समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राम नगरी अयोध्या में बुधवार को विवादित बयान दिया था। जिसपर आयोध्या के संत और विहिप क्रोधित होकर कहते है कि अयोध्या की रामलीला को बंद कर इन्होंने ही सैफई में ठुमके लगवाए थे।
अनुराग शुक्ला
अयोध्या: पूर्व मुख्यमंत्री व विधानसभा नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव बुधवार की शाम को अयोध्या में कहा कि रात के अंधेरे में मूर्तियां रख दी गई थी। मंदिर तो कहीं भी बनाया जा सकता है कहीं भी पत्थर रख दो, लाल झंडा लगा दो, पीपल के पेड़ के नीचे और बन गया मंदिर। इस बयान के आने के बाद अयोध्या के संत -धर्माचार्य और विश्व हिंदू परिषद (विहिप )क्रोधित है। सब ने कहा है कि अखिलेश यादव केवल एक धर्म विशेष को प्रसन्न करने के लिए अनर्गल बयान बाजी कर रहे हैं। जबकि वह नहीं जानते तुष्टीकरण की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है। अब वे सत्ता का मोह छोड़ दे।
रामलीला को बंद कर सैफई में लगवाए थे ठुमके
विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा अखिलेश यादव भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे हैं। अब दुबारा राम जन्मभूमि पर बाबरी मस्जिद खड़ी नहीं होगी और ना काशी मथुरा को मुक्त होने से अखिलेश यादव रोक पाएंगे। उन्होंने कहा सत्ता पाने के लिए इस प्रकार के बयान दिए जा रहे हैं। उन्होंने याद दिलाते हुए कहा इनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने अयोध्या में गोली और चलवाई राम भक्तों की हत्या कराई। इन्होंने राम मंदिर के निर्माण में आ रहे पत्थरों को रोक दिया था, 84 कोसी परिक्रमा पर प्रतिबंध लगा दिया, संतो को जेल भेज कर प्रताड़ित किए और अयोध्या में चल रही अनवरत रामलीला को बंद कराकर सैफई में ठुमके लगवाने का काम इन्होंने ही किया।
रामलला जब प्रकट हुए तब अखिलेश यादव का जन्म भी नहीं हुआ था
प्रसिद्ध कथा वाचक प्रभंजनानंद शरण ने कहा श्री राम लला जब प्रकट हुए थे तो अखिलेश यादव का जन्म भी नहीं हुआ था। उन्हें नहीं पता कि भगवान जब 1949 में प्रकट हुए तब इस बात की जानकारी सबसे पहले एक मुस्लिम चौकीदार ने दी थी। राम कचहरी चारों धाम के महंत शशिकांत दास ने कहा सनातन धर्म के लोग कण-कण में भगवान को देखते हैं और धरती पर उगे वृक्षों की पूजा करते हैं। हिंदू समाज मानता है कि वृक्षों में भी भगवान का वास होता है। कहा अखिलेश यादव की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है। इसलिए वे अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं। हनुमानगढ़ी अखाड़े के मुख्य पुजारी रमेश दास ने कहा चुनाव के समय इन्हीं देवी देवताओं को वह मंदिर-मंदिर जा कर पूजते थे और चंदन लगाकर घूमते थे। चुनाव खत्म होते ही मंदिर और देवी देवता उन्हें खराब लगने लगे। अगर वे भगवान पर भरोसा नहीं करते हैं तो अयोध्या में दर्शन क्यों किए।
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