कभी ऑटो चलाने वाला अब बना विधायक, बेटी ने मिठाई खिलाई तो आंख में आ गए आंसू

Published : Oct 25, 2019, 02:18 PM ISTUpdated : Oct 25, 2019, 02:24 PM IST
कभी ऑटो चलाने वाला अब बना विधायक, बेटी ने मिठाई खिलाई तो आंख में आ गए आंसू

सार

यूपी की 11 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे गुरुवार को घोषित किए गए। बीजेपी ने 8 सीटों पर अपना परचम लहराया, जिसमें एक सीट अपना दल की भी शामिल है। अपना दल के कैंडिडेट राजकुमार पाल ने प्रतापगढ़ सीट से जीत दर्ज की। चुने एक इस विधायक की जीवन काफी संघर्ष भरा रहा है। hindi.asianetnews.com से खास बातचीत में राजकुमार ने अपने संघर्षों को शेयर किया। 

प्रतापगढ़ (Uttar Pradesh). यूपी की 11 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे गुरुवार को घोषित किए गए। बीजेपी ने 8 सीटों पर अपना परचम लहराया, जिसमें एक सीट अपना दल की भी शामिल है। अपना दल के कैंडिडेट राजकुमार पाल ने प्रतापगढ़ सीट से जीत दर्ज की। चुने एक इस विधायक की जीवन काफी संघर्ष भरा रहा है। hindi.asianetnews.com से खास बातचीत में राजकुमार ने अपने संघर्षों को शेयर किया। 

जब बीच में ही इस नेता ने छोड़ दी थी पढ़ाई
विकासखंड सदर के पूरे ईश्वर नाथ गांव के रहने वाले राजकुमार पाल का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा। इनकी बेसिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय में हुई। इसके बाद इंटर शहर स्थित तिलक कालेज से किया। आगे की पढ़ाई साकेत महाविद्यालय फैजाबाद से की। लेकिन इस बीच पिता की तबियत खराब होने और घर की आर्थिक तंगी की वजह से बीए सेकंड ईयर में पढ़ाई छोड़ मुम्बई कमाने चले गए। 

गरीबी की वजह से मुंबई में आटो चलाता था ये नेता
राजकुमार बताते हैं, परिवार की आर्थिक हालात खराब होने के कारण मैं मुम्बई चला गया। वहां कुछ दोसतों की मदद से एक ऑटो चलाने को मिल गया। 1985 में ऑटो चालक बना। तब एक किलोमीटर चलाने पर प्रति सवारी 1.50 रुपए किराया मिलता था। 44624 मेरा ऑटो बैच नम्बर था। कुछ स्थिति बेहतर होने के बाद 1993 में वापस गांव लौटा और सपा में शामिल होकर राजनीति की शुरुआत की। कुछ साल बाद भाजपा में शामिल हो गया। साल 1995 में पत्नी राज कुमारी पाल ग्राम प्रधान बनीं। इसके बाद मैं ग्राम प्रधान और पत्नी क्षेत्र पंचायत सदस्य निर्वाचित हुईं। पत्नी 2 बार ग्राम प्रधान रहीं। दूसरे कार्यकाल में उनका बीमारी के कारण निधन हो गया। जिसके बाद बेटी प्रियंका निर्विरोध ग्राम प्रधान चुनी गई। 

पत्नी के न होने का छलका दर्द 
एक ओर विधायक बनने के बाद राज कुमार पाल खुश थे, लेकिन दूसरी ओर उनका मन उदास भी था। पत्नी की कमी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी। बेटी प्रियंका अपनी दादी का मुंह मीठा कराते समय भावुक हो गई। इस दौरान विधायक की आंखों में भी आंसू आ गए। उन्होंने कहा, जिस उम्मीद के साथ लोगों ने मुझे चुना है उस पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा।

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