UP Elections 2022: सपा- RLD गठबंधन में फंसा पेंच, अखिलेश के ऑफर से जयंत को ऐतराज, सीट बंटवारे पर नहीं बनी बात

Published : Nov 21, 2021, 10:08 AM IST
UP Elections 2022: सपा- RLD गठबंधन में फंसा पेंच, अखिलेश के ऑफर से जयंत को ऐतराज, सीट बंटवारे पर नहीं बनी बात

सार

समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल का गठबंधन फंसता दिख रहा है। दोनों ही दलों के बीच सीटों को लेकर पेंच फंसा हुआ है और सपा राज्य में RLD को ज्यादा सीट देने के पक्ष में नहीं है। कहा जा रहा है कि  जयंत चौधरी ने सम्मान से समझौता ना करने की बात कहकर अखिलेश यादव को असमंजस की स्थिति में डाल दिया है। जयंत चौधरी अखिलेश यादव से 50 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि अखिलेश सिर्फ 32 सीट देने के लिए तैयार हैं। ऐसे में दोनों दलों के बीच बात बनती नहीं दिख रही है।

लखनऊ : विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) की सियासत पल-पल बदल रही है। खबर है कि समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और राष्ट्रीय लोक दल (RLD)का गठबंधन फंसता दिख रहा है। दोनों ही दलों के बीच सीटों को लेकर पेंच फंसा हुआ है और सपा राज्य में RLD को ज्यादा सीट देने के पक्ष में नहीं है। कहा जा रहा है कि  जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने सम्मान से समझौता ना करने की बात कहकर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को असमंजस की स्थिति में डाल दिया है। जयंत चौधरी अखिलेश यादव से 50 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि अखिलेश सिर्फ 32 सीट देने के लिए तैयार हैं। ऐसे में दोनों दलों के बीच बात बनती नहीं दिख रही है।

हर चुनाव में RLD की अलग रणनीति
यूपी चुनावों की बात करें तो  RLD की रणनीति हर चुनाव में अलग-अलग रही है। RLD 2002 के चुनाव में BJP के साथ गठजोड़ कर चुनावी मैदान में उतरी। उस दौरान पार्टी को 14 सीटों पर जीत मिली जबकि दो प्रतिशत वोट हासिल हुए। साल 2007 में राष्ट्रीय लोक दल अकेले चुनावी मैदान में उतरी। इस चुनाव में पार्टी ने 10 सीटों पर जीत हासिल की जबकि वोट प्रतिशत दो से बढ़कर चार पर पहुंच गया। 2012 के चुनाव में RLD कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में आई। उस चुनाव में पार्टी को 9 सीटों पर जीत हासिल हुई जबकि वोट दो प्रतिशत मिले। वहीं एक बार फिर साल 2017 में RLD ने अकेले चुनाव लड़ा, जिसमें सिर्फ एक सीट पर ही पार्टी को जीत मिली और 2 प्रतिशत वोट रहा।

कांग्रेस का हाथ पकड़ने  की भी चर्चा
विधानसभा चुनाव के ये आंकड़े बताते हैं कि किसी और की तुलना में RLD को बीजेपी के साथ गठबंधन में ज्यादा सीटें मिली जबकि लोकसभा चुनाव में RLD सपा के साथ भी चुनाव लड़ चुकी है और बीजेपी के साथ भी। सीटों के मामले में वहां भी फायदा बीजेपी के साथ ज्यादा हुआ, वैसे जंयत अपनी नजर कांग्रेस (congress) पर भी बनाए हुए हैं। पिछले दिनों ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) से मुलाकात के बाद राज्य में चर्चा थी कि RLD कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है। राज्य में कांग्रेस का किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं हुआ है। वहीं कांग्रेस की तरफ से RLD को ऑफर देने की भी चर्चा था लेकिन बाद में जयंत चौधरी ने इस बात को खारिज कर दिया था।

जाट-मुस्लिम समीकरण पर भरोसा
राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो जयंत चौधरी फिलहाल राज्य में चुनाव के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि पश्चिमी यूपी में जाट-सिखों और मुसलमानों के लामबंद होने के कारण उनसें फायदा मिल सकता है और इसके जरिए RLD अपना वजूद राज्य के पश्चिम क्षेत्र में बचा सकती है। वैसे भी पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन को देखते हुए जयंत चौधरी का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है और पंचायत चुनाव में RLD ने वेस्ट यूपी में अच्छा प्रदर्शन किया था, जिसके बाद जयंत चौधरी को उम्मीद है कि इस बार पार्टी सबसे अच्छा प्रदर्शन कर सकती है।

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