पिता कई सालों से वृद्धाश्रम में रह रहा था। बताते हैं कि उसकी आर्थिक स्थिति खराब थी। बेटे पर बोझ न बनें इसलिए वृद्धाश्रम को ही सहारा बनाया था। उसकी हालत पिछले कुछ दिनों से सही नहीं थी।
एटा (Uttar Pradesh) । जीते जी बेटे पर बोझ न बनें, इसलिए पिता वृद्धाश्रम का सहारा ले लिया। लेकिन, जब मौत हुई तो बेटा आर्थिक हालातों के चलते शव लेने और अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। हालांकि यह खबर जब वृद्धाश्रम के पदाधिकारी को लगी तो वो आगे आए। हिंदू रीतिरिवाज के साथ मृतक का अंतिम संस्कार कराया।
इसलिए पिता चला गया था वृद्धाश्रम
कासगंज निवासी ओमकार पुत्र होरीहाल मोहल्ला मोहनगली, कायस्थाना, कई सालों से कासगंज के वृद्धाश्रम में रह रहे थे। बताते हैं कि उनकी आर्थिक स्थिति खराब थी। बेटे पर बोझ न बनें इसलिए वृद्धाश्रम को ही सहारा बनाया था।
इस कारण बेटे के हाथ नहीं मिल सकी मुखाग्नि
ओमकार की हालत पिछले कुछ दिनों से सही नहीं थी। मंगलवार की रात को उनकी मृत्यु हो गई। मौत के बाद बेटे को सूचना दी गई। लेकिन, बेटे ने शव लेने और अंतिम संस्कार के लिए मना कर दिया। हालांकि लोगों ने कहा कि आर्थिक हालातों के चलते ओमकार को बेटे के हाथ से अग्नि भी नहीं मिल सकी।
ऐसे हुआ अंतिम संस्कार
एटा में वृद्धाश्रम की अधीक्षक निशा सूर्या कासगंज में पहुंची थी। निशा सूर्या ने समिति ने संपर्क किया, जिसके बाद एंबुलेंस से शव को कासगंज से एटा लाया गया। संस्कार मानव सेवा समिति, एटा के कोषाध्यक्ष सत्यप्रकाश और वृद्धाश्रम के अवनीश यादव, संजय यादव ने उनके शव का एटा मोक्ष धाम पर अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से कराया।