Inside Story: लखनऊ की इस विधानसभा सीट पर आजादी के बाद पहली बार BJP ने जीत की दर्ज

Published : Mar 11, 2022, 04:48 PM IST
Inside Story: लखनऊ की इस विधानसभा सीट पर आजादी के बाद पहली बार BJP ने जीत की दर्ज

सार

1980 में भाजपा ने मोहनलालगंज में कमल खिलाने के लिए राजाराम वर्मा को मैदान में उतारा था । लेकिन भाजपा को तीसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा था। 1985 में भाजपा ने कमल खिलाने के लिए  मास्टर संतराम को प्रत्याशी बनाया लेकिन जीत दर्ज नही कर सके थे। उन्हें तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था।  1991 में भी यहां बीजेपी जीत दर्ज नही कर पाई थी।

लखनऊ: आजादी के बाद  लखनऊ के मोहनलालगंज विधानसभा के चुनाव में पहली बार कमल का फूल खिला है। भाजपा प्रत्याशी अमरेश रावत ने जीत दर्ज की है जबकि सपा ने हैट्रिक लगाने के लिए मौजूदा विधायक अम्ब्रीश सिंह पुष्कर का टिकट काट कर मोहनलालगंज से 2009 में सांसद रह चुकी सुशीला सरोज को टिकट दिया था। लेकिन सपा को हार का सामना करना पड़ा। 

दूसरे नंबर पर पहुंचे लेकिन नहीं मिली जीत
मोहनलालगंज, सुरक्षित विधान सभा सीट पर कमल खिलाने के लिए भाजपा ने कई बार प्रयास किया। कई बार के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी दूसरे नम्बर तक पहुंचे लेकिन जीत दर्ज नही कर सके। 1980 में भाजपा ने मोहनलालगंज में कमल खिलाने के लिए राजाराम वर्मा को मैदान में उतारा था । लेकिन भाजपा को तीसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा था। 1985 में भाजपा ने कमल खिलाने के लिए  मास्टर संतराम को प्रत्याशी बनाया लेकिन जीत दर्ज नही कर सके थे। उन्हें तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था।  1991 में भी यहां बीजेपी जीत दर्ज नही कर पाई थी। यहां प्रत्याशी मोहनलाल उपविजेता रहे थे। 1993 में हुए चुनाव में भाजपा के विनोद दूसरे नम्बर तक पहुंचे लेकिन जीत नही मिली थी।  सन् 1996 में भी भाजपा यहां तीसरे स्थान पर थी। जहां से बीजेपी ने विनोद कुमार को मैदान में उतारा था।

2007 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी कन्हई लाल मैदान में थे। लेकिन वह मात्र 7324 मत पाकर पांचवे स्थान पर रहे। साल 2012 में भी मोहनलालगंज में कमल नही खिल पाया था। भाजपा से चुनाव लड़ने वाली पूर्णिमा वर्मा सातवें स्थान पर रही थी। 2017 में पूरे उत्तर प्रदेश में भाजपा की लहर थी। राजधानी की मोहनलालगंज इकलौती सीट थी जिसपर भाजपा ने जीत नही दर्ज कर पाई थी। भाजपा ने अपना प्रत्याशी न खड़ा कर आरके चौधरी को समर्थन दिया था। लेकिन आरके चौधरी ने कमल के निशान पर चुनाव नही लड़ा था। लोगों का मानन था कि अगर आरके चौधरी कमल के निशान पर चुनाव लड़ते तो जीत दर्ज कर सकते थे। इस बार भाजपा प्रत्याशी ने बड़ी जीत दर्ज कर मोहनलालगंज में आजादी के बाद पहली बार कमल खिला दिया।

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