवार को मांग उठाई कि मंदिर में उसी शिला का प्रयोग हो, जिसे मंदिर निर्माण की मंशा से उनके गुरु ने 18 वर्ष पूर्व दान किया था। अब उन्होंने अपनी मांग में जोड़ा कि मंदिर की आधारशिला रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या आएं। 

परमहंस की दोस्ती की मिसाल दे रहे मो. इकबाल अंसारी
मो. इकबाल अंसारी भी इसी बात के पक्ष में है कि आधारशिला में परमहंस की दी शिला का प्रयोग हो। आधारशिला रखने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही करें। इस इच्छा के साथ इकबाल अपने वालिद मरहूम हाशिम अंसारी और परमहंस की दोस्ती की मिसाल भी दे रहे हैं।

आचार्य सत्येंद्रदास ने किया समर्थन
आचार्य सत्येंद्रदास ने भी कहा कि मंदिर की आधारशिला के रूप में उस शिला का हक बनता है, जिसे परमहंस ने प्रधानमंत्री के दूत के रूप में आए वरिष्ठ आइएएस अधिकारी को सौंपा था, वहीं मंदिर की आधारशिला रखने के लिए प्रधानमंत्री से सुपात्र कोई अन्य व्यक्ति नहीं हो सकता।

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