लखीमपुर हिंसा मामलाः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 7 दिन के अंदर सरेंडर करे आशीष मिश्रा

लखीमपुर हिंसा मामले में आरोपित आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की ओर से जमानत जदी गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा सोमवार को रद्द कर दी गई। 

Pankaj Kumar | Published : Apr 18, 2022 6:23 AM IST / Updated: Apr 18 2022, 01:29 PM IST

लखनऊ: लखीमपुर हिंसा मामले में आरोपित आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की ओर से जमानत जदी गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा सोमवार को रद्द कर दी गई। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत व न्यायमूर्ति हिमा कोहली की विशेष पीठ ने आरोपी आशीष मिश्रा को एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने को भी कहा है। 

अपने फैसले पर दोबारा विचार करे हाईकोर्ट- SC
मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से अपने फैसले पर दोबारा से विचार करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर हाईकोर्ट को फिर से विचार करना चाहिए। वहीं, इस मामले में पीड़ित पक्षकारों के वकील दुष्यंत दवे ने आग्रह किया कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से सुप्रीम कोर्ट कहे कि इस बार किसी अन्य पीठ के सामने ये मैटर जाए। इसका जवाब देते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि ऐसा आदेश पारित करना ठीक नहीं होगा। हमें यकीन है कि वही जज दोबारा इस मामले को सुनना भी नहीं चाहेंगे। आपको बता दें कि आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करवाने के लिये दायर किसानों की याचिका पर शीर्ष अदालत ने चार अप्रैल को अपना आदेश सुरक्षित रखा था। इससे पहले उच्च न्यायालय ने आशीष मिश्रा को जमानत दे दी थी।

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लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में 8 लोगों की हुई थी मौत
पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हिंसा के दौरान आठ लोग मारे गए थे। यह हिंसा तब हुई थी जब किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे का विरोध कर रहे थे। उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार, एक वाहन जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे, उसने चार किसानों को कुचल दिया था। घटना के बाद गुस्साए किसानों ने वाहन चालक और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी। इस दौरान हुई हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी। केंद्र के अब निरस्त किए गए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे विपक्षी दलों और किसान समूहों में इस घटना को लेकर काफी आक्रोश था। 

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