2 डिग्री तापमान की भयंकर ठंड हो या 45 डिग्री की गर्मी, 20 सालों से बिना कपड़ों के हठयोग कर रहा ये साधक

प्रयागराज में संगम की रेती पर माघ मेला लगा हुआ है। पूरे देश से लोग संगम में स्नान करने पहुंच रहे हैं। लेकिन माघमेले की भीड़ में कई ऐसे भी लोग दिख जाते हैं जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं। ऐसा ही एक साधक इन दिनों माघमेले में हठयोग करता आपको दिख जाएगा। ये साधक 20 सालों से हर मौसम में बिना कपड़े के रहता है। 
 

Ujjwal Singh | Published : Jan 12, 2020 7:23 AM IST

प्रयागराज(Uttar Pradesh ). प्रयागराज में संगम की रेती पर माघ मेला लगा हुआ है। पूरे देश से लोग संगम में स्नान करने पहुंच रहे हैं। लेकिन माघमेले की भीड़ में कई ऐसे भी लोग दिख जाते हैं जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं। ऐसा ही एक साधक इन दिनों माघमेले में हठयोग करता आपको दिख जाएगा। ये साधक 20 सालों से हर मौसम में बिना कपड़े के रहता है। 

संगम किनारे माघ मेले में तरह-तरह के आयोजन हो रहे हैं। इस साल माघ मेला शुरू होने के ठीक पहले हुई बारिश से यहां की व्यवस्था थोड़ी बहुत चरमराई जरूर लेकिन अब यहां रौनक लौटने लगी है। गंगा के किनारे दूर-दराज से आए लाखों संत साधना व कल्पवास में लीन हैं। ये संत अपने अजीबोगरीब शैली को लेकर खासे चर्चित और आकर्षण का केंद्र बने हैं। ऐसे ही एक साधु फतेहपुर जिले से आए महंत अमर गिरी हैं। 20 सालों से बिना कपड़ों के साधना में लीन हैं। 

Latest Videos

20 सालों से बिना कपड़ों के कर रहे हठयोग 
प्रयागराज में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है। लेकिन महंत अमर गिरी बिना कपड़ों के साधना में लीन हैं। उन्होंने 20 सालों से वस्त्र धारण नहीं किया है। वह प्रयागराज में संगम किनारे बैठकर साधना कर रहे हैं। महंत अमर गिरी ने संगम के किनारे की नागा साधु बनने की दीक्षा ली थी। 

25 साल पहले छोड़ दिया था घर 
महंत अमर गिरी फतेहपुर जिले के खागा के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि पांचवीं क्लास में पढ़ाई के दौरान ही उनका मन पढ़ने के बजाय भगवत भक्ति में ज्यादा लगता था। साधुओं की कोई टोली गांव में आती तो वह उनके पीछे हो लेते थे। कई बार घर वाले उन्हें पकड़ कर ले आते थे। लेकिन अंत में उन्होंने सारी अड़चनों को दरकिनार करते हुए भगवतभक्ति में ही खुद को लगा दिया। 

गांव से 2 किमी दूर आश्रम बनाकर करते हैं साधना 
महंत अमर गिरी का कहना है कि उन्हें सांसारिक जीवन पसंद नहीं आया। जिसके बाद उन्होंने तकरीबन 25 साल पहले घर छोड़ दिया उस समय उनकी आयु 12 वर्ष थी। उन्होंने गांव से तकरीबन 2 किमी दूर जंगल में अपना आश्रम बनाया। वहां उन्होंने दो गाय भी पाली है। गऊ पालन करके व भगवत भक्ति में उनका सारा समय आसानी से बीत जाता है। 

तकरीबन 15 सालों से संगम किनारे करते हैं कल्पवास 
महंत अमर गिरी ने बताया कि तकरीबन 15 सालों से वह संगम किनारे कल्पवास करते आ रहे हैं। वह हर माघ मेले व कुम्भ में हर बार आते हैं और संगम के किनारे साधना करते हैं। उन्होंने बताया कि प्रशासन ने उन्हें कोई जगह टेंट के लिए नहीं दी है लेकिन उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वह हठयोग साधक हैं। उन्हें खुले आसमान के नीचे भी कोई फर्क नहीं। 

Share this article
click me!

Latest Videos

अमेरिका में किया वादा निभाने हरियाणा के करनाल पहुंचे राहुल गांधी | Haryana Election
कौन हैं मुकेश अहलावत? आतिशी की टीम सबसे ज्यादा इनकी चर्चा क्यों
Odisha Case: Rahul Gandhi ने Army अधिकारी की मंगेतर से थाने में बर्बरता पर साधा निशाना
Akhilesh Yadav LIVE: माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रेस वार्ता
जम्मू के कटरा में PM Modi ने भरी हुंकार, शाही परिवार को धो डाला