दर्दभरी थी दो बहनों की जिंदगी, थक गईं तो चुनी मौत; फांसी लगाकर दोनों ने दी जान

दिल्ली में रह रहे मकान मालिक ने किराए के लिए कई बार फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। जानकारी के लिए अपने परिचित को फ्लैट पर भेजा, जिसने दरवाजा अंदर से बंद होने की जानकारी फोन कर दी। इसके बाद मकान मालिक ने सूचना पुलिस को दी। पुलिस दरवाजा तोड़कर फ्लैट में दाखिल हुई तो अंदर का नजारा देख अवाक रह गई।
कानपुर (Uttar Pradesh) । दो सगी बहनें पहले मां-बाप फिर भाई की मौत के बाद बेसहारा हो गई। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही ये दोनों बहनें आर्थिक कारणों से परेशान होने के कारण नाम बदलकर जीना शुरू की। लेकिन, लॉकडाउन में एक कमरे में रहने के कारण ये संभवत पूरी तरह से डिप्रेशन में चली गई और आखिर में ये मौत के रास्ते पर चल पड़ी। कई दिनों तक खुद को अंधेरे में रखा और अंत में दोनों ने साथ-साथ फांसी लगाकर जान दे दी। बता दें कि पनकी के शताब्दी नगर स्थित शिवालिक अपार्टमेंट में दोनों बहनों की मौत की जानकारी पुलिस को एक दिन पहले हुई, जिसके बाद जांच इस तरह की जो दर्दभरी सच्चाई सामने आई उसे सुनकर हर किसी की आंखे नम हो जा रहीं हैं। 

माता-पिता और भाई की मौत के बाद हो गई थीं अकेलीं
कौशांबी निवासी रिंकी शुक्ला (32) और आभा शुक्ला (28) का परिवार काफी समय से कानपुर में बर्रा के गुजैनी में रह रहा था। परिवार काफी संपन्न था। 2014 में केदारनाथ घाटी में आए त्रासदी में उनके माता-पिता की मौत हो गई थी। इससे दोनों बहनों को गहरा सदमा लगा था। वे भाई के साथ रह रही थीं। माता-पिता के मौत के सदमे से उबर नहीं पाई थीं कि 13 जनवरी को बड़े भाई की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इसके बाद से दोनों बहनें पूरी तरह टूट गई थीं। 

भाई की मौत के बाद की थी सुसाइड की कोशिश
बड़े भाई की मौत के एक हफ्ते बाद बाद दोनों बहनों ने मानसिक तनाव के चलते 20 जनवरी को घर में आग लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया था। मोहल्ले के लोगों ने आग बुझाकर गंभीर रूप से झुलसी दोनों बहनों को उपचार के लिए एलएलआर हॉस्पिटल (हैलट) में भर्ती कराया था। हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद दोनों ने वो मोहल्ला छोड़ दिया था। 

नाम बदलकर रहती थी दोनों
गुजैनी का मोहल्ला छोड़ने के बाद रिंकी शताब्दी नगर केस शिवालिक अपार्टमेंट में अपनी बहन आभा के साथ किराए पर रहने आई थी। आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए वह बर्रा स्थित एक कॉवेंट स्कूल में पारुल सक्सेना के नाम से पढ़ाने लगी थी। इधर लॉकडाउन के चलते स्कूल बंद हो जाने से रिंकी अपनी बहन के साथ फ्लैट पर ही रहती थी।

10 दिन से अंधेरे में रहती थी बहनें
लोगों ने बताया कि शिवालिक अपार्टमेंट के टॉप फ्लोर के फ्लैट में 12 मार्च को रहने आई दोनों बहनों ने 22 तारीख को फ्लैट में बिजली का मीटर लगवाया था। इस बीच 10 दिनों तक दोनों बहने बिना लाइट पंखे के ही फ्लैट में रहती रहीं। सीओ कल्याणपुर ने अजय कुमार ने बताया कि दोनों बहने के डिप्रेशन में होने की बात सामने आई है। संभवत इसी के चलते दोनों ने यह कदम उठाया है।

मकान मालिक ने सुनाई ये कहानी
बर्रा के दामोदर नगर निवासी बीएसएफ में सीनियर क्लर्क विकास पांडे मौजूदा समय दिल्ली में तैनात है। उन्होंने पुलिस को बताया कि शताब्दी नगर स्थित शिवालिक अपार्टमेंट में उनका फ्लैट खाली पड़ा था। खुद को सगी बहन बताने वाली दो युवतियों ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए फ्लैट 12 मार्च को किराए पर लिया था। मंगलवार को किराए के लिए उन्होंने युवती को कई बार फोन किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने पास में रहने वाले सोनू मिश्रा को जानकारी के लिए फ्लैट पर भेजा तो उन्होंने दरवाजा अंदर से बंद होने की बात कही। इसके बाद उन्होंने मामले की जानकारी पनकी पुलिस को दी। पुलिस दरवाजा तोड़कर फ्लैट में दाखिल हुई तो अंदर का नजारा देख अवाक रह गई। दोनों युवतियों के शव खिड़की पर दुपट्टे के सहारे फांसी के फंदे से लटक रहे थे। 
 

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