सीएम योगी ने विधानसभा में अखिलेश पर कसा तंज, कहा- नजर नहीं है नजरों की बात करते हैं

प्रदेश सरकार ने गुरुवार को ही प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा बजट पेश किया। इस बजट का आकार 6 लाख 15 हजार 519 करोड़ रुपये है। इस बजट में सरकार ने 2022 के संकल्प पत्र में की गई घोषणाओं को जमीन पर उतारने का वादा किया।

लखनऊ: यूपी विधानसभा के बजट सत्र का आज पांचवां दिन है। कल वित्‍त मंत्री सुरेश खन्‍ना ने राज्‍य का अब तक का सबसे बड़ा (6.15 लाख करोड़) बजट पेश किया। विधानसभा में आज बजट पर चर्चा हो रही है। इस दौरान सीएम योगी ने सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव पर शायराना अंदाज में तंज कसा। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिनके पास नजर नहीं है वो नजरों की बात करते हैं। 

37 साल बाद यूपी में दोबारा जनादेश मिलना सामान्‍य बात नहीं-सीएम योगी
सीएम योगी ने कहा कि यूपी की आबादी करीब 25 करोड़ है। इतने बड़े आबादी का राज्य। एक सरकार ने अपने समय में जरूर कुछ प्रयास किया होगा। लेकिन उन जन आकांक्षाओं का प्रतीक हम क्यों नहीं बन पा रहे थे। जो यूपी की आवश्यकता थी। 37 सालों के बाद दोबारा जनादेश मिलना सामान्य बात नहीं है। हम जीते तो अच्छा है और बीजेपी जीती तो ईवीएम में गड़बड़ी कर दी गई है। यह तो जनता का अनादर है। 

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2017 में स्थानीय निकाय के चुनाव में कोई गड़बड़ी नहीं हुई। 2019 लोकसभा चुनाव में कहीं हिंसा नहीं हुई। 2021 में पंचायत चुनाव हुए थे, शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव हुए। 2022 से शांतिपूर्ण तरीके से विधानसभा चुनाव संपन्न हुए। हर दल अपनी बात कह रहा था, लेकिन चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से हुए।

सीएम योगी ने पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री पर साधा निशाना
पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए सीएम योगी ने कहा कि चुनाव में सपा के समर्थन के लिए बंगाल से एक दीदी आई थी। वहां क्या हालात थी। चुनाव बाद वहां 12 हजार घटनाएं हुईं थीं। 294 विधानसभा सीटों में से 142 पर हिंसा की घटनाएं हुईं थीं। यही नहीं 25 हजार बूथ प्रभावित हुए थे। भाजपा के 10 हजार से अधिक कार्यकर्ता सेलटर होम में जाने को मजबूर हुए थे। 57 की हत्या हुई, 123 से अधिक महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार हुआ। 7 हजार शिकायतें दर्ज हुई। 

बंगाल की आबादी यूपी के मुकाबले आधी है। यूपी में चुनाव के दौरान भी और चुनाव के बाद भी कोई हिंसा नहीं हुई। यह यूपी की कानून व्यवस्था का उदाहरण है। लेकिन क्या यहां पर भाजपा की सरकार नहीं होती तो भी क्या ऐसी ही रहता। क्योंकि हम लोगों को नेतृत्व एक ही बात के लिए आगाह करता है कि हमारा मिशन सत्ता नहीं देश है। देश हित के लिए काम करना है। भारत ने संसदीय लोकतंत्र को अपनाया है तो इसकी भावनाओं का सम्मान करना होगा।

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