अयोध्या के एक और मंदिर पर पुलिस का पहरा, बेशकीमती जमीनों को हथियाने में हुईं कई हत्याएं

उत्तर प्रदेश की रामनगरी अयोध्या में एक और मंदिर ऐसा है जहां पुलिस का पहरा रहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मठ मंदिरों की बेशकीमती जमीनों को महंतों अपनाने के लिए दूसरों की हत्या कर अपनी लाइफ स्टाइल को बेहतर बनाने के प्रयास में लगे रहते है।

Asianet News Hindi | Published : Aug 21, 2022 3:35 AM IST

अनुराग शुक्ला
अयोध्या:
उत्तर प्रदेश के जिले अयोध्या के एक और मंदिर पर पुलिस ने पहरा बैठा दिया है। रायगंज स्थित नरसिंह मंदिर कब्जेदारी का विवाद होने के बाद सुर्खियों में है। इस मंदिर को कब्जाने के लिए पिछले कई वर्षों से लोगों ने चौसर बिछाई लेकिन शह- मात के खेल में बात आगे नहीं बढ़ी । ताजा घटनाक्रम में इसकी पटकथा 5 महीने पहले लिखी जानी शुरू हुई। लेकिन वांटेड महंत देवराम दास वेदांती का नाम मंदिर हड़पने की स्क्रिप्ट में होने के कारण राम नगरी के मानिंद मठाधीशों ने मुद्दा बना लिया और पूरे मामले ने यू टर्न ले लिया। 18 तारीख को अलसुबह हुए दो धमाकों के बाद 8 लोगों के ऊपर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज हो गया। जिसमे मोहन दास और विवेक दास को जेल भी भेज दिया गया। मामला चौकी से महज 30 कदम की दूरी का था और पहले से चौकी इंचार्ज को विवाद की जानकारी थी उसके बाद भी उन्होंने एक्सन नही लिया इसलिए उन्हें लाइन हाजिर कर दिया गया। अब घटना के एक दिन बाद ही रायगंज चौकी क्षेत्र के संत रविदास मंदिर के महंत बनवारी पति उर्फ ब्रह्मचारी ने डिप्टी सीएम केशव मौर्या और केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर से शिकायत की है कि उनके मठ की जमीन को कब्जा करने का प्रयास प्रयागराज से आए कुछ दबंग कर रहे हैं, लेकिन शिकायत करने के बावजूद स्थानीय पुलिस मौन है।

मंदिर के महंत द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र की शुरू हुई हुई जांच
मठाधीशों का कोतवाली में 5 घंटे से ज्यादा बैठे रहना शासन के उच्चाधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गया है। सूत्रों के मुताबिक शासन ने पूरे मामले की जानकारी जिले के अधिकारियों से मांगी है।  जिला प्रशासन को मंदिर के महंत रामशरण दास ने 15 अगस्त को प्रार्थना पत्र दिया था ।जिसमें उन्होंने मंदिर के तथाकथित पुजारी प्रेम सागर उर्फ राम शंकर दास पर ही कब्जा करने और धमकियां देने का आरोप लगाया था। प्रार्थना पत्र देने के महज 2 दिन बाद ही मंदिर में धमाका भी हो जाता है। 92 साल के महंत की हैंडराइटिंग का मिलान करने के लिए सैंपल लैब में भेजा गया है। नामजद लोगों में कुछ लोग सोशल मीडिया में महंत द्वारा आरोपी पुजारी की फ़ोटो शेयर कर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं और कोर्ट की शरण मे जा कर मुकदमे को फर्जी बता कर हलफनामा दाखिल करने की तैयारी में हैं। स्थानीय लोगों की माने तो कब्जा करने वाले लोगों ने पूरी व्यूह रचना 5 महीने पहले से रचनी शुरू कर दी थी। 

मठ-मंदिरों की बेशकीमती जमीनें महंतों के लिए साबित हुई काल 
राम नगरी की बेशकीमती जमीनों को कब्जा करने का मामला नया नहीं है। यह सिलसिला 80 के दशक से ही शुरु चल रहा है। इसमें 1 दर्जन से अधिक महंतो और संतों की हत्या अब तक हो चुकी है। सभी हत्याओं में कहीं न कहीं महंतों के अपने ही शामिल होने का आरोप लगता रहा है। विवाद के काऱण यहां के कई मंदिरों में कोर्ट के आदेश से रिसीवर भी नियुक्त कर दिए गए हैैं। पिछले इतिहास को खंगालेें तो1982 से हनुमान गढ़ी में ताबड़तोड़ महंतो के ऊपर जानलेवा हमले होने लगे। 1984 में बसंतिया पट्टी के महंत शुभकरण दास की हत्या कर लाश हनुमानगढ़ी परिसर स्थित कुएं में फेंक दी गई थी। इस हत्या में मठ के उपेंद्र दास समेत कई लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। सन 1987 में सागरीय पट्टी के हरि भजन दास, सन 90 में उज्जैनिया पट्टी के बाबा बजरंग दास और सन 99 में महंत रामाज्ञा दास की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी । 1988 में सनातन मंदिर के महंत मोहन चंद्र झा और 90 के दशक आते -आते लाडली मंदिर के महंत जगत नारायण दास की निर्मम हत्या दिनदहाड़े हनुमानगढ़ी के निकट कर दी गई थी। सन 2001 में कनीगंज स्थित सोना मंदिर के महंत का अपहरण कर लिया गया था। जिनका आज तक पता नहीं चला। यह वारदात भी मंदिर पर कब्जे के विवाद को लेकर की गई थी। 

सालों-साल महंतों की हत्या का सिलसिला चलने के बाद हुआ शांत
सन 96 में शुक्ल मंदिर के महंत राम शंकर दास की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। उनका विवाद काफी समय से मंदिर पर कब्जे को लेकर चल रहा था। सन 97 में बाबा राम कृपाल दास की दिनदहाड़े हत्या अयोध्या के राम घाट इलाके में कर दी गई थी। इस हत्या में मंदिर पर कब्जे का विवाद सामने आया था। मई 2000 में महंत जगदीश दास की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मणिराम दास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास पर जानलेवा हमला 28 मई 2000 को राम की पैड़ी के निकट अहिल्याबाई घाट पर उस समय किया गया था। जब वे अपने शिष्यों के साथ सरयू स्नान के लिए जा रहे थे। इस हमले के पीछे महंत देवराम दास वेदांती का षड्यंत्र बताया गया था। हत्याओं का सिलसिला कुछ वर्ष शांत रहा, लेकिन वर्ष 2018 में एक बार फिर विद्या कुंड क्षेत्र स्थित विद्या माता मंदिर के संत राम चरण दास की गला घोट कर हत्या कर दी गई। इस मामले में भी मंदिर के एक साधु परमात्मा दास को गिरफ्तार किया गया था। डेढ़ वर्ष पहले  हनुमान गढ़ी की बसंतिया पट्टी के गुलचमन बाग के संत बाबा कन्हैया दास की हत्या कर शव गोशाला में छुपाया गया था। इसमें भी इनके गुरुभाई अखिलेश और गोलू दास पकड़े गए।

लग्जरी स्टाइल के शौकीन है राम नगरी के संत-महंत
किसी भी तरह मंदिर का महंत बन जाने के बाद कुछ संतो महंतों की लाइफ स्टाइल कुछ ही दिनों में बदल जाती है। मंदिरों की बेशकीमती जमीनों को बेचकर आराम की सारी चीजों का वैभव सार्वजनिक तौर पर दिखने लगता है। लग्जरी स्टाइल के शौकीन महंत हर वह सुविधा से युक्त होते हैं, जिन्हें पाने के लिए एक व्यक्ति सपने देखता है। यही कारण है कि अयोध्या के मठ-मंदिरों की बेशकीमती जमीनों को हथियाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं।

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