बस्ती जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने बताया कि जिले के सभी विभागों से सहमति प्राप्त करने के बाद बस्ती जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव दो दिन पहले शासन को भेज दिया गया है। इस पर आने वाला खर्च अब विभाग खुद वहन करेंगे। दो दिन पहले 26 मई को जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव फिर से जिला प्रशासन ने राजस्व परिषद को भेज दिया है।
बस्ती: योगी सरकार जिलों के नाम बदलने को लेकर लगातार चर्चाओं में बनी हुई। लखनऊ का नाम बदलने की चर्चाओं पर अभी विराम भी नहीं लगा कि एक और जिला नाम बदलने की सूची में शामिल हो गया है। बस्ती का नाम बदलकर वशिष्ठनगर करने की कवायद तेज हो गई है।
नाम बदलने के लिए शासन को भेजा गया प्रस्ताव
बस्ती जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने बताया कि जिले के सभी विभागों से सहमति प्राप्त करने के बाद बस्ती जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव दो दिन पहले शासन को भेज दिया गया है। इस पर आने वाला खर्च अब विभाग खुद वहन करेंगे। दो दिन पहले 26 मई को जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव फिर से जिला प्रशासन ने राजस्व परिषद को भेज दिया है। इस पर आने वाला खर्च अब सरकार नहीं बल्कि विभाग खुद वहन करेंगे। नाम बदलने में भारी भरकम खर्च का प्रस्ताव ही इसमें सबसे बड़ा रोड़ा था, जो अब दूर हो गया है।
नाम बदलने के पीछे का इतिहास
प्रस्ताव के समर्थन में जिलाधिकारी की ओर से बताया गया था कि इंटनेट पर उपलब्ध विकीपीडिया के अवलोकन से यह विदित होता है कि पुरातन काल में मखौड़ा में राजा दशरथ द्वारा महर्षि वशिष्ठ की प्रेरणा से ही पुत्रेष्टि यज्ञ कराया गया था। इसके बाद राजा दशरथ के चारों पुत्रों श्रीराम,भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ था। इनके गुरुकुल में ही चारों भाइयों की प्रारंभिक शिक्षा हुई थी।
इस क्रम में 16 नवंबर 2019 को तत्कालीन जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन की ओर से यह प्रस्ताव भेजा गया। नाम बदलने के पर होने वाले व्यय के बारे में शासन ने जानकारी मांगी तो एक करोड़ का भारी भरकम खर्च बता दिया गया। जिससे यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई और यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया।
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