ज्ञानवापी मामले में वुजूखाने में गंदगी और नेताओं की बयानबाजी को लेकर जिला जज की अदालत में अहम फैसला आ सकता है। अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय की ओर से कोर्ट में दाखिल प्रार्थनापत्र में नमाजियों के वुजूखाने में हाथ-पैर धोने से गंदगी फैलती है जबकि वह स्थान भगवान शिव का स्थान है।
वाराणसी: ज्ञानवापी मामले में सोमवार को वाराणसी कोर्ट में सुनवाई होनी है। इसमें परिसर में मिले शिवलिंग के पास गंदगी फैलाने और नेताओं की बयानबाजी कर धार्मिक भावना भड़काने, नारेबाजी का मामला है। यह मामला सुनने योग्य है या नहीं, इस पर एसीजेएम पंचम की कोर्ट में फैसला आ सकता है। इसमें सांसद अससुद्दीन ओवैसी, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत शहर के काजी और मौलवी पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है। बता दें कि शनिवार को इसी मामले में कोर्ट का आदेश आने वाला था लेकिन किसी कारणवश नहीं आ सका था।
हरिशंकर पांडेय की ओर से दाखिल हुई थी याचिका
वाराणसी के रामेश्वर निवासी अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय की ओर से दाखिल वाद में मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं, इस पर सुनवाई पूरी हो चुकी है। उन्होंने ज्ञानवापी में वजू स्थल के पास मिले कथित शिवलिंग के पास गंदगी फैलाने और शिवलिंग को लेकर बयानबाजी कर धार्मिक भावना भड़काने, नारेबाजी के मामले में सपा प्रमुख अखिलेश यादव और एआईएमआईएम चीफ असुद्दीन ओवैसी समेत शहर काजी और मौलवी पर आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। इस मामले में अदालत ने आदेश के लिए 17 अक्टूबर की तारीख तय हुई है। वहीं दूसरी ओर ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग जिला जज की अदालत ने खारिज कर दी थी। जिसके बाद हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया है।1
18 अक्टूबर को दोनों पक्ष करेंगे लिखित बहस
दूसरी ओर ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगाने संबंधी वाद सुनवाई योग्य है या नहीं, इसको लेकर 27 अक्टूबर को फैसला आ सकता है। इस मामले में सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत में चल रही सुनवाई शनिवार को पूरी हो गई है। कोर्ट ने 18 अक्टूबर को सभी पक्षों को अपनी लिखित बहस दाखिल करने के लिए कहा गया है। अदालत में किरन सिंह की तरफ से मानबहादुर सिंह, शिवम गौड़ और अनुपम द्विवेदी ने दलीलें पेश की। जिसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता मानबहादुर सिंह का कहना है कि वाद सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर अंजुमन इंतजामिया की तरफ से जो भी मुद्दा उठाया गया है, वह ट्रायल का विषय है।