Special Story: आजमगढ़ सदर में आसान नहीं है सपा की राह, अभेद्य किले को यूं भेदने की तैयारी में भाजपा

समाजवादी पार्टी (सपा) जिस आजमगढ़ सदर विधानसभा को अपना अभेद्य किला कहती है उसी आजमगढ़ सदर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भगवा फहराने के लिए पूरी तैयारी कर चुकी है।

दिव्या गौरव

लखनऊ: समाजवादी पार्टी  (Samajwadi Party) के अभेद्य दुर्ग के तौर पर मानी जाने वाली आजमगढ़ सदर विधानसभा (Azamgarh Sadar Assembly) पर भगवा फहराने के लिए भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने कमर कस ली है। आजमगढ़ सदर विधानसभा सीट पर आजादी के बाद कुल 16 बार हुए विधानसभा चुनाव में से आठ बार समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक एवं पूर्व मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव ने विजय पताका लहरायी है। सपा इस सीट को अभेद्य किले के रूप में देखती है जिसे ध्वस्त करने के लिए बहुजन समाज पार्टी (BSP) और कांग्रेस (Congress) ने नए चेहरों को सियासी संग्राम में उतारा है। वहीं भाजपा ने अपने पुराने चेहरे अखिलेश मिश्रा उर्फ गुड्डू को यहां से टिकट दिया है।

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राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सपा सरकार में इस क्षेत्र में काफी काम भी हुए हैं। जिसके चलते यहां सपा को फायदा मिल सकता है। वरिष्ठ पत्रकार अजय त्रिपाठी के मुताबिक आजमगढ़ सदर क्षेत्र में सपा सरकार के दौरान बंद पड़ी चीनी मिल को फिर से शुरू करवाया गया। उन्होंने कहा, 'सपा सरकार में ही यहां मेडिकल कॉलेज, कृषि महाविद्यालय, महिला अस्पताल खोला गया। इसके साथ ही सड़कों को लेकर भी उस दौरान काफी काम हुए। इन कामों के नाम पर ही सपा इलाके में वोट भी मांग रही है।'

एकतरफा नहीं है मुकाबला
हालांकि अजय इस बात से इनकार करते हैं कि यहां एकतरफा लड़ाई होने वाली है। अजय के मुताबिक, फ्री अनाज, उज्जवला गैस, आयुष्मान कार्ड और आवास योजना का इलाके के लोगों को काफी लाभ मिला है और यह फैक्टर भाजपा के पक्ष में जा सकता है। उन्होंने कहा, 'भाजपा सरकार के पास इलाके विशेष के लिए किए गए कुछ खास काम नहीं हैं, लेकिन सरकारी योजनाओं का लाभ वृहत स्तर पर स्थानीय लोगों को मिला है। इन योजनाओं के चलते भाजपा यहां अच्छी फाइट दे सकती है।'
 
यह है जातीय समीकरण
जातीय समीकरण की बात करें तो भाजपा, कांग्रेस और बसपा ने इस सीट पर अगड़ा वर्ग को तरजीह दी है, जबकि सपा ने पहले की तरह अपने पिछड़े कार्ड पर भरोसा जताया है। विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 3,94,169 है, जिसमें 1,87,278 महिला मतदाता हैं। यहां सर्वाधिक संख्या में पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक मतों की संख्या है। एक अनुमान के मुताबिक लगभग 60000 अनुसूचित जाति, 70000 यादव, 10,000 मौर्य, 10,000 निषाद, 10,000 पासी, 25000 ब्राह्मण, 30,000 क्षत्रिय, 40000 वैश्य, 10,000 भूमिहार, 15000 कायस्थ, 30,000 मुसलमान, 16000 चौहान के अलावा अन्य जातियां हैं।

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