ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाने से किया इनकार, कहा- तुरंत नहीं दे सकते कोई आदेश

ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मामले में फाइन देने और सुनवाई के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। मामले में तुरंत ही कोई आदेश नहीं दिया जा सकता है। 

लखनऊ: वाराणसी में ज्ञानवापी सर्वे का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। वाराणसी कोर्ट के आदेश पर रोक के लिए यहां याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका को अंजुमन ए इंतेजामिया मस्जिद वाराणसी की प्रबंधन समिति की ओर से दाखिल किया गया है। याचिकाकर्ता के वकील हुजेफा अहमदी ने इसे प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट के खिलाफ बताया है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट में इसमें तुरंत सुनवाई की मांग भी की है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से इसको लेकर कहा गया है कि हम इस पर तुरंत कोई भी आदेश नहीं दे सकते हैं। मामले में फाइल देखने के बाद और सुनवाई पर ही निर्णय लिया जाएगा। 

ताला खोलकर या तोड़कर करे सर्वे

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आपको बता दें कि गुरुवार को ही इस मामले में वाराणसी की कोर्ट ने आदेश दिया है। जिसमें मस्जिद परिसर में तहखाने तक वीडियोग्राफी और सर्वे कराने को लेकर मांग की गई थी। कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया और पुलिस आयुक्त और जिलाधिकारी की जिम्मेदारी तय करते हुए आदेश दिए। आदेश में कहा गया कि ताला खोलकर या तोड़कर जैसे भी हो पूरे परिसर के सर्वे की कार्यवाही को करवाया जाए। आदेश में कोर्ट ने प्रशासन से तल्ख टिप्पणी करते हुए पूछा है कि आखिर क्यों इतनी सुस्पष्ट भाषा समझ में नहीं आ रही है? मामले में सर्वे की कार्यवाही पूरी कर 17 मई को अगली सुनवाई पर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है। 

सर्वे में न आए कोई बाधा

अदालत की ओर से मामले में यह भी कहा गया है कि जो भी कमीशन की कार्यवाही में किसी भी तरह से बाधा डाले उस पर जिला प्रशासन प्राथमिकी दर्ज करवाकर सख्त विधिक कार्यवाही करे। वहीं कोर्ट ने अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्र को हटाने की मांग को भी खारिज कर दिया है। इसी के साथ निर्देश जारी किए हैं कि किसी भी कीमत पर सर्वे की कार्यवाही नहीं रुकेगी। सर्वे की कार्यवाही सुबह आठ बजे से 12 बजे के बीच में ही होगी। 

क्या है पूरा मामला 
वादी पक्ष की ओर से ज्ञानवापी मस्जिद में बैरिकेडिंग के अंदर तहखाने समेत अन्य उल्लिखित स्थलों पर निरीक्षण को लेकर स्पष्ट आदेश देने की अपील की गई थी। इसी के साथ अधिवक्ता आयुक्त को हटाने की मांग भी वहां की गई थी। यह पूरा मामला तब सामने आया था जब श्रृंगार गौरी की रोजाना पूजन और दर्शन को लेकर 5 महिलाओं की ओर से दायर वाद में 8 अप्रैल को अदालत ने अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त किया। सर्वे के दौरान छह मई को कार्यवाही हुई हालांकि इसके बाद सात मई को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने अदालत ने फिर से प्रार्थना पत्र दिया। 

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