शायर मुनव्वर राणा ने CAA हिंसा मामले पर SC के फैसले का किया स्वागत, कहा-'न्यायपालिका को सलाम करते हैं'

 मुनव्वर राणा ने CAA-NRC पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत, कहा- न्यायपालिका को सलाम करते हैं। खुदा सलामत रखे हिंदुस्तान की अदालतों को।

Asianet News Hindi | Published : Feb 13, 2022 5:15 AM IST / Updated: Feb 13 2022, 10:59 AM IST

लखनऊ: CAA-NRC प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने स्वागत करते हुए कहा-न्यायपालिका को सलाम करते हैं। वे अपने शायराना अंदाज में बोले- "मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है, हुकूमत के इशारे पर तो मुर्दा बोल सकता है। हुकूमत की तवज्जो चाहती है ये जली बस्ती, अदालत पूछना चाहे तो मलबा बोल सकता है।"

आपको बता दें की योगी सरकार ने यह आदेश निकाला था कि प्रदर्शनकारियों की प्रॉपर्टी जब्त कर ली जाए।CAA-NRC मामले में सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को चेतावनी दी है। कोर्ट ने योगी सरकार से कहा है कि प्रदर्शनकारियों को भेजे वसूली के नोटिस वापस लें, वरना न्यायालय उसे रद्द कर देगी। 

मुनव्वर राणा ने कहा कि लोग न्यायपालिका की तरफ आस लगाए बैठे हैं। खासकर हिंदुस्तान के वह लोग जो सताए हुए हैं। दलित हैं। बैकवर्ड हैं। मुस्लिम हैं। यह कोई भी हो... बात धर्म की नहीं है। इस हुकूमत में हालात तो यह हो गए है कि पंडितों को इतना सताया कि उनको दलित बना के रख दिया।

मुनव्वा राणा कहते हैं, 'योगी जी ने जब यह आदेश निकाला था कि प्रदर्शनकारियों की प्रॉपर्टी जब्त कर ली जाए। तब ही मैंने कहा था कि अब फैसले भी यह सुनाने लगे हैं। ऐसे तो अदालत खत्म कर दी जाए। वहां स्कूल खोल दिए जाएं। वहां पर बच्चे पढ़ लेंगे। जब ये खुद फैसले कर ही ले रहे हैं तो। वह आगे कहते हैं कि मैं ज्यूडिशियरी का शुक्रगुजार हूं। ज्यूडिशियरी को इस बात का इंतजार नहीं करना चाहिए कि कोई आदमी वहां जाकर कहे कि योगी उनके खिलाफ केस कर रहे। यह मुसलमानों के खिलाफ केस कर रहे हैं।

शायर कहते हैं, ' इस मुल्क में कानून जाति विशेष के खिलाफ कोई भी सरकार नहीं हो सकती है। चाहे उत्तर प्रदेश की हो या हिंदुस्तान की सरकार हो। कोई ऐसा जुल्म करती है तो खुद अदालत को जागना चाहिए। दुनिया में कहा जाता है कि अदालत में भगवान रहते हैं। इसका मतलब यह है कि, भगवान देख रहा है। उसे बताना नहीं पड़ता है। उसके पास एप्लिकेशन नहीं लगानी पड़ती है। वह खुद इंकलाब लाता है। जब कभी किसी धरती पर बहुत जुल्म होने लगते हैं, तब वह एक बार जलजले को भेजता है। अदालतों को चाहिए कि वह खुद जागे। अगर उन्हें हिंदुस्तान को बचाना है।


प्रॉपर्टी जब्त करने वाले और गिराने वालों को जेल में डाल देना चाहिए
शायर यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि ये जो बिल्डिंग के गिराने का तमाशा है, उसका क्या मतलब है? मुल्क की प्रॉपर्टी को आप आग लगा रहे हैं। ऐसा करने वालों को तो सजा होनी चाहिए। चाहे वह कोई क्यों न हो। ऐसे लोगों को निकाल कर आप को जेल में डाल देना चाहिए। आपने जो बिल्डिंग कब्जा की। उसमें स्कूल खोलिए। अस्पताल खोलिए। गरीबों के रहने का इंतजाम कीजिए। आप इसे गिरा क्यों रहे हैं?

मैं शायर हूं, हिंदू-मुसलमान के लिए नहीं बोलता हूं
राणा कहते है, 'आप नुकसान पहुंचा रहे हैं। एक कम्युनिटी को नहीं। यह जरूरी नहीं कि वह बिल्डिंग मुसलमान की हो। यह किसी की भी बिल्डिंग हो सकती है। मेरा किसी भी जाति-धर्म से मतलब नहीं है। मैं केवल शायर हूं। जब बोलते हूं तो केवल इंसानियत के लिए बोलता हूं। हिंदू-मुसलमान के लिए नहीं। किसी की भी इमारत गिरा देना यह अच्छी बात नहीं है। आप स्कूल और अस्पताल नहीं खोलना चाहते हैं तो उसमें कम से कम बरसात में फुटपाथ पर सोने वाले लोगों के लिए छत ही बना दीजिए। सरकार का जब मन हुआ तो गिरा दिया'।


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