एक मां की दर्दभरी कहानी, किडनी देकर भी नहीं बचा सकी अपना लाल

Published : Apr 09, 2020, 08:13 PM IST
एक मां की दर्दभरी कहानी, किडनी देकर भी नहीं बचा सकी अपना लाल

सार

किडनी ट्रांसप्लांट के पांच वर्ष बाद अनिल की तबियत फिर से बिगड़ने लगी। एक दिन पहले अनिल की मौत हो गई। अनिल की मौत के बाद बरौठ एवं आसपास के गांवों में शोक का माहौल है। बेटे की मौत से मां को रो-रोकर बुरा हाल है।   

मथुरा (Uttar Pradesh) । सच कहा जाता है मां तो आखिर मां ही होती है। उसकी जगह कोई नहीं ले सकता है। जिसने अपने जिगर के टुकड़े को जिंदगी देने के लिए मौत तक से लड़ गई। इसके लिए अपनी किडनी तक बेटे को ट्रांसप्लांट करा दी। लेकिन, आखिर में विधाता के फैसले के आगे हार गई। दरअसल मां की किडनी ट्रांसप्लांट कराने के बाद पांच साल उसके ही सामने उसके ही लाल की मौत हो गई। जिसके बाद मां का रो-रोकर कर बुरा हाल है। हर कोई इस मां की दर्दभरी ममता की कहानी सुना रहा है, जिसे सुनकर हर किसी की आंखें नम हो जा रही हैं। यह घटना नौहझील के गांव बरौठ बस्ती का है। 

यह है पूरा मामला
बरौठ निवासी बीना देवी के पुत्र अनिल चौधरी (27) की साल 2013 में दोनों किडनी खराब हो गई थीं। इससे वो कमजोर होता जा रहा था। डॉक्टरों ने कहा कि जल्दी ही अनिल की किडनी का ट्रांसप्लांट नहीं किया गया तो उसके लिए बहुत मुश्किल हो सकती है। वर्ष 2014 में परिवार वालों ने किसी तरह रुपए का इंतजाम किया। अनिल की मां बीना देवी ने एक किडनी देकर अपने जिगर के टुकड़े की जान बचाई। किडनी ट्रांसप्लांट होने के बाद अनिल ठीक रहने लगा।

पांच साल बाद हुई मौत
किडनी ट्रांसप्लांट के पांच वर्ष बाद अनिल की तबियत फिर से बिगड़ने लगी। एक दिन पहले अनिल की मौत हो गई। अनिल की मौत के बाद बरौठ एवं आसपास के गांवों में शोक का माहौल है। बेटे की मौत से मां को रो-रोकर बुरा हाल है। 

हनुमान जयंती पर हुई मौत
गांव के लोग अनिल की मौत को लेकर भी तरह चर्चा कर कर रहे हैं। दरअसल गांव के लोगों के मुताबिक अनिल हनुमान जी का भक्त था। प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार को वो सिद्ध स्थली श्री झाड़ी वाले हनुमान जी के दर्शन करने जाता था। बुधवार को हनुमान जयंती के दिन ही उसका निधन हुआ है, जो गांव में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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