Inside Story: यूपी चुनाव 2022 ने सिखाया भीड़ की नहीं लोकतंत्र की जीत होती है, जानिए वजह

अखिलेश यादव की रैलियों, जनसभाओं और रोड शो में जमकर भीड़ उमड़ रही थी। जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया था। लेकिन शुरुआत से ही इस बात की आशंका जताई जा रही थी अक्सर भीड़ वोट में तब्दील नहीं होती है। और परिणामों मे भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला। 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजे आ चुके हैं। बीजेपी ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर 273 सीटें पाकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफलता हासिल की है। वहीं सपा गठबंधन 125 सीटें पाकर दूसरे स्थान पर रही है। बता दें कि माना जा रहा था कि इस बार के चुनाव में बीजेपी और सपा के बीच में सीधी टक्कर देखने को मिलेगी। लेकिन आए नतीजों में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला हैं। हालांकि सपा की सीट में 2017 के मुकाबले दो गुना बढ़ोत्तरी हुई लेकिन फिर भी बहुमत से बहुत दूर नजर आई। 

अखिलेश यादव की रैलियों, जनसभाओं और रोड शो में जमकर भीड़ उमड़ रही थी। जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया था। लेकिन शुरुआत से ही इस बात की आशंका जताई जा रही थी अक्सर भीड़ वोट में तब्दील नहीं होती है। और परिणामों ऐसा ही कुछ देखने को मिला। 

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रैलियों में उमड़ी भीड़ देख गदगद हुए सपाई
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इधर सपा नेता अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की रैलियों-जनसभाओं में उमड़ने वाली भीड़ को देखकर गदगद होते रहे और उधर मतदाताओं में सेंध लगती रही।

बता दें कि उप्र में सरकार बनाने की दौड़ में प्रमुख दावेदार राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सपा गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए 131 रैलियां और रोड शो किये।

घरातल पर सपा का मनेजमंट हुआ फेल
सपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जनसभाओं और रैलियों में खूब भीड़ उमड़ी। सपा नेता यह देखकर गदगद होते रहे और यह सोचकर उनका मनोबल बढ़ता गया कि जातीय गणित को मजबूत करने के लिए छोटे दलों से किया गया गठबंधन कारगर साबित हुआ है। अखिलेश यादव की पिपराइच में जनसभा हो या बड़लहगंज में, या फिर चौरीचौरा और शहर में। भीड़ देखकर सपा नेता और कार्यकर्ता अपने प्रत्याशियों की जीत पक्की मान बैठे और धरातल पर मजबूत होने में लापरवाही कर गए। उधर, भाजपा के कद्दावर नेताओं मसलन योगी, अमित शाह की रैलियों और सभाएं जहां भीड़ जुटी वहीं पार्टी के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मतदाताओं के बीच पैठ बनाई। केंद्र और प्रदेश सरकार की कुछ योजनाओं से भाजपाइयों की मेहनत को बल मिला व सपा को दूसरी बार करारा झटका लगा। सपा के सभी नौ प्रत्याशी चुनाव हार गए। ऐसा दूसरी बार हुआ जब सपा को जिले में एक सीट नहीं मिली। इस चुनाव में सपा हर सीट पर दूसरे स्थान पर रही। 

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