यूपी के देवबंद में दारुल उलूम में कुलहिंद राब्ता-ए-मदारिस इस्लामिया की ओर से मदरसों के राष्ट्रीय सम्मेलन में मौलाना मदनी ने कहा कि किसी बोर्ड से दीनी मदारिस नहीं जुड़ेंगे और साथ ही सरकारी मदद की कोई जरूरत नहीं है।
सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के देवबंद में इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम में कुलहिंद राब्ता-ए-मदारिस इस्लामिया के राष्ट्रीय सम्मेलन में जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि किसी सरकारी मदद की जरूरत नहीं है और दीनी मदारिस किसी भी बोर्ड से नहीं जुड़ेंगा। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया का कोई भी बोर्ड मदरसों की स्थापना के मकसद को नहीं समझ सकता है। दरअसल रविवार को मस्जिद रशीदिया में आयोजित मदरसों के राष्ट्रीय सम्मेलन में मौलाना अरशद मदनी आगे कहते है कि दारुल उलूम और उलमा-ए-देवबंद ने देश की आजादी में मुख्य भूमिका निभाई है जबकि मदरसों की स्थापना का उद्देश्य ही देश की आजादी थी।
समाज के साथ-साथ देश को भी है धार्मिक लोगों की जरूरत
मौलाना अरशद मदनी कहते है कि उन्होंने ही देश को आजादी दिलाई जो अपने मुल्क से बेपनाह मोहब्बत करता है लेकिन दुख की बात यह है कि आज मदरसों के ऊपर ही प्रश्नचिन्ह लगाए जा रहे हैं और मदरसे चलाने वालों को ही दहशतगर्दी से जोड़ने का प्रयास भी किया जा रहा है। हर मजहब के लोग अपने मजहब के लिए काम करते हैं तो हम अपने मजहब की हिफाजत क्यों न करें। समाज के साथ-साथ देश को भी धार्मिक लोगों की जरूरत हैं। मदरसे और जमीयत गैर राजनीतिक हैं, इनका राजनीति से कोई वास्ता नहीं है। आगे कहते है कि अगर उस समय देश की राजनीति में हिस्सा लेते तो आज सत्ता के बड़े दावेदार होते।
दारुल उलूम के निर्माण कार्यों पर लगाई जा रही है पाबंदियां
अरशद मदनी ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज अमन का पैगाम देने वाले इरादे दारुल उलूम के निर्माण कार्यों पर पाबंदियां लगाई जा रही है जबकि इससे पहले निर्माण की एक ईंट लगाने के लिए भी किसी की इजाजत नहीं लेनी पड़ी। ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस के बूढ़े जानते थे कि दारुल उलूम की देश की आजादी में क्या भूमिका है पर याद रखे कि हालात और सरकारें बदलती रहती है। आगे कहते है कि बहुत से लोग देश के करोड़ों अरबों रुपए लेकर फरार हो गए हैं लेकिन हम देश के साथ खड़े हैं। कौन किसको वोट देता है या नहीं देता है इससे कोई लेना देना नहीं है। बता दें कि कुलहिंद राब्ता-ए-मदारिस के बैनर तले देवबंद में साल 2008 के फरवरी महीने में आतंकवाद विरोधी कांफ्रेंस आयोजित की गई थी। इसमें पूरे देश के करीब 20 हजाह उलमा ने शिरकत की थी। इसी कांफ्रेंस में आतंकवाद के खिलाफ फतवा जारी किया गया था, जो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना था। इस संगठन की स्थापना के बाद से सबसे बड़ा कार्यक्रम था।