यूपी चुनाव के पहले चरण में कई मंत्रियों और VIP कैंडीडेट की साख दांव पर लगी है। श्रीकांत शर्मा, अतुल गर्ग, जीएस धर्मेश, कपिल देव अग्रवाल, लक्ष्मी नारायण चौधरी, दिनेश खटीक, अनिल शर्मा और सुरेश राणा की किस्मत का फैसला इसी चरण के चुनाव में होना है। पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, पंखुड़ी पाठक, पंकज सिंह और अन्य वीआईपी कैंडिडेंट भी इसी चरण के चुनाव में प्रत्याशी हैं।
लखनऊ: यूपी चुनाव के पहले चरण के लिए 10 फरवरी को मतदान है। पहले चरण में पश्चिमी यूपी के 11 जिलों की 58 सीटों पर चुनाव है। पहले चरण में 623 उम्मीदवार मैदान में हैं। यूपी सरकार के कई मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। मथुरा से विधायक और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, गाजियाबाद से विधायक और स्वास्थ्य राज्य मंत्री अतुल गर्ग, आगरा कैंट से विधायक और समाज कल्याण मंत्री जीएस धर्मेश, मुजफ्फरनगर सदर से विधायक और कौशल विकास मंत्री कपिल देव अग्रवाल, छाता से विधायक और डेयरी मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, हस्तिनापुर से विधायक और बाढ़ नियंत्रण राज्य मंत्री दिनेश खटीक, अतरौली से विधायक और खेल व युवा मामले के मंत्री संदीप सिंह, शिकारपुर से विधायक और वन-पर्यावरण मंत्री अनिल शर्मा, थाना भवन सीट से विधायक और गन्ना मंत्री सुरेश राणा मैदान में हैं।
पूर्व राज्यपाल और आगरा से प्रत्याशी बेबी रानी मौर्य,पूर्व मंत्री हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह, संगीत सोम, राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह, पंखुड़ी पाठक की किस्मत का फैसला भी पहले चरण के चुनावी ईवीएम में कैद होगा।
पहले चरण में रक्षा मंत्री के बेटे से लेकर बाहुबली तक मैदान में...
1- मदन भैया (RLD)- लोनी विधानसभा
2- नाहिद हसन (समाजवादी पार्टी)- कैराना
3- योगेश वर्मा(समाजवादी पार्टी)- हस्तिनापुर
4- मृगांका सिंह(BJP)- कैराना
5- सुरेश राणा(BJP)- थानाभवन
6- संगीत सोम(BJP)- सरधना
7- पंकज सिंह(BJP)- नोएडा
8- पंखुड़ी पाठक(कांग्रेस)- नोएडा
9- अवतार सिंह भड़ाना(RLD)- जेवर
10- संदीप सिंह(BJP)- अतरौली
11- श्रीकांत शर्मा(BJP)- मथुरा
12- बेबी रानी मौर्य(BJP)- आगरा ग्रामीण
पहले चरण के चुनाव में इन 15 सीटें है अहम...
बुढ़ाना - बुढ़ाना विधानसभा सीट से राष्ट्रीय लोक दल के पुराने सिपहसालार और दो बार से विधायक रहे राजपाल सिंह बालियान चुनावी मैदान में हैं। जबकि भाजपा की ओर से उमेश मलिक को मैदान में उतारा गया है। इस सीट पर भी कांटे की टक्कर मानी जा रही है। राजपाल बालियान खुद को जाट समुदाय का कैंडिडेट बताते हुए शत-प्रतिशत जाट मतदाताओं का वोट मिलने की बात कर रहे हैं। वहीं भाजपा प्रत्याशी उमेश मलिक 2013 का जिक्र करते हुए कहते हैं कि 2022 के चुनाव में गठबंधन के प्रत्याशी को पता लग जाएगा जनता किसके साथ है।
अतरौली - अतरौली सीट पर बीजेपी ने कल्याण सिंह के नाती संदीप कुमार सिंह को टिकट दिया है. जबकि सपा ने पूर्व विधायक वीरेश यादव को चुनावी मैदान में उतारा है। बसपा ने यहां से डॉक्टर ओमवीर और कांग्रेस ने धर्मेंद्र कुमार पर दांव चला है। कल्याण सिंह ने यहां 1967 और 1977 में बीजेपी का परचम लहराया। इसके बाद वह 1985 और 2007 में भी यहां से विधायक रहे। ऐसे में संदीप के सामने विरासत बचाने की चुनौती है।
कैराना - नाहिद हसन को सपा गठबंधन ने कैराना से उम्मीदवार बनाया है। हालांकि उनको नामांकन के अगले दिन ही गिरोहबंद अधिनियम में जेल भेज दिया गया। जिसके बाद उनकी छोटी बहन इकरा नाहिद हसन को चुनाव लड़ा रही है। जबकि भाजपा की ओर से मृगांका सिंह उम्मीदवार हैं। वह पिछला चुनाव भी भाजपा से लड़ी थीं। वह पलायन का मुद्दा उठाने वाले पूर्व मंत्री हुकुम सिंह की बेटी हैं। बसपा ने यहां से राजेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है। जबकि कांग्रेस से अखलाक को टिकट दिया गया है। कैराना सीट पर मुख्य चुनौती गठबंधन प्रत्याशी और भाजपा उम्मीदवार के बीच मानी जा रही है।
सरधना - मेरठ जिले की सरधना सीट हमेशा ही चर्चा में रही है। सरधना की ज्यादातर आबादी मुस्लिम है। यहां ठाकुर, जाट और दलितों की संख्या अधिक है। बीजेपी ने यहां विधायक संगीत सोम पर ही दांव लगाया है। जबकि सपा गठबंधन से अतुल प्रधान को टिकट मिला है और कांग्रेस से सईद रिहानुद्दीन तो बसपा से संजीव धामा चुनावी मैदान में हैं। यहां मुख्य टक्कर संगीत सोम और अतुल प्रधान के बीच मानी जा रही है।
आगरा ग्रामीण - आगरा ग्रामीण सीट पर कभी पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह के नाम का सिक्का चलता था। बीजेपी ने यहां इस बार विधायक विजय सिंह राणा का टिकट काटकर पूर्व राज्यपाल बेबीरानी मौर्य पर दांव लगाया है। जबकि सपा गठबंधन से महेश कुमार यादव को टिकट दिया गया है। वहीं कांग्रेस से उपेंद्र सिंह और बसपा से किरण प्रभा चुनावी मैदान में हैं। इस सीट को लेकर माना जा रहा है कि बेबीरानी मौर्य जीत दर्ज कर सकती हैं।
मुजफ्फरनगर - किसान आंदोलन के बाद मुजफ्फरनगर सीट को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है। पिछले साल ही किसानों ने महापंचायत कर बीजेपी को उखाड़ फेंकने की धमकी दी थी। ऐसे में यह चुनाव काफी अहम है। बीजेपी ने विधायक कपिल देव अग्रवाल पर यहां भरोसा दिखाया है। जबकि सपा-रालोद गठबंधन ने सौरभ स्वरूप को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस से पंडित सुबोध और बसपा से पुष्कर पाल यहां से चुनावी मैदान में हैं। किसानो की महापंचायत और बीते दिनों हुए आंदोलनों के बाद बीजेपी के लिए इस सीट से जीत दर्ज करना काफी मुश्किल भरा काम है।
बागपत - बागपत सीट से बीजेपी ने योगेश धामा को चुनावी मैदान में उतारा है। जबकि सपा-रालोद गठबंधन से अहमद हमीद यहां चुनावी मैदान में हैं। बसपा से अरुण कसाना और कांग्रेस से अनिल देव यहां से ताल ठोक रहे हैं। बागपत में किसान आंदोलन के बाद बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती है। वहीं जयंत चौधरी के सामने यहां राजनीतिक विरासत बचाने की चुनौती है। लिहाजा दोनों ही ओर से यहां लगातार सीट का परिणाम अपने पक्ष में करने को लेकर प्रयास जारी हैं। परिणाम को लेकर यहां इस सीट पर अभी कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा।
जेवर - जेवर विधानसभा सीट इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बाद काफी चर्चाओं में है। सभी राजनीतिक दल इस सीट पर अपनी निगाहें लगाए हुए हैं। यहां से धीरेंद्र सिंह विधायक हैं और उन्होंने 2017 में बसपा के वेदराम भाटी को हराया था। बीजेपी ने एक बार फिर उन पर ही दांव लगाया है। सपा आरएलडी गठबंधन ने यहां से बीजेपी छोड़कर आने वाले अवतार सिंह भड़ाना पर दांव लगाया है। बसपा से नरेंद्र भाटी वहीं कांग्रेस ने मनोज चौधरी को टिकट दिया है। भले ही मौजूदा विधायक बीजेपी से हैं लेकिन अपनों से लड़ाई में इस सीट का परिणाम क्या होगा यह 10 मार्च को ही पता लग पाएगा।
गाजियाबाद - गाजियाबाद सीट पर एक भाजपाई और एक पूर्व भाजपा उम्मीदवार के बीच मुकाबला दिलचस्प होता दिखाई दे रहा है। भाजपा का गढ़ रहे इस निर्वाचन क्षेत्र से योगी सरकार के मंत्री अतुल गर्ग औऱ बसपा में शामिल हुए पूर्व भाजपा नेता केके शुक्ला के बीच मुकाबला है। कांग्रेस ने यहां से पूर्व सांसद स्व. सुरेंद्र प्रकाश गोयल के पुत्र सुशांत गोयल पर भरोसा जताया है। जबकि सपा ने विशाल वर्मा को प्रत्याशी घोषित किया है।
मथुरा - मथुरा विधानसभा सीट पर 2002 से 2017 तक कांग्रेस का कब्जा रहा है। हालांकि 2017 के चुनाव में श्रीकांत शर्मा ने यह सीट जीतकर बीजेपी की झोली में डाली थी। लेकिन इस बार उनके सामने जीत को बरकरार रखने की चुनौती है। जबकि कांग्रेस के सामने खोई सीट वापस पाने का समय। ऐसे में मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। कांग्रेस ने यहां से फिर से प्रदीप माथुर को टिकट दिया है। जबकि बसपा ने जगजीत चौधरी और सपा-आरएलडी गठबंधन ने पूर्व विधायक देवेंद्र अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया है। जनता की नाराजगी के बीच श्रीकांत शर्मा के लिए यह सीट बचाना चुनौती है।
नोएडा - 2012 में अस्तित्व में आई नोएडा विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह यहां से विधायक हैं। कांग्रेस की ओर से यहां पंखुड़ी पाठक को टिकट दिया गया है। जबकि बसपा ने कृपाराज शर्मा को टिकट दिया है। सपा गठबंधन की ओर से सुनील चौधरी को मैदान में उतारा गया है। पंखुड़ी पाठक को टिकट मिलने के बाद बीजेपी के लिए यहां से जीत उतनी आसान नहीं रह गई है।
हस्तिनापुर - अर्चना गौतम को कांग्रेस से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद हस्तिनापुर चर्चाओं में हैं। ग्लैमर की दुनिया में उन्होंने कामयाबी हासिल करने के बाद राजनीति जगत में कदम रखा है। वह मिस बिकिनी इंडिया चुनी जा चुकी हैं। यहां से बीजेपी ने मौजूदा विधायक दिनेश खटीक पर दांव लगाया है। जबकि सपा ने योगेश वर्मा पर भरोसा जताया। सपा प्रत्याशी योगेश की पत्नी मेरठ नगर निगम से महापौर हैं। ऐसे में यहां मुकाबला त्रिकोणीय होता दिखाई दे रहा है। वहीं बसपा ने यहां से संजीव जाटव पर भरोसा जताया है।
छाता - मथुरा जिले की छाता विधानसभा सीट पर दो पुराने प्रतिद्वंद्धी आपने सामने हैं। यहां 1993 से 2017 तक हुए चुनावों में इन्हीं दोनों नेताओं ने जीत दर्ज की है। 2022 के चुनावी रण में यहां भाजपा प्रत्याशी चौधरी लक्ष्मी नारायण सिंह औऱ सपा आरएलडी गठबंधन प्रत्याशी ठाकुर तेजपाल सिंह के बीच मुकाबला माना जा रहा है।
लोनी - भाजपा ने लोनी विधानसभा सीट पर नंदकिशोर गुर्जर पर दांव लगाया है। जबकि सपा गठबंधन ने यहां से मदन भैया को चुनावी मैदान में उतारा है। बसपा से हाजी अकील औऱ कांग्रेस से यामीन मलिक यहां से चुनावी मैदान में हैं।
थानाभवन - थानाभवन सीट पर कोई भी उम्मीदवार अभी तक जीत की हैट्रिक नहीं लगा पाया है। सुरेश राणा, अमील आलम, सोमांश प्रकाश यहां से दो-दो बार विधायकर रहे हैं। यहां से भाजपा ने गन्ना मंत्री सुरेश राणा को टिकट दिया है। थाना भवन से बसपा ने जहीर मलिक को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने सत्य संयम को उम्मीदवार बनाया है। सपा-रालोद गठबंधन ने यहां से अशरफ अली को उम्मीदवार बनाया है।
पश्चिमी यूपी में क्या है जातीय गणित
पश्चिमी यूपी की बात की जाए तो यहां 27 फीसदी मुस्लिम आबादी है। 17 फीसदी जाट और तकरीबन 25 फीसदी दलितों की आबादी यहां पर हैं। जबकि 8 फीसदी राजपूत, 4 फीसदी गुर्जर और 7 फीसदी आबादी यादवों की है। राजनीतिक दलों की ओर से टिकट के वितरण में इस जातीय समीकरण का खास ख्याल रखा गया है। सपा-आरएलडी गठबंधन ने 14 सवर्णों को टिकट दिया है जिसमें 8 ब्राह्मण हैं। 22 ओबीसी समाज के उम्मीदवार जिसमें तकरीबन 10 जाट समाज के लोगों को टिकट दिया गया है। वहीं 10 एससी और 12 मुस्लिम उम्मीदवारों पर भी दांव लगाया गया है।
क्या हैं पहले चरण के अहम मुद्दे
पहले चरण के चुनाव के अहम मुद्दों की बात की जाए तो इसमें छुट्टा जानवर, खेती के नुकसान, महंगाई, कानून व्यवस्था, मेरठ में हाईकोर्ट की बेंच आदि प्रमुख हैं। पश्चिमी यूपी के पलायन के मुद्दे को भी भाजपा ने अहम मुद्दा बनाया है।
पहले चरण में इन सीटों पर होगी वोटिंग
कैराना, थाना भवन, शामली, बुधाना, चर्थवाल, पुरकाजी, मुजफ्फरनगर, खतौली, मीरापुर, सिवालखास, सरधाना, हस्तिनापुर, किठोर, मेरठ कैंट, मेरठ, मेरठ साउथ, छपरौली, बरौत, लोनी, मुरदानगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद, मोदी नगर, धौलाना, हापुर (हापुड़), गढ़मुक्तेश्वर, नोएडा, दादरी, जेवर, सिकंदराबाद, बुलंदशहर, सायना, अनूपशहर, देबाई, शिकारपुर, खुर्जा, खैइर, बरौली, अतरौली, छर्रा, कोल, अलीगढ़, इगलास, छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा, बलदेव, इमादपुर, आगरा कैंट, आगरार साउथ, आगरा नॉर्थ, आगरा रूरल, फेतहपुर सिकरी, खेरागढ़, फतेहाबाद, बाह।
पहले चरण के वोटर्स और तैयारियां
कुल मतदाता : 2,27,83,739
पुरुष : 1,23, 31,251
महिला : 1,04,51,053
थर्ड जेंडर : 1,435
पोलिंग स्टेशन : 10,766
मतदान केंद्र : 25,849
2017 के चुनाव में 58 सीटों पर यह था नतीजा
2017 के चुनाव में भाजपा ने 58 सीटों पर चुनाव लड़ा था इसमें 53 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। सपा ने यहां 46 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें 2 पर जीत हासिल की। राष्ट्रीय लोकदल ने इन 58 सीटों से 54 सीटों पर प्रत्याशी उतारा था जिसमें 1 सीट पर जीत हासिल हुए थी। जबकि बसपा ने 58 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इसमें 2 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने 23 सीटों पर प्रत्याशी उतारा था जिसमें से किसी भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी।
53 सीटे जीतने के बाद भी बीजेपी ने काटे 19 विधायकों के टिकट
बीजेपी ने 2017 के चुनाव में 58 में से 53 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन गौर करने वाली बात है कि इस बार चुनाव में 19 विधायकों के टिकट काट दिए गए हैं। जबकि 4 हारे चेहरों पर भरोसा न जताते हुए नए चेहरों को मैदान में उतारा है। बीजेपी ने 3 ऐसे उम्मीदवारों को भी टिकट दिया है जिन्होंने पिछला चुनाव बसपा के टिकट पर लगा था।
बसपा ने सभी नए चेहरों पर लगाया दांव
पश्चिमी यूपी बसपा का गढ़ माना जाता है। बसपा ने 2 उम्मीदवार जिन्होंने जीत दर्ज की थी उन्हें छोड़कर सभी 56 नए चेहरों पर दांव लगाया है। इन दो उम्मीदवारों में श्याम सुंदर शर्मा और गोवर्धन सीट से राजकुमार रावत शामिल हैं।
21 जनवरी तक हुआ था नामांकन
पहले चरण की 11 जिलों की 58 सीटों पर 21 जनवरी तक नामांकन हुआ। इसमें 9 सीटे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। 10 फरवरी की सुबह यहां सात बजे से शाम छह बजे तक मतदान होगा। पहले चरण के 58 सीटों में से 2017 के चुनाव में भाजपा ने 53 सीटों पर जीत हासिल की थी।
UP Election Info: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में 403 विधानसभा सीट के लिए पहले चरण का मतदान 10 फरवरी, दूसरा चरण 14 फरवरी, तीसरा चरण 20 फरवरी, चौथा चरण 23 फरवरी, पांचवां चरण 27 फरवरी, छठा चरण 3 मार्च और अंतिम चरण का मतदान 7 मार्च को है। कुल 7 चरणों में होगा यूपी में चुनाव। मतगणना 10 मार्च को होगी।
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