BSP को बड़ा झटका, सपा में आज शामिल होगा हरिशंकर तिवारी का पूरा परिवार...BJP की बढ़ी चिंता

बसपा सुप्रीमो मायावती ने हरिशंकर तिवारी के पूरे कुनबे (भाई कुशल तिवारी और रिश्‍तेदार गणेश पांडेय सहित) पार्टी से बाहर का रास्‍ता दिखा दिया है। इस परिवार के सपा में शामिल होना बसपा के साथ-साथ भाजपा के लिए भी चिंता का विषय हो सकता है। यूपी की मौजूदा राजनीति में काफी समय से यह परिवार चर्चा में नहीं रहा है लेकिन पूर्वांचल के जातिगत समीकरणों में इसकी दखल से कोई भी इनकार नहीं करता।

Asianet News Hindi | Published : Dec 12, 2021 3:45 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Vidhan Sabha Election 2022) के अब कुछ ही दिन रह गए हैं। ऐसे में सभी दल दूसरें विपक्षी दलों को कमजोर करने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) लगातार मायावती (Mayawati) को झटका दे रहे हैं। इसी सिलसिले में रविवार को बसपा के पूर्वांचल के कद्दावर नेता माने जाने वाले पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी (Harishankar Tiwari) के पुत्र भीष्म शंकर तिवारी, विधायक विनय शंकर तिवारी व पूर्व एमएलसी गणेश शंकर पांडेय रविवार को सपा मे शामिल होने जा रहे हैं। 

मायावती ने किया था पार्टी से निष्कासित

बसपा सुप्रीमो मायावती ने हरिशंकर तिवारी के पूरे कुनबे (भाई कुशल तिवारी और रिश्‍तेदार गणेश पांडेय सहित) पार्टी से बाहर का रास्‍ता दिखा दिया है। इस परिवार के सपा में शामिल होना बसपा के साथ-साथ भाजपा के लिए भी चिंता का विषय हो सकता है। यूपी की मौजूदा राजनीति में काफी समय से यह परिवार चर्चा में नहीं रहा है लेकिन पूर्वांचल के जातिगत समीकरणों में इसकी दखल से कोई भी इनकार नहीं करता। 80 के दशक में हरिशंकर तिवारी और वीरेन्‍द्र प्रताप शाही के बीच वर्चस्‍व की जंग ने ब्राह्मण बनाम ठाकुर का रूप ले लिया था।

माना जाता है कि इन्‍हीं दो बाहुबलियों के विधायक बनने के बाद यूपी की सियासत में बाहुबलियों की एंट्री शुरू हुई। हरिशंकर तिवारी चिल्‍लूपार विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार विधायक रहे। कल्‍याण सिंह, राजनाथ सिंह और मुलायम सिंह यादव की सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे लेकिन 2007 के चुनाव में बसपा के राजेश त्रिपाठी ने उन्‍हें चुनाव हरा दिया। 

इसके बाद भी यूपी की सियासत में तिवारी परिवार का रसूख कम नहीं हुआ। उनके बड़े बेटे कुशल तिवारी संतकबीरनगर से दो बार सांसद रहे तो छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी चिल्‍लूपार सीट से विधायक हैं। जबकि हरिशंकर तिवारी के भांजे गणेश शंकर पांडेय बसपा सरकार में विधान परिषद सभापति रहे हैं। अब कहा जा रहा है कि ये सभी नेता सपा में शामिल हो सकते हैं। 

बीजेपी के लिए चिंता की बात

तिवारी परिवार के सपा में आने से बसपा के साथ-साथ भाजपा के लिए भी चिंता का विषय हो सकता है। इसे जहां बसपा की सोशल इंजीनियरिंग को झटका माना जा रहा है वहीं राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में ब्राह्मणों की नाराजगी भाजपा के लिए भी कुछ सीटों पर मुश्किल खड़ी कर सकती है। सपा-बसपा-कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दल ब्राह्मणों को लुभाने में जुटे हैं। भाजपा का कोर वोटर माना जाने वाला यह वर्ग यदि उससे दूर जाने के साथ ही किसी एक पार्टी के साथ लामबंद होता है तो यह परेशानी का कारण बन सकता है। 

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