अधूरा रह गया दिवाली पर कपड़े-खिलौने का वादा, कश्मीर कमाने गए-कफन में वापस आए मजदूरों के बच्चों का दर्द

कन्नौज से कश्मीर मजदूरी करने गए दो मजदूरों की आतंकी हमले में मौत हो गई। मृतकों के परिवारों में मातम फैला हुआ है। कश्मीर से प्लेन के जरिए दोनों मजदूरों के शवों को लखनऊ लाया जाएगा। एक ही गांव में हुई दो मौतों से पूरा गांव शोक में डूबा हुआ है।

कन्नौज: उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले से कश्मीर मजदूरी के लिए गए दो मजदूरों की सोमवार को कश्मीर में आतंकियों ने हत्या कर दी। दीवाली का त्यौहार मनाने के लिए दोनों मजदूर 19 अक्टूबर को वापस अपने घर लौटने वाले थे। लेकिन उससे ठीक एक दिन पहले दोनों की मौत हो गई। परिवार जिनके आने का इंतजार कर रहा था, अब उसी घर में उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां की जा रही हैं। एक ही गांव में हुई दो मौतों से पूरा गांव शोक में डूबा हुआ है। बताया जा रहा है कि दोनों मजदूर ठठिया थाना क्षेत्र के दन्नापुरवा गांव के निवासी थे और पड़ोसी भी थे। आज यानि की बुधवार को उनका शव गांव लाया जाएगा। 

परिवार की आर्थिक स्थिति है बेहद खराब
कश्मीर में मरने वाले मजदूर 40 वर्षीय मुनेश और 50 वर्षीय राम सागर के घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। मुनेश के पास डेढ़ बीघा जमीन है। सरकारी राशन से मुनेश के घर का खर्चा मुश्किल से चल पाता है। वहीं राम सागर के हिस्से में सरकारी राशन भी नहीं आता है। केवल खेती और मजदूरी ही उसके घर का सहारा है। मृतकों के बच्चे बेसब्री से अपने पिता के घर लौटने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन अब उनका इंतजार मायूसी में बदल गई। मुनेश की 8 वर्षीय बेटी अनुष्का ने बताया कि 4 दिन पहले उसकी अपने पिता से बात हुई थी। अनुष्का ने कहा कि उसके पिता ने कहा था कि इस बार वह कश्मीर से उसके लिए कपड़े लेकर आएंगे। मिठाई और पटाखे वहीं से दिला देंगे। खिलौने दिलाने के लिए भी बोल रहे थे।

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मजदूरों ने बच्चों से किए थे ये वादे
दीवाली की पूजा के बाद सबका साथ में घूमने जाने का भी प्लान था। वहीं मुनेश की छोटी बेटी प्रिया ने कहा कि जब उसकी पापा से बात हुई थी, तो उन्होंने कहा था कि कॉपी-किताब और पेन्सिल सब दिलाएंगे। मुनेश ने अपने बच्चों से अच्छे से पढ़ाई करने का वादा भी करवाया था। प्रिया ने बताया कि पापा ने कहा था कि तुम लोग अच्छे से पढ़ाई करना। वहीं मुनेश की पत्नी पुष्पा पति की मौत की खबर के बाद से बेसुध हो गई हैं। पुष्पा ने रोते हुए कहा कि हम लोगों के पास पैसे भी नहीं बचे हैं। ऐसे में कैसे घर का खर्चा चलाया जाएगा। पुष्पा ने बताया कि मुनेश ने उससे कहा था कि 10-15 हजार रुपए उनको कश्मीर में मजदूरी मिलनी है। लेकिन अब मुनेश के जाने के बाद हमारे घर का सहारा तो चला गया।

पिता का हाथ बटाने के लिए बच्चों ने छोड़ी पढ़ाई
वहीं मुनेश के घर से 500 मीटर की दूरी पर राम सागर का घर है। राम सागर की पत्नी रोते-रोते बेहोश हो जाती हैं। वह ठीक से बोलने की भी स्थिति में नहीं हैं। वह होश में आते ही खुद को मारने लग जाती हैं। राम सागर के 14 साल के बेटे हिमांशु ने बताया कि पैसे कमाने के लिए हम लोगों ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी। वह और उसका 12 साल का भाई मजदूरी करता है। उसने बताया कि हम लोगों ने सोचा कि अगर पढ़ाई छोड़कर काम करेंगे तो पापा को भी थोड़ा सहारा मिल जाएगा। हिमांशु ने बताया कि उसके पापा की हत्या से एक दिन पहले उसकी बात हुई थी। रामसागर ने अपने बच्चों से कहा था कि जब घर आ जाएंगे तभी सब लोग मिलकर खरीदारी कर लेंगे। दीपावली पर हम लोग कपड़े, पटाखे, मिठाई, लाइट सब खरीदेंगे। साथ मिलकर त्योहार मनाएंगे। कश्मीर से वो हम लोगों के लिए गर्म कपड़े लेकर आ रहे थे। बता रहे थे उनको अभी मजदूरी नहीं मिली है।

आतंकी हमले में मारे गए दो मजदूर
बता दें कि सोमवार देर रात मुनेश और राम सागर कश्मीर के शोपियां के हरमेन में अपने कमरे में सो रहे थे। तभी रात करीब 12 बजे के आसपास आतंकियों ने उन पर ग्रेनेड से हमला कर दिया। इस हमले में उनकी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि कश्मीर में दोनों का पोस्टमार्टम होने के बाद शव को प्लेन से बुधवार को लखनऊ लाया जाएगा। जिसके बाद दोनों मजदूरों के शवों को वाहन से कन्नौज भेजा जाएगा। इसके बाद वहां पर दोनों का फिर से पोस्टमार्टम किया जाएगा। इसके बाद उनके परिजन अंतिम संस्कार करेंगे। 

SDM बोले- हर संभव की जाएगी मदद
मुनेश और राम सागर की हत्या की खबर मिलने के बाद पुलिस की टीमें उनके घर पहुंची हैं। एसडीएम उमाकांत तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि परिवारों की हर संभव मदद की जाएगी। साथ ही उन्हें आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार से नौकरी दिलाने के लिए बोला जाएगा। दोनों ही परिवारों की स्थिति अच्छी नहीं है। वहीं पुलिस ने कश्मीर में हुए हमले के  लश्कर-ए-तैयबा का एक हाइब्रिड आतंकवादी को गिरफ्तार कर लिया है। हमले के दौरान सभी मजदूर अपने-अपने कमरों में सो रहे थे।  

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